बोले अलीगढ़ का जोड़
Aligarh News - बोले अलीगढ़ का जोड़ अलीगढ़। पीतल मूर्ति इंडस्ट्री से युवा पीढ़ी को जोड़ने की
बोले अलीगढ़ का जोड़ अलीगढ़।
पीतल मूर्ति इंडस्ट्री से युवा पीढ़ी को जोड़ने की कवायद हो
-पीतल मूर्ति निर्माताओं ने कहा कि पीतल मूर्ति उद्योग से नई पीढ़ी का जुड़ाव नहीं हो रहा है। उद्योग के समक्ष आने वाली समस्याओं के कारण युवा पीढ़ी इस कारोबार से पीछे हट रही है। सरकार ईज ऑफ डूइंग बिजनेस का दावा करती है, लेकिन नियम सरल नहीं हैं। सिंगल विंडों सिस्टम का लाभ उद्यमियों को कम मिल पाता है। युवा पीढ़ी को इस उद्योग से जोड़ने के लिए सरकार को भी प्रोत्साहन करने की जरूरत है। उद्यमियों के साथ बैठकर उनके सुझाव लिए जाएं ताकि इंडस्ट्री को आगे बढ़ाया जा सके और युवाओं को जोड़ा सके। इंडस्ट्री जहां पर है वहीं समित है। औद्योगिक विकास को सरकार व उद्यमियों दोनों को मिलकर पहल करनी होगी।
जीआई टैग से दिलाई जाए पीतल मूर्ति इंडस्ट्री को पहचान
-अलीगढ़ से देशभर में मूर्तियों की सप्लाई होती है। देवी देवताओं के लेकर सजावटी आइटम अलीगढ़ में तैयार होते हैं। 20 से लेकर 25 फीट तक की मूर्तियां अलीगढ़ में तैयार होती हैं। देवी देवताओं से लेकर राजनेताओं, अभिनेता व अन्य पौराणिक स्थलों की मान्यता के अनुसार यहां पर आर्डर के अनुसार मूर्तियां तैयार की जाती हैं। लेकिन इसकी पहचान व क्रेडिट अलीगढ़ को नहीं मिल पाती है। जीआई टैग अभी तक पीतल मूर्ति इंडस्ट्री को नहीं मिला है। जीआई टैग का अलीगढ़ ब्रास एंड आर्टवेयर एसोसिएशन ने प्रस्ताव भी दिया है। जीआई टैग पर मुहर लगे तो अलीगढ़ की पीतल मूर्तियों को भी अलग पहचान मिले।
सदभाव का भी पर्याय है पीतल मूर्ति उद्योग
-पीतल मूर्ति निर्माताओं ने कहा कि अलीगढ़ की पीतल उद्योग सदभाव का भी प्रतीक है। यहां पर लक्ष्मी, गणेश, भगवान श्रीराम, बांकेबिहारी, लड़्डू गोपाल, बजरंगबली, भगवान शिव, पार्वती, मंदिर के मॉडल, दीपक, झूले, हाथी, बुद्ध की प्रतिमा बनती है। खास बात यह है कि देवी देवताओं की मूर्तियों को बनाने की शुरूआत वैश्य समाज व हिन्दू करते हैं और मूर्तियों को अंतिम रूप मुस्लिम समाज के लोग देते हैं। बड़ी संख्या में मुस्लिम कारीगर देवी देवताओं की मूर्तियों को अंतिम रूप देकर तैयार करते हैं। इसलिए पीतल मूर्ति उद्योग सदभाव का भी प्रतीक है।
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