अखिलेश यादव ने ‘वक्फ’ पर सरकार से मांगी गारंटी, सपा प्रमुख क्या बोले
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने ‘वक्फ’ पर सरकार से गारंटी मांगी। उन्होंने कहा कि गुरुवार को सुबह ट्वीट कर कहा कि बोर्ड का यह सब संशोधन दिवस एक बहाना है। रक्षा, रेल, नजूल लैंड की तरह जमीन बेचना निशाना है।
केंद्र की मोदी सरकार आज मुस्लिम वक्फ बोर्ड को नियंत्रित करने के लिए कानून में संशोधन विधेयक लोकसभा में पेश करेंगे। इस बीच समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने आरोप लगाया है कि सरकार बोर्ड की संपत्ति हड़पने के लिए ऐसा करने जा रही है। अखिलेश यादव ने गुरुवार को सुबह ट्वीट कर कहा कि बोर्ड का यह सब संशोधन दिवस एक बहाना है। रक्षा, रेल, नजूल लैंड की तरह जमीन बेचना निशाना है।
अखिलेश यादव ने कहा कि वक्फ बोर्ड की जमीन है, डिफेंस लैंड, रेलवे लाइन, नजूल लैंड के बाद भाजपाइयों के लाभार्थ योजना की संख्या में कड़ी मात्र है। भाजपा क्यों नहीं खुलकर लिख देती है। भाजपाई हित में जारी है। इस बात की लिखकर गारंटी दी जाए वक्फ की जमीन बेची नहीं जाएगी। भाजपा रियल एस्टेट कंपनियों की तरह काम कर रही है। उसने अपने नाम में जनता के स्थान पर जमीन लिखकर नया नामांकन कर देना चाहती है। ‘वक़्फ़ बोर्ड’ का ये सब संशोधन भी बस एक बहाना है रक्षा, रेल, नज़ूल लैंड की तरह ज़मीन बेचना निशाना है।
इससे पहले अखिलेश ने बुधवार को जारी बयान में कहा है कि सरकार बताए लगातार बढ़ते ‘जीएसटी कलेक्शन, कई ‘ट्रिलियन डॉलर की इकॉनमी’ का पैसा कहां जा रहा है? अरबों के जहाज और टपकते भवनों के लिए तो पैसा है, लेकिन सही मायने में सरकार को चलाने वाले कर्मचारियों के लिए नहीं। एक तरफ महंगाई का बढ़ना दूसरी तरफ महंगाई भत्ता न मिलना, सीमित आय वाले कर्मचारियों पर दोहरी मार है। घर की चिंता जब सिर पर हावी होगी, तो कार्य-क्षमता पर भी असर होगा, जिसका खामियाजा सरकार को भुगतना पड़ेगा। भाजपा की सरकारें वैसे भी चुनाव लड़ती हैं, काम तो करती नहीं हैं और जो काम करते हैं, उनको उचित वेतन नहीं देतीं।
उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार बुजुर्गों की भी सगी नहीं है, जिनके दवा-देखभाल के खर्चे तो बढ़ रहे हैं लेकिन पेंशन नहीं। अब क्या सरकार ये चाहती है कि वरिष्ठ नागरिक ‘पेंशन के लिए अनशन’ करें। रेलवे की छूट बंद करके वैसे भी भाजपा ने वरिष्ठ नागरिकों का अपमान-सा किया है। भाजपा सरकार को असमानता फैलाने और आर्थिक शोषण को बढ़ावा देने में महारत है। उसकी आर्थिक नीतियों से अमीरों का पोषण और खासकर मध्यम वर्गीय परिवारों के शोषण का रास्ता खुलता है।