Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़Allahabad High Court said Physical intimacy in marital relationship is not a matter of judicial determination

वैवाहिक संबंध में शारीरिक अंतरंगता न्यायिक निर्धारण का विषय नहीं, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने की टिप्पणी

  • इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि शारीरिक संबंध से इनकार करने के आधार पर विवाह विच्छेद की मांग करने के लिए यह प्रदर्शित किया जाना चाहिए कि यह इनकार लंबे समय से लगातार जारी रहा है।

Pawan Kumar Sharma हिन्दुस्तान, प्रयागराजSat, 9 Nov 2024 10:14 PM
share Share

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक निर्णय में कहा है कि शारीरिक संबंध से इनकार करने के आधार पर विवाह विच्छेद की मांग करने के लिए यह प्रदर्शित किया जाना चाहिए कि यह इनकार लंबे समय से लगातार जारी रहा है। कोर्ट ने कहा कि पक्षकार किस प्रकार की शारीरिक अंतरंगता बनाए रख सकते हैं। यह मुद्दा न्यायिक निर्धारण का विषय नहीं है।

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि शारीरिक अंतरंगता के संबंध में पक्षकार किस तरह का संबंध बनाए रख सकते हैं, यह मुद्दा न्यायोचित नहीं है। वैवाहिक संबंध में रहने वाले दोनों पक्षों के बीच निजी संबंध की सटीक प्रकृति के बारे में कोई कानून बनाना न्यायालय का काम नहीं है। शारीरिक संबंध से इनकार करने के आधार पर विवाह विच्छेद की मांग करने के लिए इस तरह की घटना को लंबे समय तक लगातार अस्तित्व में बनाए रखना होगा।

यह टिप्पणी न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल सिंह एवं न्यायमूर्ति डोनाडी रमेश की खंडपीठ ने एक पति की अपील को खारिज करते हुए की, जिसमें उसने मिर्जापुर के प्रधान पारिवारिक न्यायाधीश के फैसले को चुनौती दी थी। फैमिली कोर्ट उसकी तलाक याचिका खारिज कर दी थी। पेशे से डॉक्टर दोनों पक्ष की शादी जून 1999 में हुई थी। उनके दो बच्चे हैं, जिनमें से एक पिता के साथ रहता है और दूसरा मां के साथ। पति दिल्ली में निजी प्रैक्टिस कर रहा था। पत्नी भारतीय रेलवे में कार्यरत थी। शादी के नौ साल बाद पति ने क्रूरता के आधार पर तलाक की कार्यवाही मिर्जापुर के परिवार न्यायालय में शुरू की। उसने आरोप लगाया कि उसकी पत्नी ने एक धार्मिक शिक्षक के प्रभाव में आकर शारीरिक संबंध बनाने से इनकार कर दिया। पत्नी ने आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि दो बच्चों के जन्म से यह साबित होता है कि उनके बीच सामान्य व स्वस्थ संबंध थे।

ये भी पढ़ें:भगवान भरोसे यूपी के होम्योपैथी अस्पताल, 122 डॉक्टरों में से 70 गैरहाजिर

न्यायालय ने यह देखते हुए कि पति के क्रूरता का आधार मुकदमे के दौरान स्थापित नहीं हुआ था, प्रथमदृष्टया कहा कि साक्ष्य से स्पष्ट रूप से पता चलता है कि दोनों पक्षों के बीच सामान्य वैवाहिक संबंध था, जिसमें विवाह के दो वर्ष के भीतर उनके दो बच्चे पैदा हुए। इसलिए पत्नी की ओर से अक्षमता का कोई आधार कभी भी मौजूद नहीं हो सकता है।

अगला लेखऐप पर पढ़ें