खिलाड़ी भेदभाव में विश्वास नहीं करते : जफर इकबाल
अलर्ट खिलाड़ी भेदभाव में विश्वास नहीं करते : जफर इकबाल - ओएलएफ के स्पोर्ट्स मीट
अलर्ट खिलाड़ी भेदभाव में विश्वास नहीं करते : जफर इकबाल
- ओएलएफ के स्पोर्ट्स मीट में बतौर मुख्य अतिथि ओलंपियन जफर इकबाल
- एएमयू के अल्पसंख्यक दर्जे पर बोले, विवि से पहला ग्रेजुएट हिन्दू छात्र था
- महिला हॉकी में जीत पर बोले, भारतीय महिलाओं के लिए बड़ी उपलब्धि
- देश में महिलाओं पर जाति तबके नाम पर होती है बेहद पाबंदी, इसे खत्म करें
- क्रिकेट कॉमर्शियल खेल, मेडल से इसकी तुलना नहीं की जा सकती है।
- 202 देशों के बीच टॉप 10 में जगह बनाना भारत की बड़ी उपलब्धि
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अलीगढ़ । कार्यालय संवाददाता
किसी भी विवि में छात्रों से भेदभाव नहीं होता है। बतौर खिलाड़ी मैं किसी भेदभाव में विश्वास नहीं करता। सुप्रीम कोर्ट ने एएमयू के अल्पसंख्यक दर्जे को लेकर जो भी आदेश दिए हैं वह सुप्रीम कोर्ट के विचार हैं। यह बातें आवर लेडी फातिमा स्कूल के वार्षिक खेल उत्सव में पधारे ओलंपियन जफर इकबाल ने कही। उन्होंने महिला हॉकी टीम को जीत की बधाई दी। क्रिकेट कॉमर्शियल खेल, इसकी तुलना मेडल से नहीं की जा सकती है।
आवर लेडी फातिमा स्कूल के वार्षिक खेल उत्सव में पधारे ओलंपियन जफर इकबाल ने बेबाकी से एएमयू के अल्पसंख्यक दर्जे पर अपनी बात रखी। अल्पसंख्यक दर्जे पर बोले खिलाड़ी सिर्फ देश के लिए खेलता है। वह किसी से भेदभाव नहीं करता है। सुप्रीम कोर्ट ने तथ्यों के आधार पर फैसला दिया है। इसका मतलब यह नहीं किसी धर्म का छात्र विवि में पढ़ नहीं सकता है। एएमयू से पहला ग्रेजुएट छात्र भी हिन्दू ही था। ऐसे तो बीएचयू में भी मुस्लिम छात्र पढ़ाई करते हैं। उन्होंने महिला टीम की जीत पर बधाई दी। बोले महिला टीम पुरुषों की तुलना बेहतर प्रदर्शन कर रही है। महिलाओं के लिए यह आसान नहीं है। क्योंकि देश में महिलाओं को जाति, तबके नाम पर बहुत ही पाबंदी झेलनी पड़ती है। इतनी पाबंदी पुरुषों के लिए नहीं हैं। ऐसे में देश के लिए मेडल और ट्रॉफी लाना आसान नहीं है। ओलंपिक में गोल्ड मेडल नहीं आने पर बोले 220 देशों के बीच पांचवें और छठे स्थान पर आना भी उपलब्धि है। एक दिन फिर गोल्ड मेडल आएगा।
क्रिकेट की तुलना मेडल से नहीं
अलीगढ़ मुस्लिम विवि से पढ़ाई के बाद वह भारतीय हॉकी टीम के लिए खेले। वर्ष 1980 के मॉस्को ओलंपिक में भारत में स्वर्ण पदक जीता था। जिसका हिस्सा जफर इकबाल थे। उसके बाद एएमयू से ओलंपिक तक कोई खिलाड़ी नहीं पहुंच सका। क्रिकेट की तरह हॉकी को प्रसिद्धि नहीं मलने पर उन्होंने क्रिकेट को कॉमर्शियल खेल बताया। बोले पैसे की तुलना से मेडल से नहीं की जा सकती है। मेडल लाने वाला खिलाड़ी सिर्फ देश के लिए खेलता है। पैसे से मेडल नहीं आता। उन्होंने अलीगढ़ के युवाओं से मेहनत करने पर भरोसा रखने की सलाह दी।
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