अजादारी, जुलूस असत्य पर सत्य की जीत का प्रतीक है
चेहलुम का शोक मुहर्रम के ताजिया दफनाए जाने के चालीसवें दिन मनाया जाता है। अजादारी, मजलिस व मातम असत्य पर सत्य की जीत का प्रतीक है। रविवार को ताजियादारान अपने गांव के नजदीक कर्बला में गमगीन माहौल में...
सैदापुर, संवाददाता। चेहलुम का शोक मुहर्रम के ताजिया दफनाए जाने के चालीसवें दिन मनाया जाता है। अजादारी, मजलिस व मातम असत्य पर सत्य की जीत का प्रतीक है। चेहलुम हजरत इमाम हुसैन की शहादत का चालीसवां होता है। चेहलुम का ताजिया जिले समेत ग्रामीण इलाकों में भी शनिवार को देर रात तक या हुसैन या हुसैन की सदाओं के साथ घर-घर ताजिया रखा जाएगा। रविवार को ताजियादारान नम आंखों से अपने-अपने गांव के नजदीक कर्बला में गमगीन माहौल में ताजिये को सुपुर्दे खाक करेंगे। सुप्रसिद्ध उर्दू कवि व स्वतंत्रता सेनानी मौलाना मुहम्मद अली ने कहा है कि कत्ल-ए-हुसैन अस्ल में मरग-ए-यजीद है, इस्लाम जिंदा होता है हर कर्बला के बाद। इस्लाम धर्म के लिए हजरत मोहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन की सेवाओं और उनके बलिदानों को स्वीकार करना है।
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