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बोले अम्बेडकरनगर-आउटसोर्सिंग कर्मियों का न मानदेय बढ़ रहा न समय से हो रहा भुगतान

  • अंबेडकरनगर के चार विद्युत वितरण खंड में तैनात लगभग एक हजार आउटसोर्सिंग कर्मचरियों को लंबे समय से बेहतर सुविधा मिलने की दरकार है। महंगाई के अनुरूप न तो मानदेय में वृद्धि हो रही और न ही समय पर भुगतान ही हो रहा।

Sanjeev tiwari हिन्दुस्तानSat, 15 Feb 2025 10:34 PM
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बोले अम्बेडकरनगर-आउटसोर्सिंग कर्मियों का न मानदेय बढ़ रहा न समय से हो रहा भुगतान

अम्बेडकरनगर। उपभोक्ताओं को बेहतर बिजली आपूर्ति उपलब्ध कराने को लेकर जिले के चार बिजली वितरण खंड में लगभग एक हजार आउटसोर्सिंग कर्मचारियों की तैनाती की गई है। इसमें 52 कम्प्यूटर ऑपरेटर, जबकि शेष कुशल व अकुशल कर्मचारी शामिल हैं। संबंधित कर्मचारियों से काम तो लिया जा रहा, लेकिन उन्हें नियमित कर्मचारियों के समान सुविधा नहीं प्रदान की जा रही। इसी का नतीजा है कि बेहतर बिजली आपूर्ति की उम्मीदों को तगड़ा झटका लग रहा।

जिले के अकबरपुर, जलालपुर, आलापुर व टांडा विद्युत वितरण खंड में 52 कम्प्यूटर ऑपरेटर की तैनाती की गई है। इसके अलावा लगभग 974 कुशल व अकुशल कर्मचारी तैनात किए गए हैं। यह सभी कर्मचारी तीन एजेंसियों के माध्यम से नियुक्त किए गए हैं। इनमें असहाय मानव कल्याण सेवा संस्थान, एसके कांस्ट्रक्शन व कुनाल ट्रेडर्स शामिल हैं। ठेका प्रथा पर तैनात कर्मचारी अपनी ड्यूटी तो बेहतर ढंग से कर रहे, लेकिन उनका आरोप है कि संबंधित एजेंसी व जिम्मेदार उनकी समस्याओं को लेकर गंभीर नहीं हैं। कर्मचारियों का कहना है कि 26 दिन के बजाए 30 दिन और प्रतिदिन आठ घंटे के बजाए 12 घंटे काम उनसे लिया जाता है, लेकिन उसके अनुसार मानदेय नहीं मिलता।

कर्मचारी समान कार्य, समान वेतन की मांग को लेकर समय समय पर धरना प्रदर्शन करते रहते हैं। जिम्मेदारों से शिकायत भी दर्ज कराते हैं। इसके बाद भी उनकी उपेक्षा की जा रही। उपेक्षा का आलम यह है कि संबंधित कर्मचारियों की सुरक्षा को लेकर भी जिम्मेदार गंभीर नहीं हैं। अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि बीते पांच वर्ष में लगभग एक दर्जन से अधिक हादसे हो चुके हैं। इसमें आधा दर्जन कर्मचारियों की मौत भी हो चुकी है। इसके बाद भी जिम्मेदारों को सुरक्षा की सुध नहीं है।

मिले सुविधाएं, तो दूर हों समस्याएं

आउटसोर्सिंग कर्मचारियों से काम तो अलग अलग प्रकार के लिए जा रहे, लेकिन उन्हें सुविधाएं दिए जाने को लेकर गंभीरता नहीं दिखाई जा रही। इससे संबंधित कर्मचारियों को कई प्रकार की मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।

कम्प्यूटर ऑपरेटर के अलावा कुशल व अकुशल लाइनमैन के रूप में ठेका प्रथा के तहत कर्मचारियों की तैनाती की गई। कर्मचारी अपनी जिम्मेदारी का निर्वह्न कर भी रहे हैं। इसके बाद भी उनकी उपेक्षा की जा रही है। स्थाई कर्मचारियों की तरह उन्हें किसी प्रकार की अतिरिक्त सुविधा नहीं दी जा रही है।

