0-सेवानिवृत्त फौजी ने पुलिस को दिए बयान
Aligarh News - सेवानिवृत्त फौजी मनोज ने डिप्रेशन और पारिवारिक कलह के चलते अपनी पत्नी सीमा, बेटे मानवेंद्र और किरायेदार शशिबाला की हत्या कर दी। वारदात के बाद उसने खुदकुशी का प्रयास किया, लेकिन भीड़ ने उसे पकड़ लिया।...
सेवानिवृत्त फौजी मनोज ने पुलिस को बयान दिया कि डिप्रेशन और पारिवारिक कलह के चलते अपनी पत्नी सीमा, बेटे और किरायेदार शशिबाला की हत्या कर दी। वारदात के बाद उसने खुद को खत्म करने का प्रयास किया, लेकिन भीड़ ने उसे पकड़ लिया। पुलिस के अनुसार मनोज ने बयान में कहा कि वह डिप्रेशन से जूझ रहा था। उसकी पत्नी सीमा उसे इलाज कराने के लिए दबाव डालती थी। घटना से तीन दिन पहले ही छुट्टी लेकर घर आया था। इसी बात पर पत्नी से उलझा। रिवाल्वर लेकर बाथरूम में बंद होकर खुदकुशी का प्रयास में नाकाम रहने पर उसने गुस्से में अपनी पत्नी, बेटे और किरायेदार शशिबाला की हत्या कर दी। मुकदमे की सुनवाई 29 जनवरी 2015 को शुरू हुई थी। इसमें 22 दस्तावेजी साक्ष्य व 16 बरामद साक्ष्य पेश किये गए।
0-बहनोई के मकान में किराए पर रहता था अभियुक्त
सेवानिवृत होने के बाद दंपति में सहमति बनी और वह केबल विहार में बहनोई के मकान में किराए पर परिवार को लेकर रहने लगा। बहनोई परिवार समेत गाजियाबाद में रहते हैं। बेटी ब्लूबर्ड स्कूल में तो बेटा ओएलएफ में तीसरी कक्षा में पढ़ता था। इसी मकान में खैर के गांव मऊ निवासी केपी सिंह अपनी पत्नी शशिवाला के साथ किराए पर रहते थे। वह पहले से पांच माह के बेटे की मां थी। वारदात से तीन माह पहले ही बेटे को जन्म दिया था।
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0-तिहरे हत्याकांड से दहल गया था इलाका
इस हत्याकांड ने इलाके को दहला दिया था। चौराहे पर भगदड़ मच गई थी। मकान में लोगों के जूते-चप्पल इधर उधर पड़े थे। चिल्लाते हुए भाग रहे कि फौजी ने कई को मार दिया है। बेटा मानवेंद्र डरकर बेड के नीचे छिपा था। इसके बाद पिता के पैरों में लिपट गया। पिता ने उसके सिर के बीच में गोली मार दी। बेटी कमरे में थी। आवाज सुनकर बाहर आई तो उसके जबड़े में गोली मार दी थी। वह नल के पास गिर गई थी। पुलिस आई तो एक कमरे में तीन शव पड़े थे। सीमा का शव बेड पर था। फर्श पर मानवेंद्र व शशिबाला का शव था। आंगन में खून बिखरा पड़ा था। बेटी ने गवाही में ये सब बताया था।
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फांसी की सजा सुनाए जाने के बाद जेल में शांत दिखा मनोज
वरिष्ठ अधीक्षक कारागार बृजेंद्र यादव ने बताया कि मनोज सामान्य बंदियों की तरह ही रहता था। लेकिन कभी कभी उसकी गतिविधियां कुछ ऐसी रहती थीं, जिससे लगता था कि वह मानसिक रूप से परेशान है। आक्रामक रुख में बातचीत करता था। जेल अस्पताल व मेडिकल कॉलेज में उपचार भी चल रहा था। शनिवार को फांसी की सजा सुनाए जाने के बाद जिला जेल पहुंचा तो शांत था। उसे विशेष निगरानी में रखा गया है। बाकी जरूरत हुई तो अदालत के निर्देश पर आगरा सेंट्रल जेल भी भेजा जा सकता है।
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अलीगढ़ में पांचवी बार सुनाई गई फांसी की सजा
अलीगढ़ में अदालतों से अब तक पांच बार फांसी की सजा हो चुकी है। 18 जनवरी 2025 को हुई सजा को लेकर पांच सजाएं फांसी की हो चुकी हैं। फांसी की सजा पर गौर करें तो लोधा के गांव ल्हौसरा में 1984 में हुए हत्याकांड में 1991 में एक दोषी को फांसी सुनाई गई थी। 1994 में तब अलीगढ़ जनपद का हिस्सा हाथरस के मुरसान के कमराबाग कांड में दो को मृत्युदंड सुनाया गया था। वहीं 2008 में देहली के एक लूट व दोहरे हत्याकांड में तीन दोषियों को मृत्युदंड सुनाया गया था। इसके बाद अब 2022 में देहली गेट के ही हिस्ट्रीशीटर नौशे व चंदा की हत्या में पांच लोगों को फांसी की सजा सुनाई गई।
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