जब कहा गया इनको मारो जूते चार तब साधु-संत कहां थे; मठाधीश और माफिया की तुलना पर अखिलेश अड़े
- समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव मठाधीशों से माफिया की तुलना वाले अपने बयान का बचाव किया है और कहा है कि जब यह कहा गया था कि इनको मारो जूते चार तब ये साधु-संत कहां थे।
समाजवादी पार्टी (एसपी) के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने माफिया से मठाधीशों की तुलना करने पर विवाद के बीच अपने बयान का बचाव किया और कहा कि जब ये कहा गया था कि इनको मारो जूते चार तब ये साधु-संत कहां थे। अखिलेश ने कहा कि साधुओं और संतों को तब भी विरोध करना चाहिए था जब किसी नेता ने कहा था कि इनको मारो जूते चार। गूगल पर मठाधीश का विवरण देखने की सलाह देकर अखिलेश ने पूछा कि क्या ये लोग गूगल के खिलाफ धरना देंगे, क्या ये लोग गूगल का पुतला फूंकेंगे?
अखिलेश ने सुलतानपुर के विवादित मंगेश यादव एनकाउंटर को लेकर एक संवाददाता सम्मेलन में कहा था कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की सरकार ने इतने एनकाउंटर किए हैं कि उसने इसे मुठभेड़ की राजधानी बना दिया है। ऐसा कोई नहीं है जो यह नहीं जनता हो कि बीजेपी की सरकार में फर्जी मुठभेड़ हो रहे हैं, हत्याएं हो रही हैं। अखिलेश ने इसी बयान में आगे जोड़ दिया था- “मठवासियों और माफिया में ज्यादा फर्क नहीं होता।”
मठाधीश और माफिया में ज्यादा फर्क नहीं होता, अखिलेश यादव का सीएम योगी पर बड़ा हमला
जाहिर तौर पर अखिलेश जब बाबा, मठवासी जैसे विशेषण का इस्तेमाल करते हैं तो उनके निशाने पर भाजपा के नेता और राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ होते हैं। योगी राजनीति में सक्रियता से पहले और आज भी गोरखपुर के गोरक्षपीठ के प्रमुख हैं। योगी राज्य के सीएम के साथ ही साथ गोरक्षपीठाधीश्वर की पदवी भी धारण करते हैं। मठ के लोगों की माफिया से तुलना करने पर साधु-संत समेत भाजपा नेताओं ने अखिलेश के बयान का विरोध किया है। भाजपा के कार्यकर्ताओं ने तो अखिलेश का पुतला भी जलाया है।
मुख्तार और अतीक को गोद में बिठाने वाले क्या जानेंगे मठाधीश और माफिया का अंतर, अखिलेश के बयान पर भड़के साधु-संत
लखनऊ में सपा कार्यालय में हिन्दी दिवस कार्यक्रम के दौरान मीडिया ने जब इस विवाद को लेकर उनका पुतला जलाने की चर्चा की अखिलेश ने बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) के संस्थापक नेता रहे काशीराम द्वारा 90 के दशक में दिए राजनीतिक नारे- तिलक, तराजू और तलवार, इनको मारो जूते चार- के अंतिम हिस्से का जिक्र किया और सवाल उछाल दिया कि जब ये नारा दिया गया तब साधु-संतों ने क्यों विरोध नहीं किया।