खैर सीट पर जीत का खाता नहीं खोल पाई समाजवादी पार्टी
खैर विधानसभा के उपचुनाव में समाजवादी पार्टी को हार का सामना करना पड़ा। भाजपा उम्मीदवार सुरेंद्र दिलेर ने गठबंधन उम्मीदवार चारू केन को 38,393 मतों से हराया। सपा का चुनावी आधार गिर रहा है, और पार्टी में...
फोटो.. -विस चुनाव में अब तक एक बार भी चुनाव नहीं जीती है सपा
-उपचुनाव में इस बार सपा-कांग्रेस गठबंधन से जगी थी उम्मीद
-गठबंधन उम्मीदवार को भाजपा ने 38393 हजार वोटों से हराया
-2024 लोकसभा से भी कम वोट उपचुनाव में सपा उम्मीदवार को मिले
-2022 में बसपा से लड़ते हुए चारू केन ने 65 हजार वोट लिए थे
-उपचुनाव में 2022 का आकड़ा भी नहीं पार कर पाईं चारू केन
अलीगढ़। राकेश तिवारी। खैर विधानसभा सुरक्षित सीट के उपचुनाव में समाजवादी पार्टी जीत का खाता नहीं खोल पाई। गठबंधन उम्मीदवार चारू कैन को भाजपा उम्मीदवार सुरेंद्र दिलेर ने 38393 मतों से पराजित किया। उपचुनाव में समाजवादी पार्टी का गठबंधन फार्मूला कामयाब नहीं हो पाया। खैर सीट पर अभी तक विधानसभा चुनाव सपा एक बार भी नहीं जीत पाई है। उपचुनाव में गठबंधन के कारण सपा को जीत की उम्मीद थी, लेकिन लोकसभा चुनाव से भी कम वोट सपा उम्मीदवार को मिले। सपा में भीतरघात व कांग्रेस की दूरी भी हार का कारण बनी है।
खैर सीट पर अभी तक इतिहास रहा है कि सपा का खाता नहीं खुल सका। खैर विधानसभा से पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष तेजवीर सिंह गुड्डू की पुत्र वधू चारू केन चुनावी मैदान में थीं। अक्टूबर 2024 में चारू ने पहले दिल्ली में महिला कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की थी। कांग्रेस से टिकट लेने की जद्दोजहद चल रही थी। उसी दौरान कांग्रेस में चारू केन का खुलकर विरोध हो गया था। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने उनकी सदस्यता को मान्य करार नहीं दिया था। खैर सीट सपा के पाले में जाते ही चारू केन ने सपा की सदस्यता ली और समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने चारू केन को खैर से टिकट दे दिया। चारू केन को सपा से टिकट मिलने पर सपा में भी रार शुरू हो गई थी। लोकसभा चुनाव में खैर विधानसभा जीतने वाले पूर्व सांसद चौधरी बिजेंद्र सिंह ओमपाल सिंह सूर्यवंशी को टिकट दिलाना चाहते थे। लेकिन यहां पर सियासी पाशा पलटा और चारू केन को सपा से टिकट मिल गया। पूर्व सांसद चौ. बिजेंद्र सिंह लोकसभा चुनाव में 93 हजार से अधिक वोट मिले थे, लेकिन उपचुनाव में वह सिरे से नदारद रहे। सपा के आगे गठबंधन का टैग लगा था, लेकिन उपचुनाव में गठबंधन जैसा कुछ भी नहीं था। अकेले सपा ने ही उपचुनाव लड़ा। कांग्रेस पार्टी खैर विधानसभा में वोट ट्रांसफर नहीं करा पाई है। सपा में भीतरघात, सपाइयों की नाराजगी व कांग्रेस की दूरी के कारण गठबंधन उम्मीदवार 38 हजार से अधिक मतों से हार का सामना करना पड़ा।
2022 के चुनाव से भी कम मिले चारू केन को वोट
-विधानसभा चुनाव 2022 में चारू केन ने बसपा से चुनाव लड़ा था। बसपा से अकेले चुनाव लड़ते हुए चारू केन ने भाजपा उम्मीदवार अनूप प्रधान को टक्कर दी थी। दूसरे स्थान पर रहते हुए चारू केन ने 65 हजार वोट हासिल किए थे। लेकिन उप चुनाव में दो पार्टियों का साथ होने के भी 65 हजार का आकड़ा नहीं छूं पाईं। उपचुनाव में केवल 61788 मतों से ही संतोष करना पड़ा। समाजवादी पार्टी का जनाधार लोकसभा चुनाव के छह माह में ही खिसक गया। लोकसभा सभा में चुनाव में सपा ने जाट, ब्राहण, क्षत्रिय समेत अन्य बिरादरी का वोट हासिल करने में सफल हुई थी, लेकिन उप चुनाव में सपा के हाथ से जनाधार फिसलता हुआ दिखाई दिया है। अखिलेश यादव की चुनावी रैली से भी गठबंधन का जनाधार दरक गया।