बृजेश कुमार, मनोज मिश्र, आनंद कुमार व राजेश कहते हैं कि न तो सुरक्षा को लेकर कोई गंभीरता दिखाई जाती है और न ही किसी अन्य प्रकार की सुविधाएं ही दी जाती हैं। स्थाई कर्मचारियों को जो व्यवस्थाएं दी गई हैं वह हम सभी को मिलनी चाहिए। इससे कई प्रकार की समस्या दूर हो सकती हैं। लाइनमैन से बिजली वसूली, कनेक्शन काटने व अनुरक्षण काम में ड्यूटी लगाई जाती है, लेकिन काम के अनुरूप सुविधाएं प्रदान नहीं की जाती हैं।

हक के लिए उठाते रहते हैं आवाज

समान वेतन, समान कार्य, मानदेय में वृद्धि किए जाने, स्थाई किए जाने, समय पर मानदेय भुगतान किए जाने समेत अन्य मागों को लेकर कर्मचारियों द्वारा समय-समय पर आंदोलन भी छेड़ा जाता है। इसके बाद भी उनकी समस्याओं को निस्तारित नहीं किया जाता है।

आउटसोर्सिंग कर्मचारी अपने अधिकार को लेकर जिलास्तर से लेकर राज्यस्तर तक समय समय पर धरना प्रदर्शन करते रहते हैं। जब भी उनके द्वारा आवाज बुलंद की जाती है, तो सिर्फ आश्वासन ही दिया जाता है। इससे उनकी समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं।

शेरबहादुर, रामनिहाल, लालजी कहते हैं कि भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए हम सभी समय समय पर हक की आवाज बुलंद करते हैं। जिम्मेदार समस्याओं को दूर करने के लिए आश्वासन तो देते हैं, लेकिन उसे जमीनी हकीकत देने को लेकर कोई कदम नहीं उठाया जाता है। नतीजा यह है कि समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं।

हादसे का शिकार होते रहते हैं कर्मचारी

कुशल व अकुशल लाइनमैन की सुरक्षा को लेकर जिम्मेदार गंभीर नहीं हैं। अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि बीते पांच वर्षों में अलग अलग हादसों में आधा दर्जन कर्मचारियों की मौत हो चुकी है। आउटसोर्सिंग कर्मचारियों की सुरक्षा को लेकर जिम्मेदारों द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है। इसे लेकर जब भी कर्मचारियों द्वारा आवाज उठाई जाती है, तो सिर्फ आश्वासन ही दिया जाता है। नतीजा यह है कि अक्सर कर्मचारी किसी न किसी प्रकार के हादसे का शिकार होते रहते हैं। एक आउटसोर्सिंग कर्मचारी ने बताया कि अनुरक्षण कार्य करने के दौरान, बिजली आपूर्ति में आने वाली गड़बड़ी के दौरान के अलावा अन्य काम करने के दौरान पिछले पांच वर्ष में लगभग एक दर्जन घटनाएं हो चुकी हैं। इसमें आधा दर्जन कर्मचारियों की मौत भी हो चुकी है। इसके बाद भी संबंधित एजेंसी या फिर विभाग गंभीरता नहीं दिखा रहे। यदि सुरक्षा को लेकर बेहतर कदम उठाए जाएं, तो हादसों पर काफी हद तक अंकुश लगाया जा सकता है।

निर्धारित समय से अधिक लिया जाता है काम

वैसे तो आउटसोर्सिंग कर्मचारियों से महीने में 26 दिन, जबकि प्रतिदिन आठ घंटे काम लिए जाने का प्राविधान है, लेकिन इससे कहीं अधिक काम लिया जाता है। इससे कर्मचारियों को कई प्रकार की मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।

