नुमाइश... संस्कृति-सौहार्द और मनोरंजन का महाकुंभ
Aligarh News - नुमाइश... संस्कृति-सौहार्द और मनोरंजन का महाकुंभ फोटो- - नए स्वरूप में ढली 144 साल पुरानी
नुमाइश... संस्कृति-सौहार्द और मनोरंजन का महाकुंभ फोटो-
- नए स्वरूप में ढली 144 साल पुरानी नुमाइश का कल होगा विधिवत उद्घाटन
- अश्व प्रदर्शनी के रूप में रखी गई थी अलीगढ़ नुमाइश की नींव
- प्रदेशभर के ओडीओपी उत्पाद इस बार दर्शकों को खूब लुभाएंगे
लोकेश शर्मा, अलीगढ़। नुमाइश... संस्कृति-सौहार्द और मनोरंजन का महाकुंभ। प्रयागराज में 144 साल बाद अद्भुत संयोग से महाकुंभ सजा है। अलीगढ़ की ऐतिहासिक नुमाइश भी इस बार 144 साल बाद एक नए स्वरूप में नजर आएगी। यह सिर्फ एक आयोजन नहीं बल्कि, एक सदी से भी अधिक पुरानी विरासत है, जो हर साल नई ऊर्जा और उत्साह के साथ दर्शकों का स्वागत करती है। इसने अंग्रेजों की गुलामी देखी, आजादी का जश्न मनाया और हर दौर में बदलते भारत की तस्वीर बनाई। साहित्य, संस्कृति और कला के मेल से सजी-धजी नुमाइश सिर्फ उत्सव नहीं, एक अनुभव है। झूले, सर्कस, नौटंकी, बाजारों की चहल-पहल और देशभर से आए अनोखे शिल्प इसके हर कोने को जीवंत बनाते हैं। ये वही पुरानी पर, हर बार नई आपकी अपनी नुमाइश है, जो दो फरवरी से फिर नए रूप-रंग के साथ आयोजित हो रही है। इस महाकुंभ के संगम में हर कोई गोता लगाने को बेसब्र है।
अलीगढ़ में ‘अश्व प्रदर्शनी के रूप में नुमाइश की नींव रखी गई थी। 1880 में राजा हरनारायण ने ‘अलीगढ़ डिस्ट्रिक्ट फेयर नाम देकर इसकी पहचान को विस्तार दिया। 1886 में स्वरूप बदलकर ‘राजकीय औद्योगिक व कृषि प्रदर्शनी बनी। 145 वर्षों के इस सफर में नुमाइश ने न सिर्फ अपना नाम बदला बल्कि, हर साल नई यादें, नई कहानियां अपने साथ जोड़ीं। 1914 में कलक्टर डब्ल्यूएस मैरिस ने दरबार हाल बनवाया, जिसने इसे एक संगठित रूप दिया। 1947 में आजादी के बाद तत्कालीन डीएम केके दास ने आयोजन समिति बनाई और 1952 में डीएम केसी मित्तल के नाम पर मुख्य द्वार ‘मित्तल गेट का निर्माण कराया गया। नुमाइश की कहानी भव्यता और परंपरा तक सीमित नहीं है। 1979 में इसने दंगों का दर्द भी सहा। हालांकि, उत्साह और जीवंतता ने इसे संजीवनी दी। पांच साल के विराम के बाद 1984 में इसकी रंगीनियों ने एक बार फिर लोगों को अपनी ओर खींचा। मनोरंजन का दौर फिर से शुरू हुआ। आज इसका हर कोना, दरबार हाल, लालताल, नीरज शहरयार पार्क, कृष्णांजलि और कोहिनूर मंच इसके भव्य स्वरूप को दर्शाता है। प्रदेशभर के ओडीओपी उत्पाद इस बार खूब लुभाएंगे। दर्शक जब यहां आएंगे तो इसकी रौनक, खुशबू और आवाज उनके दिल को छू लेगी।
......
सज-धज कर तैयार हो रही नुमाइश
नुमाइश एक बार फिर सजी-धजी दर्शकों के स्वागत के लिए तैयार हो रही है। रंगीन झूले, सर्कस के करतब, नौटंकी की गूंज और मौत के कुएं की रोमांचक झलकियां उत्साह से भर देंगी। जादूगर की अद्भुत कलाकारी और सांस्कृतिक मंचों पर प्रस्तुत होने वाले रंगारंग कार्यक्रम हर शाम को खास बना देंगे। यहां बाजारों की रौनक भी कुछ कम नहीं होगी। खजला, हलवा-पराठा, बरूले और नान खटाई का स्वाद हर बार फिर से लौटने पर मजबूर कर देगा। यहां सिर्फ मनोरंजन नहीं बल्कि, भारतीय संस्कृति और परंपराओं की झलक भी मिलेगी। बरेली का सुरमा, लखनवी कुर्ते, कश्मीरी शाल और कालीन नुमाइश के आकर्षण का हिस्सा होंगे। हर साल देश के अलग-अलग हिस्सों से आए शिल्पकार इसकी शोभा बढ़ाते हैं और विविधता में एकता का संदेश देते हैं।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।