अखिलेश यादव ने महाकुंभ पर किया ट्वीट, बोले सभी तीर्थयात्रियों के लिए हो ये इंतजाम
- अखिलेश यादव ने इसके पहले एक वीडियो शेयर कर नदियों से छेड़छाड़ का भी आरोप लगाया था। उन्होंने कहा कि इतिहास गवाह रहा है कि नदियां अपने मार्ग को स्वयं बनाकर चलती हैं। इस भौगोलिक सत्य को स्वीकार करते हुए, नदियों के बहाव से छेड़छाड़ करना पर्यावरणीय अपराध है।

Akhilesh Yadav on Mahakumbh 2025: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव महाकुंभ को लेकर ट्वीट किया है। उन्होंने लिखा-' सीधी मांग : तीर्थयात्रियों की सुविधा के लिए भोजन और सिर पर साये की व्यवस्था की जाए।' एक अन्य ट्वीट में उन्होंने लिखा- 'नदी किनारे प्यासे लोग कह रहे हैं: बिन पानी सब सून!' सपा प्रमुख ने अपने ट्वीट के साथ एक वीडियो भी पोस्ट किया है। इसके पहले एक अन्य ट्वीट में उन्होंने महाकुंभ में आए तीर्थयात्रियों का स्वागत करते हुए उन्हें शुभकामनाएं दी थीं।
सोशल मीडिया प्लेटफार्म 'एक्स' पर अखिलेश यादव ने लिखा था-'महाकुंभ में आए सभी तीर्थयात्रियों का हार्दिक स्वागत एवं अभिनंदन और सबकी तीर्थयात्रा के सफलतापूर्वक संपन्न होने के लिए अनंत शुभकामनाएं!' उन्होंने कल यानी 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा के मौके पर महाकुंभ को लेकर भाजपा सरकार पर निशाना साधा था। उन्होंने कहा था कि जो दुनिया को किनारे लगाते हैं भाजपा ने उन्हें ही किनारे कर दिया। जिनका जीवन नाव चलाना है और उसी से घर चलाना है, वो नाविक भाजपा सरकार से पूछ रहे हैं कि आपही बताएं कि इन हालातों में हमारा कहां ठिकाना है?
यह भी पढ़ें: महाकुंभ पर चंद्रशेखर के 'पापी' वाले बयान को लेकर विवाद तेज, शंकराचार्य बोले-ऐसी पुण्यात्मा का तो…
नदियों से छेड़छाड़ का भी लगा चुके हैं आरोप
इसके पहले अखिलेश यादव ने इसके पहले एक वीडियो शेयर कर नदियों से छेड़छाड़ का भी आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि इतिहास गवाह रहा है कि नदियां अपने मार्ग को स्वयं बनाकर चलती हैं। ये प्राकृतिक बहाव नदियों की निरंतरता के लिए, अपने आप बनाया हुआ रास्ता होता है। इस भौगोलिक सत्य को स्वीकार करते हुए, नदियों के बहाव से छेड़छाड़ करना पर्यावरणीय अपराध है।
प्रयागराज महाकुंभ में गंगा जी में ड्रेजर मशीन लगाने का मक़सद केवल अपने लोगों को ठेका देना और उनके ज़रिए भ्रष्टाचार से पैसा कमाना है। नदियाँ किस जगह आकर मिलेंगी, ये प्रकृति पर छोड़ देना चाहिए, उसके लिए मनमानी करना और ज़बरदस्ती करके बहाव को बदलना अनुचित भी है और अवांछनीय भी। ऐसा करने से गंगा जी के जल-जीव-जंतु की जैविकी और प्राकृतिक पारिस्थितिक संतुलन पर बुरा असर होगा।