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प्राचीन ग्रंथों से मिलती है शोध- नवाचार की प्रेरणा : कुलपति

Aligarh News - एएमयू के संस्कृत विभाग और भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद ने 'काव्यशास्त्र पर भारतीय दर्शन का प्रभाव' पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी की शुरुआत की। कुलपति प्रो. नईमा खातून ने भारतीय ज्ञान परंपरा के...

Newswrap हिन्दुस्तान, अलीगढ़Mon, 7 April 2025 06:24 PM
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प्राचीन ग्रंथों से मिलती है शोध- नवाचार की प्रेरणा : कुलपति

- काव्यशास्त्र पर भारतीय दर्शन का प्रभाव संगोष्ठी का आगाज - जामिया मिलिया समेत कई विवि के कुलपति ने की शिरकत

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अलीगढ़ । कार्यालय संवाददाता

एएमयू के संस्कृत विभाग, भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में “काव्यशास्त्र पर भारतीय दर्शन का प्रभाव‘ विषय पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ सोमवार को किया गया। सत्र को संबोधित करते हुए एएमयू कुलपति प्रो. नईमा खातून ने कहा कि आज के समय में जब पूरी दुनिया ज्ञान, तकनीक और मूल्यों की नई दिशा खोज रही है। तब भारतीय ज्ञान परंपरा को विश्व में एक बार फिर से बहुत ध्यान से देखा जा रहा है।

उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति ने इस पर विशेष जोर दिया है कि भारतीय परंपराओं को पढ़ाई में शामिल किया जाए। प्रो. नईमा ने कहा कि आज जब हम आर्टिफिशियल इंटेलीजेन्स और आधुनिक तकनीक की बात कर रहे हैं, तब यह समझना जरूरी है कि हमारी प्राचीन ग्रंथों में भी तर्क, भाषा, भाव और बुद्धि की जो गहराई है, वह आज भी शोध और नवाचार के लिए प्रेरणा दे रही है। मुख्य अतिथि जामिया मिल्लिया इस्लामिया नई दिल्ली के कुलपति प्रो. मजहर आसिफ ने भारतीय दर्शन की मजबूत भावना पर जोर दिया और बताया कि कैसे यह हमारी सभ्यता की संरक्षक है। उन्होंने भगवान शिव के परिवार का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि कैसे भारत समय की कसौटी पर खरा उतरा है और वर्तमान समय में इकबाल की कविता में वर्णित एकता और विविधता का सबसे बड़ा उदाहरण पेश किया है। कालीकट विश्वविद्यालय के प्रो. सी. राजेंद्रन के उद्घाटन भाषण में भाषा और दर्शन के बीच संबंधों पर जोर दिया। दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो. वेद प्रकाश डिंडोरिया ने अपने बीज वक्तव्य में भारतीय दर्शन और काव्यशास्त्र के बीच गहरे संबंध के बारे में बात की और बताया कि कैसे दार्शनिक विचारों ने विभिन्न युगों में साहित्यिक अभिव्यक्ति को आकार दिया है। कार्यक्रम के आयोजन में डॉ. नाजिश बेगम, डॉ. कमर आलम, डॉ. गुलाम फरीद साबरी, डॉ. दीपशिखा, डॉ. आफताब आलम, डॉ. सदफ फरीद, बोधेंद्र कुमार, डॉ. जफर इफ्तेखार और डॉ. शगुफ्ता आदि का सहयोग रहा।

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