आउटसोर्सिंग कर्मचारियों से महीने में 26 दिन काम लिए जाना निर्धारित है, लेकिन कर्मचारियों के अनुसार 30 दिन काम लिया जाता है। और तो और प्रतिदिन आठ घंटे काम लेने के बजाए 12 घंटे काम लिया जाता है। इससे कर्मचारियों को अधिक समय तक काम करने से सामाजिक व आर्थिक मुश्किलें होती हैं। कर्मचारियों का कहना है कि यदि काम अधिक लिया जाता है, तो उसी के अनुसार मानदेय में भी वृद्धि होनी चाहिए। हालांकि इसे लेकर विभाग के पास कोई ठोस कार्ययोजना नहीं दिखती। कर्मचारियों द्वारा समय समय पर यह भी आरोप लगाया जाता है कि संबंधित एजेंसी द्वारा उन्हें कार्यमुक्त किए जाने की धमकी दी जाती है। इसके चलते कर्मचारी अधिक विरोध भी नहीं कर पाते हैं। कर्मचारियों का कहना है कि इससे उनका मानसिक उत्पीड़न होता है।

लोग बोले

महंगाई तो लगातार बढ़ रही है, लेकिन उसके अनुरूप मानदेय में वृद्धि नहीं हो रही है। इससे घर का खर्च चलाना मुश्किल हो रहा है। समय पर बच्चों की फीस नहीं जमा कर पा रहे। यदि मानदेय मेंवृद्धि की जाए, तो आर्थिक समस्या दूर हो सकती है।

भगवान सिंह

एक तो मानदेय कम मिलता है, उस पर समय पर भुगतान भी नहीं होता है। इससे आर्थिक मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। मानदेय बढ़ाए जाने व समय पर भुगतान किए जाने की मांग लंबे समय से की जा रही है, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है।

अमरीश यादव

आउटसोर्सिग के माध्यम से नौकरी तो मिल गई है, लेकिन भविष्य सुरक्षित नहीं है। कब हटा दिया जाए, इसकी कोई जानकारी नहीं है। इसलिए प्रत्येक समय यही चिंता बनी रहती है कि कहीं नौकरी से हटा न दिया जाए। इस समस्या को दूर करने के लिए जिम्मेदारों को गंभीरता दिखानी चाहिए।

इंदुराज

जिस काम के लिए हम सभी को रखा जाता है, वह काम तो कराया ही जाता है। इसके अतिरिक्त भी दूसरे काम कराए जाते हैं। सभी काम हम सभी पूरी जिम्मेदारी के साथ करते हैं, इसके बाद भी उपेक्षा की जाती है। शिकायत तो की जाती है, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया जाता।

अमर

तैनाती तो कम्प्यूटर ऑपरेटर के पद पर की गई है, लेकिन इसके अलावा भी कई अन्य प्रकार के बिजली संबंधित काम कराए जाते हैं। यदि इसका विरोध किया जाता है, तो नौकरी से हटा दिए जाने की धमकी दी जाती है। मजबूर होकर सभी काम करना पड़ता है।

अंकुर वर्मा

मानदेय में वृद्धि किए जाने, समय पर भुगतान किए जाने व नियमित किए जाने की मांग को लेकर समय समय पर आवाज बुलंद की जाती है, लेकिन सिर्फ आश्वासन ही मिलता है। इससे आगे प्रक्रिया नहीं बढ़ती है। नतीजा यह है कि समस्या जस की तस बनी हुई है।

अमन प्रजापति

कम्प्यूटर ऑपरेटर के तौर पर हम सभी अपनी जिम्मेदारी का निर्वह्न पूरी ईमानदारी के साथ कर रहे हैं। इसके बाद भी नौकरी से हटाए जाने की तलवार लटकी रहती है। इससे प्रत्येक समय नौकरी गंवाने की आशंका बनी रहती है। ऐसा नहीं होना चाहिए। काम को लेकर किसी भी प्रकार का दबाव नहीं डालना चाहिए।

