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सर सैय्यद डे: 43 साल बाद एएमयू में आकर पुरानी यादों में खो गए दिल्ली पुलिस कमिश्नर

दिल्ली पुलिस कमिश्नर आईपीएस अजय चौधरी ने 43 साल बाद एएमयू में सर सैय्यद डे पर अपने छात्र जीवन की यादें साझा की। उन्होंने कहा कि सर सैय्यद एक अवतार की तरह थे। चौधरी ने अपने अनुभवों और पुराने दोस्तों का...

Newswrap हिन्दुस्तान, अलीगढ़Thu, 17 Oct 2024 08:07 PM
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सर सैय्यद डे: 43 साल बाद एएमयू में आकर पुरानी यादों में खो गए दिल्ली पुलिस कमिश्नर -आईपीएस अजय चौधरी सर सैय्यद डे पर विशेष अतिथि के रूप में आए

-कहा, हिन्दू धर्म के अनुसार कहा जाए तो सरसैय्यद एक अवतार की तरह थे

-1981 में एएमयू में पढ़ाई करते समय की यादों को मंच से किया साझा

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अलीगढ़। वरिष्ठ संवाददाता। सुकून-ए-दिल के लिए कुछ तो एहतमाम करूं...और जरा नजर जो मिले फिर उन्हें सलाम करूं, मुझे तो होश नहीं आप मशवरा दीजिए, कहां से छेडूं फंसाना कहां तमाम करूं...इस शायरी के साथ गुरूवार को सरसैय्यद डे के समारोह में शामिल हुए दिल्ली पुलिस कमिश्नर अजय चौधरी ने अपने उद्बबोधन की शुरूआत की। 43 साल पहले इसी तालीमी इदारे में पढ़ने आ चुके पुलिस कमिश्नर पुरानी यादों में खो गए। जिसका जिक्र भी मंच से कभी शायराना तो कभी मजाकिया अंदाज में किया।

सरसैय्यद डे के मानद अतिथि व दिल्ली पुलिस के विशेष आयुक्त (यातायात) ने कहा कि एक समय था जब मैं भी आप लोगों के बीच बैठा करता था। सुलेमान हॉल के कमरा नंबर-36 में रहने वाले यह शख्स कभी इस तरह से मंच से सरसैय्यद डे के कार्यक्रम को संबोधित करेगा। यह मैने कभी नहीं सोचा था। इस शहर अलीगढ़ में मेरा बचपन बीता है। पहली बार 15 साल की उम्र में 1981 के करीब अपने वालिद के साथ बस स्टैंड से रिक्शे में बैठकर एएमयू आया था। यहां से तालीम हासिल कर इस मुकाम तक पहुंचा। एएमयू सिर्फ ईंट और गारे की इमारत नहीं है, हम इसकी तुलना दुनिया के किसी अन्य संस्थान से नहीं कर सकते। इसके जर्रे-जर्रे में एहसास, जज्बात हैं। उन्होंने सरसैय्यद के विषय में कहा कि वह युगपुरूष ही नहीं बल्कि हिन्दू धर्म के अनुसार कहा जाए तो वह एक अवतार की तरह थे।

0-दंगों की आग में भी नहीं छोड़ा था हॉस्टल

विशेष आयुक्त यातायात ने अपनी पढ़ाई के दौर का जिक्र करते हुए कहा कि एक समय था जब दंगों का माहौल था, तब एएमयू में ऐलाना किया गया कि सभी छात्र हास्टल खाली कर अपने-अपने घर चले जाएं। तब मेरे साथियों ने कहा कि अजय तुम घर चले जाओ लेकिन मैं नहीं गया। तब मेरे साथियों ने मेरा साथ देते हुए काफी मदद की थी।

0-छात्रों से कहा, आप सुधर गए या डराया जा रहा

विशेष आयुक्त ने छात्रों से मजाकिया अंदाज में कहा कि एएमयू में रहते हुए तो हमने बोलना सीखा। आज आपकी सादगी को देखते हुए लग रहा है कि आप लोग सुधर गए हैं या फिर आपको डराया जा रहा है। इस पर खूब तालियां बजीं। इसके अलावा अलीगढ़ में रहते हुए चाय के खोखो पर रात बिताना, दोस्तों के साथ गप्पे लड़ाने की बातों को भी साझा किया।

0-मुख्तार मियां, युनूस को नहीं भुला सकूंगा

अजय चौधरी ने कहा कि एक बार का वाक्या है कि मेरा सेलेक्शन एक कोर्स में नहीं हो पाया था। तब हॉस्टल के मुख्तार मियां व युनूस ने काफी हौंसला अफजाई की थी। यहां के दोसत भी मेरे लिए यादगार हैं। उन्होंने इस शेर शाम दर शाम जलेंगे, तेरी यादों के चिराग, नस्ल दर नस्ल तेरा दर्द नुमाया होगा सुनाते हुए अपना उद्बबोधन समाप्त किया।

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