छिपे प्रायोजन के दम पर टिकी इंदिरा मैराथन
Prayagraj News - प्रयागराज में हर साल 19 नवंबर को आयोजित होने वाली अखिल भारतीय प्राइज मनी इंदिरा मैराथान का आयोजन दान के दम पर हो रहा...
प्रयागराज में हर साल 19 नवंबर को आयोजित होने वाली अखिल भारतीय प्राइज मनी इंदिरा मैराथान का आयोजन दान के दम पर हो रहा है। अलग-अलग प्रायोजक न हों तो देश की सबसे पुरानी मैराथन का आयोजन नहीं हो सकता। मैराथन के आयोजन में अलग-अलग तरीके से मदद करने वालों का नाम सामने नहीं आता।
मैराथन के आयोजन का बजट 25 लाख से अधिक हो गया है। सरकार इसके आयोजन के लिए सिर्फ 12.50 लाख रुपये दे रही है। इसमें 12 लाख रुपए प्राइजमनी और अन्य शुल्क पर खर्च हो जाता है। सरकारी राशि से सिर्फ 50 हजार रुपये बचता है। मैराथन का बाकी खर्च छोटे-छोटे प्रायोजकों से जुगाड़ किया जाता है। इसके आयोजन में खर्च होने वाली राशि का कुछ हिस्सा प्रशासन प्रोत्साहन मद से देता है।
क्षेत्रीय खेल कार्यालय के सूत्रों का कहना है कि मैराथन के आयोजन के लिए नकद किसी से कुछ नहीं लिया जाता। परदे के पीछे रहने वाले प्रायोजकों से अलग-अलग तरह की मदद जरूरत के अनुसार ली जाती है। क्षेत्रीय क्रीड़ा अधिकारी अनिल तिवारी ने बताया कि बजट कम या अधिक होना प्रश्न नहीं है। मैराथन का भव्य आयोजन होना चाहिए। किसी भी कार्यक्रम के भव्य आयोजन में सबका सहयोग होता है।
तीन-चौथाई राशि खर्च होती है पुरस्कार में
प्रयागराज। अखिल भारतीय प्राइजमनी इंदिरा मैराथन के लिए सरकार से मिलने वाले सरकारी बजट का तीन चौथाई हिस्सा पुरस्कार में बंट जाता है। मैराथन के अलग-अलग श्रेणी में नकद पुरस्कार स्वरूप 9.30 लाख रुपये दिए जाते हैं। मैराथन के दोनों वर्ग में तीसरा स्थान प्राप्त करने वालों को दिए जाने वाले नकद पुरस्कार 75-75 हजार में प्रशासन के प्रोत्साहन मद के 35-35 हजार रुपये होते हैं।
हर साल देनी पड़ती है कैमिटेशन फीस
प्रयागराज। अखिल भारतीय इंदिरा मैराथन के आयोजन के लिए हर साल लगभग सवा लाख रुपये कैपिटेशन फीस एथलेटिक फेडरेशन को देनी पड़ती है। इसके अलावा अब मैराथन में दौड़ने वाले धावक-धाविकाओं के पैर में बांधी जाने वाली चिप का शुल्क सवा लाख रुपये देना पड़ रहा है। पिछले साल चिप का उपयोग नहीं हुआ था।
अधिकृत प्रायोजन पर बढ़ जाएगी कैपिटेशन फीस
प्रयागराज। अखिल भारतीय प्राइजमनी इंदिरा मैराथन में अधिकृत प्रायोजक लाने का जोखिम खेल विभाग नहीं उठाना चाहता। मैराथन के लिए अधिकृत प्रायोजक सामने आने पर कैपिटेशन फीस बढ़ जाएगी। प्राइजमनी बढ़ानी पड़ेगी। सूत्रों के अनुसार अधिकृत प्रायोजक का निर्णय लेना सरकार के हाथ में है।
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