औरंगजेब की हत्या गैरइरादतन..पुलिस की चार्जशीट दाखिल
औरंगजेब की हत्या गैरइरादतन..पुलिस की चार्जशीट दाखिल सब हेड... मामू भांजा के बहुचर्चित प्रकरण
अलीगढ़। महानगर के अतिसंवेदनशील मामू भांजा रंगरेजान में 18 जून की देर रात फरीद उर्फ औरंगजेब की हत्या गैरइरादतन थी। यह तथ्य पुलिस ने विवेचना और फॉरेंसिक टीम द्वारा क्राइम सीन रिक्रियेशन के आधार पर माना है। इसी आधार पर मंगलवार को पुलिस ने गैर इरादतन हत्या की धारा में चार्जशीट दायर की है। सीजेएम न्यायालय में दायर चार्जशीट को स्वीकारते हुए अग्रिम प्रक्रिया के लिए 20 तारीख नियत कर दी है। ये घटना इसी वर्ष18 जून की देर रात की है। घटना का मुकदमा घास की मंडी रंगरेजान निवासी मृत युवक औरंगजेब के भाई ने गांधीपार्क थाने में दर्ज कराया था। जिसमें कहा था कि उनका भाई रोटी बनाकर लौट रहा था। तभी उसे नामजदों ने गैर समुदाय का होने के चलते सामूहिक रूप से भीड़ हिंसा के तहत घरकर पीटा। जब उन्हें खबर मिली और मौके पर पहुंचे तो उसे मरणासन्न हालत में जिला अस्पताल लेकर गए। जहां उसे मृत घोषित कर दिया। वहं नामजद पक्ष का आरोप था कि वह डिंपी अग्रवाल के घर में चोरी के इरादे से घुसा था। वहां देख लिए जाने पर झीने से उतरते समय पैर फिसलने पर गिरकर जख्मी हुआ। पुलिस उसे अपने साथ घायल अवस्था में लेकर गई। जिला अस्पताल में मृत घोषित किया गया। इसी आधार पर आरोपी पक्ष ने मृत औरंगजेब, उसके भाई आदि साथियों पर घर में लूट करने, महिलाओं से अभद्रता करने के आरोप में मुकदमा दर्ज कराया था। आरोपी पक्ष की ओर से दर्ज मुकदमे पर हाईकोर्ट ने सरकार से सवाल पूछा है और उसके भाई की गिरफ्तारी पर रोक लगाई है।
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फॉरेंसिक टीम ने दी अपनी ये राय
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में कुल 21 चोटों का उल्लेख औरंगजेब के शव पर किया। जिसमें खुरसट जैसी चोटें सामने के हिस्से पर व पिछले हिस्से में पसलियां टूटने जैसी चोटों का उल्लेख है। इधर, इस मामले में संयुक्त निदेशक फॉरेंसिक ने क्राइम सीन रिक्रियेट करने के लिए एक टीम बनाई। जिसमें आगरा के वैज्ञानिक सुधीर गुप्ता, शुभम माना, फोटोग्राफर धर्मेंद्र सिंह, अलीगढ़ की डा.पुनीता श्रीवास्तव, रविकांत, युवराज के अलावा थाना प्रभारी शामिल रहे। मौके पर 25 अगस्त को शव का डमी लेकर सीढ़ियों से कईबार गिराया गया। साथ में बरामद साक्ष्यों व पोस्टमार्टम रिपोर्टका परीक्षण किया गया। इसके आधार पर आईं 21 चोटों, पिछले हिस्से में पसलियां टूटना, अत्यधिक रक्तस्राव आदि का अध्ययन किया। जिसमें पाया कि शरीर सीढ़ियों से तेज गति से गिरा होगा और कठोर सीढ़ियों से टकराने से विभिन्न चोटों व घिसाव-रगड़ का आना संभव है। सीढ़ियों के गिरने से चोटों की संभावना नहीं नकारी जा सकती। बाकी चोटों के संबंध में राज्य मेडिकोलीगल एक्सपर्टसे भी राय ली जा सकती है।
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इस आधार पर दायर की चार्जशीट
इस मामले में पुलिस विवेचक एसओ गांधीपार्क शिवप्रताप सिंह ने मोबाइल सर्विलांस, सीसीटीवी फुटेज, सोशल मीडिया पर वायरल हुए मारपीट के वीडियो आदि के साथ-साथ जिला अस्पताल की मेडिकल रिपोर्ट, पोस्टमार्टम रिपोर्ट के साथ साथ फॉरेंसिक टीम की रिपोर्टको आधार बनाया है। इसी आधार पर करीब 150 पेज सेअधिक की अपनी चार्जशीट मंगलवार को न्यायालय मेंदाखिल की है।
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-मामू भांजा प्रकरण में औरंगजेब की हत्या से जुड़े मामले में विवेचनात्मक साक्ष्यों, फॉरेंसिक रिपोर्ट आदि के आधार पर मंगलवार को न्यायालय में चार्जशीट भेज दी गई है। बाकी अन्य मुकदमे में विवेचना प्रचलित है।-संजीव सुमन, एसएसपी
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अगले दिन हुआ था बवाल
इस घटना के बाद उसी रात सपा ने जिला अस्पताल पर जमकर हंगामा किया था। अगले दिन आरोपियों की गिरफ्तारी पर भाजपा व व्यापारी लामबंद हुए थे। भाजपाइयों ने गैर इरादतन हत्या में मुकदमा दर्ज किए जाने की मांग उठाई थी। फिर कईिदन तक राजनीतिक तना तनी रही और भाजपा व्यापारियों के पक्ष में, जबकि विपक्ष मृतक परिवार के पक्ष में लामबंद रहा।
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ये किए गए थे नामजद--
-राहुल मित्तल, अंकित वाष्र्णेय, चिराग वाष्र्णेय, रिशव पाठक, अनुज अग्रवाल, मोनू पाठक, पंडित विजयगढ़ वाला, कमल बंसल उर्फ चौधरी, डिंपी अग्रवाल दस बारह अज्ञात
--इन जेल जाने वालों पर चार्जशीट--
-अंकित वाष्र्णेय, डिंपी अग्रवाल, चिराग वाष्र्णेय, जयगोपाल, कमल बंसल, राहुल मित्तल
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--इन दो धाराओं में बदलाव--
-ये मुकदमा धारा 341, 147 148 149, 302, 34 में लिखा था, जिसमें से सामूहिक मंशा की धारा ३४ हटाई यानि लोप किया गया है, जबकि हत्या की धारा 302 हटाकर उसे 304 यानि गैर इरादतन हत्या में बदला गया है। बाकी बंधक बनाने, एक राय होकर हमलावर होने की धाराएं यथावत रखी गई हैं।
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90 दिन में चार्जशीट जाने का नियम
किसी भी मुकदमे में आरोपी के जेल जाने के 90वें दिन तक चार्जशीट दाखिल करना कानूनन जरूरी होता है। उसी क्रम में 19 जून को आरोपी जेल गए और 90 दिन पूरे होने से पहले चार्जशीट दायर कर दी।
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