विशेष खबर: कैसा स्वतंत्रता सेनानियों का सम्मान, न गांव बसे न शिलालेख लगे
2022 में प्रदेश सरकार द्वारा जारी आदेशों के बावजूद स्वतंत्रता सेनानियों के नाम पर गांव और शिलालेख नहीं बनाए गए। अलीगढ़ और हाथरस के क्रांतिकारियों का योगदान महत्वपूर्ण था, लेकिन उनकी याद में कोई ग्राम...
विशेष खबर: कैसा स्वतंत्रता सेनानियों का सम्मान, न गांव बसे न शिलालेख लगे -2022 में प्रदेश सरकार की ओर से जारी किया गए थे आदेश
-जिलों में स्वतंत्रता सेनानी ग्राम विकसित व शिलालेख लगवाने थे
-सरकारी छात्रावासों, लैब का नाम भी स्थानीय स्वतंत्रता सेनानियों पर होना था
-अलीगढ़-हाथरस में 150 से ज्यादा स्वतंत्रता आंदोलन में कूदे थे क्रांतिकारी
अलीगढ़। सत्येन्द्र कुलश्रेष्ठ। स्वतंत्रता दिवस समारोह की हर तरफ धूम है। तमाम कार्यक्रमों में स्वतंत्रता सेनानियों को याद किया जा रहा है। ऐसे में स्थानीय विभिन्न विभागों के अधिकारी वर्ष 2022 में प्रदेश सरकार की ओर से जारी शासनादेश ही भुलाए बैठे हैं। जिसमें प्रत्येक जिले में स्वतंत्रता ग्राम सेनानी विकसित करने, शिलालेख लगवाने से लेकर तमाम कार्य कराए जाने के निर्देश दिए गए थे। हैरत की बात है कि स्वतंत्रता आंदोलन में अलीगढ़-हाथरस के सैकड़ों क्रांतिकारियों का योगदान रहा था लेकिन किसी के नाम का न कोई ग्राम विकसित हुआ है और न ही शिलालेख लगा।
अलीगढ़ की जमीं से ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ 1857 की क्रांति की शुरूआत होते हुए बगावत का बिगुल बज उठा था। उस दौर में तमाम क्रांतिकारियों ने अपने प्राणों की आहुति दी थी। महिला-पुरुष क्रांतिकारियों ने अंग्रेज अफसरों द्वारा दी गई यातनाएं झेली थीं। जिलेभर में आज भी इसके निशां मैाजूद हैं। इसके बाद रह-रहकर अंग्रेजों के खिलाफ फूंके गए आजादी के बिगुल में अलीगढ़ के क्रांतिकारियों ने बढ़ चढ़कर अपना योगदान दिया था। जिसका जिक्र अलीगढ़ के इतिहास से जुड़ी कई किताबों में आता है। इतिहास की जानकार डा. वेदवती राठी ने बताया कि अलीगढ़ से कई महान क्रांतिकारी निकले, जिनके नामों पर कुछ इमारतें आज भी बुलंद हैं। आजादी के अमृत महोत्सव की शुरूआत के समय वर्ष 2022 में तत्कालीन प्रमुख सचिव मुकेश मेश्राम की ओर से आदेश दिए गए थे। जिसमें अलग-अलग विभागों को कार्य करने थे। हैरत की बात है कि जिले में जो निर्देश दिए गए थे, उनमें एक, दो बिन्दुओं को छोड़कर किसी पर भी अमल नहीं किया गया। डीपीआरओ विभाग के अनुसार जिले में कोई स्वतंत्रता संग्राम सेनानी गांव नहीं है। उधर भाजपा नेता राजेन्द्र चीफ ने बताया कि यह स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का अपमान है। इस संबंध में मुख्यमंत्री से शिकायत की जाएगी।
0-किस विभाग के लिए क्या थे आदेश
शिक्षा विभाग-विभाग के अर्न्तगत निर्मित कराए जाने वाले छात्रावासों, लैब का नाम स्थानीय स्वतंत्रता सेनानियों के नाम पर रखा जाना
नगर विकास-जनपद में सड़कों, पार्कों, चौराहों व आवास योजनाओं का नामकरण स्थानीय स्वतंत्रता सेनानियों पर रखना
ग्राम्य विकास-यूपीआरआरडीएम द्वारा गांव को सड़क से जोड़ने वाली लिंक रोड का नामकर
लोक निर्माण-शहीद स्मारकों, शहीदों के गांवों तक सड़कों आदि का निर्माण
पंचायती राज-ग्राम सचिवालयों का नामकरण करना
जिला प्रशासन-नगर, ब्लॉक, तहसील में स्थापित विद्यालयों का नामकरण करना, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी ग्रामों को विकसित करना
0-वर्जन
वर्ष 2022 में शासन स्तर से जो स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को लेकर दिशा-निर्देश जारी किए गए थे, उन पर कितना अमल किया गया, इस पर संबंधित विभागों से रिपोर्ट मांगी जाएगी।
-विशाख जी. , डीएम
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