मुगलकाल में बादशाह खेलते थे बांस की पिचकारी से होली
Aligarh News - मुगलकाल में होली का त्योहार धूमधाम से मनाया जाता था। बादशाहों ने बांस की पिचकारी से रंग खेला, जिसमें मवेशी के सींग में रंग भरकर फेंका जाता था। जहांगीर और मोहम्मद शाह जैसे बादशाहों के समय में इस प्रथा...

मुगलकाल में बादशाह खेलते थे बांस की पिचकारी से होली -जहांगीर काल में भी जहां द्वारा होली खेलने की कई कलाकृति मौजूद
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अलीगढ़। वरिष्ठ संवाददाता। होली रंगों का त्योहार है। इतिहास के पन्नों में भी होली के त्योहार जिक्र मिलता है। इतिहास की जानकार डा. वेदवती राठी बताती हैं कि मुगल शासन काल में बादशाहों को रंग से कोई परहेज नहीं था बल्कि प्यार था। इतिहास के पन्नों से पता चलता है कि मुगल शासन काल में मवेशी के सींग के खोल में रंग भरकर व बांस की पिचकारी से रंग फेंका जाता था। इसके बाद बादशाह जहांगीर के समय में बांस की पिचकारी बनाकर उसमें रंग भरकर वह अपने महल के दरबारी और राज्यों के साथ होली खेलते थे। बादशाह मोहम्मद शाह की भी होली खेलने का जिक्र इतिहास में मिलता है। इतिहास की कई पुस्तकों में देखने को मिलता है। जहांगीर काल के समय में जहांगीर द्वारा होली खेलने के कई पेंटिंग्स मौजूद हैं।
डा. वेदवती ने बताया कि प्लास्टिक का आविष्कार मुगल शासन काल में तो नहीं हुआ था। तब बांस की पिचकारी बनाकर उनका उपयोग किया जाता था। ग़ुलाल और रंगों को पानी में घोलकर बांस की पिचकारी में भरा जाता था। जिससे होली खेली जाती थी। यह प्रथा उस समय भी थी और यही प्रचलन आज भी है। कई मुगल पेंटिंग्स में बांस की पिचकारी से होली खेलते हुए दिखाया गया है। वहीं आज भी कई ऐसे मुस्लिम परिवार हैं जो होली का त्योहार मनाते हैं।
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