सपा में अंदरूनी रार उपचुनाव में रही भारी
-उपचुनाव में सपा के भीतर अंदरूनी रार भारी रही। कांग्रेस चारू केन को टिकट मिलने के बाद से जहां स्वयं को दूर कर लिया था वहीं समाजवादी पार्टी में भी गुटबाजी देखने को मिली थी। सपा के कुछ पूर्व विधायक, सपा के कई बड़े चहेरे खैर के उपचुनाव से ओझल रहे। लोकसभा चुनाव में भाजपा को मात देने वाले गठबंधन की गांठ उपचुनाव में कमजोर हो गई। गठबंधन की गांठ सपा में भीतरघात व कांग्रेस की दूरी के कारण कमजोर हुई।
जिला महासचिव ने हार की नैतिक जिम्मेदारी ली
-समाजवादी पार्टी के जिला महासचिव मनोज यादव ने गठबंधन उम्मीदवार के हार की नैतिक जिम्मेदारी ली। फेसबुक एकाउंट पर लिखते हुए मनोज यादव ने कहा कि खैर सीट पर सपा ने मजबूती के साथ चुनाव लड़ा। कुछ गलतियां हुईं, जिसके कारण चुनाव हारे। जनता के फैसले को स्वीकार करते हुए हार की नैतिक जिम्मेदारी लेता हूं। जिला महासचिव की पोस्ट पर तरह तरह के कमेंट भी आने लगे। लोगों ने लिखा कि संगठन में बदलाव होना चाहिए। जिला व महानगर अध्यक्ष को त्याग पत्र देना चाहिए। वहीं समाजवादी पार्टी के उपाध्यक्ष अर्जुन ठाकुर ने गठबंधन उम्मीदवार की हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए पद से त्याग पत्र देने की घोषणा सोशल मीडिया पर की।
खैर उपचुनाव में धनबल जीता: लक्ष्मीधनगर
-सपा की जिलाध्यक्ष लक्ष्मीधनगर ने कहा कि कार्यकर्ताओं, पदाधिकारियों, वरिष्ठ नेताओं ने खैर उपचुनाव में दिन रात कठोर परिश्रम किया। सभी आभार व्यक्त करती हूं। खैर उपचुनाव में धनबल जीत गया, सत्ता के दवाब में लोकतंत्र की समस्त नैतिकताएं, मर्यादाएं शर्मशार हो गईं। भाजपा शासन में चुनाव अब भ्रष्टाचार के धन के पर्याय बन गये हैं। मुख्यमंत्री, मंत्रियों, विधायकों ने खुले आम चुनाव आचार संहिता की धज्जियां उड़ाईं। चुनाव में लगे अधिकारी एवं चुनाव आयोग मूकदर्शक बना रहा। इस उपचुनाव में प्रदेश सरकार की चुनावी राजनीति का सबसे विकृत रूप उजागर हुआ है और असत्य जीत गया। समाजवादी इस हार से दु:खी अवश्य हैं, लेकिन विचलित नहीं। समाजवादी संघर्ष के आदी हैं, समाजवादी पीडीए के लोग पुन: संगठित होकर भाजपा को उखाड़ फेंकने के लिए संघर्ष करते रहेंगे। समाजवादी पीडीए का नारा अब तो असली संघर्ष शुरू हुआ है, बांधों मुट्ठी, तानो मुट्ठी और पीडीए का करो उद्घोष जुड़ेंगे तो जीतेंगे।
सपा को हिन्दू नहीं देना चाहता वोट : कांग्रेस जिलाध्यक्ष
कांग्रेस के जिलाध्यक्ष सोमवीर सिंह ने सपा पर तोहमत लगाई है। कहा कि
जनता ने जो जनादेश दिया है उसको स्वीकार करना पड़ेगा। हिन्दू मतदाता कांग्रेस को वोट करना चाहता है, लेकिन सपा को नहीं करना चाहता है। ब्राहण समेत अन्य वोट नहीं मिले। सपा प्रत्याशी की उदासीनता उपचुनाव में रही है। उम्मीदवार ने किसी कार्यक्रम में कांग्रेस को नहीं बुलाया। कांग्रेस को पूछा नहीं है। सपा जिलाध्यक्ष कांग्रेस के कार्यक्रम में नहीं आती हैं। जो हमारी मीटिंग में नहीं आता है उससे कैसा गठबंधन है। भाजपा को केवल कांग्रेस परास्त कर सकती है। जनता विकल्प के रूप में कांग्रेस को देख रही है। खैर में कांग्रेस के सिंबल पर चुनाव होता तो यह जीत हमारे खाते में आती।
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