1957 से अब तक चार बार उपचुनाव, सत्ताधारी दल का ही रहा दबदबा
अलीगढ़ में 1957 से अब तक चार बार उपचुनाव हुए हैं, जिसमें सत्ताधारी दल का दबदबा रहा है। इगलास विधानसभा सीट पर सबसे ज्यादा तीन बार उपचुनाव हुए हैं। 2004 में बसपा प्रत्याशी मुकुल उपाध्याय और 2019 में...
1957 से अब तक चार बार उपचुनाव, सत्ताधारी दल का ही रहा दबदबा -2004 में इगलास सीट पर सपा सरकार में पहली बार बसपा प्रत्याशी बने थे विधायक
-2004 में ही अतरौली सीट पर आरकेपी से पूर्व सीएम कल्याण सिंह की पुत्रवधू जीती थीं
-2019 में भाजपा सरकार में भाजपा प्रत्याशी राजकुमार सहयोगी ने दर्ज कराई थी जीत
अलीगढ़। वरिष्ठ संवाददाता। जिले में अब तक हुए उपचुनाव की बात करें तो जिसकी सत्ता उसका ही दबदबा रहता आया है। 1957 से अब तक चार बार उपचुनाव के हालात अलग-अलग विधानसभा सीटों पर बने हैं। जिसमें सत्ताधारी पार्टी के प्रत्याशी को हराते हुए दो बार निर्दलीय व दूसरे राजनीतिक दल के प्रत्याशी जीत पाए। दो बार सबसे ज्यादा सत्ताधारी दल का ही दबदबा रहा है।
जिले में इगलास विधानसभा सीट ही ऐसी सीट है, जिस पर सबसे ज्यादा तीन बार उपचुनाव हुए हैं। सबसे पहले 1957 में उपचुनाव के हालात बने, उस समय देश में कांग्रेस की सत्ता थी। तब इस सीट पर सत्ताधारी दल के प्रत्याशी को हराते हुए निर्दलीय लीडर लख्मी सिंह ने जीत दर्ज कराई थी। इसके बाद 2004 में इगलास सीट पर फिर से उपचुनाव के हालात बने। दरअसल तत्कालीन विधायक चौ. बिजेन्द्र सिंह ने लोकसभा चुनाव में सांसद सीट पर जीत दर्ज कराई थी। उनके चुनाव जीतने के बाद उपचुनाव के हालात बने। तब प्रदेश में सपा, रालोद व आरकेपी समर्थित सरकार थी। वहीं मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव थे। तब इस उपचुनाव में पूर्व ऊर्जा मंत्री रामवीर उपाध्याय के छोटे भाई मुकुल उपाध्याय बसपा की टिकट पर 11 हजार वोटों से जीते थे। 2019 में एक बार फिर से इस सीट से विधायक राजवीर दिलेर को भाजपा ने हाथरस लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ाया था। वह चुनाव भी जीते, जिसके चलते इगलास में उपचुनाव हुए। तब भाजपा प्रत्याशी राजकुमार सहयोगी ने जीत दर्ज कराई थी। तब प्रदेश में भाजपा की ही सरकार थी।
0-खैर सीट पर पहली बार उपचुनाव
जाट लैंड खैर सीट पर अब तक के इतिहास में पहली बार उपचुनाव हो रहा है। इससे पहले कभी यहां उपचुनाव नहीं हुए। अब शनिवार को नतीजे यह तय करेंगे कि सत्ताधारी दल के हिस्से में जीत आती है या फिर विपक्षी दल के खाते में।
0-अतरौली में पूर्व सीएम कल्याण सिंह के सांसद बनने पर हुए थे उपचुनाव
अतरौली विस सीट पर वर्ष 2004 में पहली बार उपचुनाव के हालात बने थे। 2002 के चुनाव पूर्व सीएम कल्याण सिंह अपनी राष्ट्रीय क्रांति पार्टी से लोकसभा का लड़े और बंपर वोटों से जीते थे। इस दौरान अतरौली सीट पर उपचुनाव हुआ। इस चुनाव आरकेपी की टिकट पर पूर्व सीएम की पुत्रवधू प्रेमलता वर्मा चुनाव लड़ी और जीती थीं। तब प्रदेश में आरकेपी समर्थित सरकार थी।
इगलास सीट का इतिहास
1952 में निर्दल किशोरी रमन सिंह
1957 में निर्दल बाबू शिवदान सिंह
- उप चुनाव में निर्दल लीडर लख्मी सिंह
1962 में कांग्रेस से बाबू शिवदान सिंह
1967 में कांग्रेस से मोहनलाल गौतम
1969 में बीकेडी से गायत्री देवी पत्नी चौ. चरण सिंह
1974 में बीकेडी से चौ. राजेंद्र सिंह
1977 में जेएनपी से चौ. राजेंद्र सिंह
1980 में जेएनपी (एससी) से चौ. राजेंद्र सिंह
1985 में लोकदल से चौ. राजेंद्र सिंह
1989 में कांग्रेस से चौ. बिजेंद्र सिंह
1991 में लोकदल से डॉ. ज्ञानवती पुत्री चौ. चरण सिंह (मध्यावधि चुनाव)
1993 में कांग्रेस से चौ. बिजेंद्र सिंह
1996 में भाजपा से चौ. मलखान सिंह
2002 में कांग्रेस से चौ. बिजेंद्र सिंह
2004 में बसपा से मुकुल उपाध्याय (उप चुनाव)
2007 में रालोद से चौ. विमलेश सिंह पत्नी मलखान सिंह
2012 में रालोद से त्रिलोकीराम दिवाकर
2017 में भाजपा से राजवीर सिंह दिलेर
2019 में भाजपा से राजकुमार सहयोगी (उप चुनाव)
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