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नशा मुक्ति केंद्र में युवक ने लगाई फांसी, मौत

Agra News - सिकंदरा पुलिस को एमएम गेट थाने से मिली सूचना, पोस्टमार्टमस्थित नशा मुक्ति केंद्र में एक युवक फंदे पर लटका मिला। कर्मचारी उसे एसएन मेडिकल कॉलेज ले...

Newswrap हिन्दुस्तान, आगराTue, 25 Aug 2020 06:14 PM
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शहर में मानकों के विपरीत जगह-जगह खुले नशा मुक्ति केंद्रों पर किसी की नजर नहीं है। सोमवार की शाम अरतौनी (सिकंदरा) स्थित नशा मुक्ति केंद्र में एक युवक फंदे पर लटका मिला। कर्मचारी उसे एसएन मेडिकल कॉलेज ले गए। जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया। सिकंदरा पुलिस को एमएम गेट थाने से युवक की मौत की सूचना मिली। नशा मुक्ति केंद्र संचालक ने सिकंदरा पुलिस को घटना की जानकारी तक नहीं दी। परिजनों का आरोप है कि बेटे को नशा मुक्ति केंद्र में पीटा जाता था।गांव नगला गुलाल, नगला खंगर (फिरोजाबाद) निवासी 19 वर्षीय पंकज उर्फ बबलू को घरवालों ने नौ अगस्त को मां साधना फाउंडेशन रिकवरी केयर नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती कराया था। पांच माह के लिए घरवालों से 72 हजार रुपये जमा कराए गए थे। सोमवार की रात घरवालों को सिकंदरा पुलिस ने सूचना दी कि उनके बेटे की मौत हो गई थी। सिकंदरा पुलिस ने बताया कि एमएम गेट थाने से पता चला कि उनके क्षेत्र में कोई घटना हुई है। शव पोस्टमार्टम हाउस पर रखा हुआ है। छानबीन में पता चला कि घटना नशा मुक्ति केंद्र की है। पुलिस छानबीन करने वहां गई थी। जानकारी हुई कि हर कमरे में सीसीटीवी कैमरे लगे हैं। पंकज पर्दे के कपड़े का फंदा बनाकर लटका था। कर्मचारियों ने उसे नीचे उतारा। इलाज के लिए हॉस्पिटल लेकर गए जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया। वे घबरा गए पुलिस को बताया तक नहीं। मामले को दबाने का प्रयास किया। नशा मुक्ति केंद्र किसी विवेक चौहान का बताया जा रहा है। पुलिस ने क्षेत्रीय लोगों से बातचीत की तो पता चला कि अंदर युवकों को नशा छुड़ाने के लिए बेरहमी से पीटा जाता है। बाहर तक उनके चीखने की आवाज आती है। अंदर काम करने वाले कर्मचारी भी प्रतिदिन कोई न कोई नया किस्सा सुनाते हैं। मनोचिकित्सक की देखरेख में चलना चाहिएनशा मुक्ति केंद्र पर किसी न किसी मनोचिकित्सक की तैनाती जरूरी है। ताकि डॉक्टर नशे की लत की गिरफ्त में आए युवकों की काउंसलिंग करे। यह देखे कि उन्हें किसी दवा की जरूरत तो नहीं है। केंद्र पर एक ट्रेंड नर्स भी होनी चाहिए। जो प्रतिदिन युवकों का चेकअप करे। ताजनगरी में नशा मुक्ति के नाम पर मरीजों के परिजनों की जेब काटी जा रही है। नशा छुड़ाने के लिए मरीजों को पीटा जाता है भूखा रखा जाता है। बाहर निकलते ही वे फिर नशा करने लगते हैं। मनोचिकित्सक डॉक्टर सागर लवानियां का कहना है नशा छुड़ाने में मनोचिकित्सक की अहम भूमिका होती है। जहां तक उनके संज्ञान में है ताजनगरी में एक भी नशा मुक्ति केंद्र मानकों की कसौटी पर खरा नहीं उतरता। दूसरे प्रदेशों में ऐसा नहीं है। नशे की गिरफ्त में आए लोगों का एक ही झटके में नशा बंद कर दिया जाए तो उन्हें कई दिक्कतें हो सकती हैं। वे किसी को मार भी सकते हैं और अपनी जान भी दे सकते हैं।

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