Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़aids came under control but homosexuals again increased threat two and a half times increase in 1 year

एड्स काबू में आया पर समलैंगिकों ने फिर खतरा बढ़ाया, 1 साल में ढाई गुना उछाल

  • मेडिकल कालेज में संक्रमित समलैंगिंकों से काउंसलिंग में पता चला है कि यह समुदाय कम्यूनिटी नेटवर्क बना रहा है। इसमें सभी सदस्य समलैंगिंक होते हैं। वे अपने पार्टनर के साथ कम्यूनिटी नेटवर्क में शामिल होते हैं। नेटवर्क के सदस्य गोरखपुर और बस्ती मंडल में फैले हैं। जांच और इलाज के लिए सामने नहीं आ रहे हैं।

Ajay Singh हिन्दुस्तान, गोरखपुर। मनीष मिश्रSun, 1 Dec 2024 06:35 AM
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पूर्वी यूपी में एचआईवी नियंत्रण अभियान को समलैंगिकता ने जोर का झटका दिया है। पूर्वांचल में एचआईवी के प्रसार में कमी आई है। लेकिन समलैंगिंक पुरुषों में संक्रमण चार साल में छह गुना बढ़ गया है। एक साल में ही ढाई गुना का उछाल दर्ज किया गया है। समलैंगिक संक्रमितों में ज्यादातर अविवाहित युवा हैं। यह सामने आया है बीआरडी मेडिकल कॉलेज के एआरटी सेंटर की जांच में। इसी केंद्र पर एचआईवी संक्रमितों को दवा दी जाती है। यहां एचआईवी संक्रमण की जांच कर वजह की तलाश की जाती है।

एआरटी सेंटर के आंकड़ों के मुताबिक, इस वर्ष समलैंगिक पुरुषों में एचआईवी के 25 मामले मिले हैं, इनमें से 24 अविवाहित है। यह ट्रेंड बेहद खतरनाक है। वर्ष 2023 में समलैंगिक पुरुषों के संक्रमित होने का ग्राफ महज 10 था। वर्ष 2022 में यह संख्या 6 थी। जबकि वर्ष 2021 में चार समलैंगिक पुरुष संक्रमित थे।

समलैंगिक बना रहे हैं कम्यूनिटी नेटवर्क

मेडिकल कालेज में संक्रमित समलैंगिंकों से काउंसलिंग में पता चला है कि यह समुदाय कम्यूनिटी नेटवर्क बना रहा है। इसमें सभी सदस्य समलैंगिंक होते हैं। वह अपने पार्टनर के साथ कम्यूनिटी नेटवर्क में शामिल होते हैं। नेटवर्क के सदस्य गोरखपुर और बस्ती मंडल में फैले हैं। वह जांच व इलाज के लिए सामने नहीं आ रहे हैं। इसी से कम्यूनिटी में एचआईवी संक्रमण का प्रसार बढ़ रहा है।

संक्रमण के कारणों की पहचान करता है एआरटी

नेशनल एड्स कंट्रोल सोसाइटी (नाको) और बीआरडी मेडिकल कॉलेज का माइक्रोबायोलॉजी विभाग एआरटी सेंटर संचालित करता है। यहां एचआईवी संक्रमित की जांच के साथ ही मर्ज के कारणों की पहचान की जाती है। संक्रमण के कारणों में असुरक्षित यौन संबंध के अलावा सिरिंज से नशा लेने वाले, होमोसेक्सुअल या समलैंगिक, टीबी संक्रमित व रक्तदान के दौरान जांच में मिले संक्रमित की अलग-अलग पहचान की जाती है।

बीते चार वर्षों में एचआईवी संक्रमण का ग्राफ

वर्ष कुल संक्रमित समलैंगिक पुरुष टीबी ड्रग यूजर

2021 359 4 16 20

2022 490 6 19 32

2023 359 10 13 22

2024 333 25 12 16

क्‍या बोले विशेषज्ञ

माइक्रोबायोलॉजी विभाग के अध्‍यक्ष डॉ.अमरेश सिंह ने कहा कि पूर्वांचल के लिहाज से यह बढ़ोतरी आश्चर्यजनक है। पश्चिमी देशों में समलैंगिकता के कारण एचआईवी संक्रमण के मामले सामने आते हैं। पूर्वी यूपी मेंअब यह ग्राफ तेजी से उछल रहा है। चिंताजनक बात यह है कि ज्यादातर संक्रमित 18 से 24 वर्ष की आयु के हैं।

बीआरडी मेडिकल कॉलेज के परामर्शदाता सिद्धार्थ राय ने कहा कि समाज में समलैंगिकता अपराध जैसा है। इस वजह से यह केस छिपे हुए हैं। संक्रमित एआरटी सेंटर में आने के बावजूद अपनी व पार्टनर की पहचान छिपाते हैं। उन्हें जागरूक करना होगा। जिससे कि उनका जांच व इलाज हो सके।

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