सीमा देवी

कर्मचारियों के हित को देखते हुए न सिर्फ स्थाई किया जाए, बल्कि पीएफ का भी लाभ दिलाया जाए। ऐसा होने से भविष्य सुरक्षित होगा। समय समय पर इसे लेकर मांग की जाती है, लेकिन जिम्मेदार कोई सुध नहीं ले रहे। इससे भविष्य को लेकर लगातार चिंता बनी रहती है।

राजीव कुमार

मानदेय बढ़ाए जाने के साथ ही कैशलेस स्वास्थ्य सुविधा प्रदान किए जाने की मांग को भी पूरा नहीं किया जा रहा है। इसके अलावा दस लाख रुपये का निशुल्क बीमा कराए जाने की मांग को नजरअंदाज किया जा रहा है। समस्याओं के निस्तारण को लेकर भी जिम्मेदार कोई कदम नहीं उठा रहे।

विवेक वर्मा

आउटसोर्सिंग कर्मचारी पूरी ईमानदारी के साथ काम करते हैं, लेकिन उनकी सुरक्षा को लेकर कोई बेहतर व्यवस्था नहीं है। कर्मचारियों के हित को लेकर जिम्मेदारों को गंभीरता दिखानी चाहिए। किसी भी प्रकार का हादसा होने पर सभी प्रकार की मदद भी सुनिश्चित की जानी चाहिए।

दीपचंद

नियमित कर्मचारियों की तरह ही आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को भी महंगाई भत्ता दिए जाने की जरूरत है। प्रत्येक वर्ष मानदेय के साथ साथ महंगाई भत्ता भी बढ़ाए जाने की आवश्यकता है। यदि इस प्रकार की व्यवस्था कर दी जाए, तो आर्थिक समस्या काफी हद तक दूर हो जाएगी।

राघवेंद्र तिवारी

समान कार्य, समान वेतन दिए जाने की मांग को जिम्मेदार पूरा नहीं कर रहे हैं। जो कर्मचारी नियमित हैं, उनसे कहीं अधिक काम आउटसोर्सिंग कर्मचारी करते हैं। ऐसे में उनके बराबर वेतन दिया जाना चाहिए। इसके अलावा जो मानदेय मिल रहा है, उसे बढ़ाया भी जाना चाहिए।

आरती गुप्ता

शिकायतें

1-महंगाई के अनुरूप नहीं बढ़ाया जा रहा मानदेय

2-समय पर नहीं होता है मानदेय का भुगतान

3-नियमित कर्मचारियों की तरह नहीं मिलती हैं सुविधाएं

4-भविष्य को सुरक्षित रखने को लेकर नहीं उठाया जा रहा कदम

5-सुरक्षा प्रदान करने को लेकर भी नहीं दिखाई जा रही गंभीरता

सुझाव

1-मानदेय वृद्धि होने से कर्मचारियों की दूर होंगी आर्थिक मुश्किलें

2-अनुरक्षण काम कराने, बिजली बिल वसूली के दौरान कर्मचारियों को मिले सुरक्षा

3-आर्थिक समस्या से बाहर निकालने के लिए मानदेय में वृद्धि के साथ समय पर हो भुगतान

4-नियमित किए जाने से सुरक्षित होगा भविष्य

5-राज्य कर्मचारियों की तरह ही मिलें सभी प्रकार की सुविधाएं

बोले जिम्मेदार

जिन एजेंसी के तहत कर्मचारियों को तैनात किया जाता है, उन एजेंसियों को समय समय पर जरूरी दिशा निर्देश दिए जाते हैं। आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को बेहतर सुविधा प्रदान करने के लिए लगातार ठोस कदम उठाए जा रहे हैं। किसी भी प्रकार की शिकायत मिलने पर प्राथमिकता के आधार पर उसे दूर किया जाता है।

संजय कुमार अधीक्षण अभियंता

प्रस्तुति : सर्वजीत त्रिपाठी/ नवनीत सिंह/ दिग्विजय सिंह

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