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बोले आगरा: सुविधाओं के अभाव में पहलवान हो रहे चित्त

Agra News - सैमरा के कुश्ती स्टेडियम में खिलाड़ियों को सुविधाओं की कमी का सामना करना पड़ रहा है। सरकारी उपेक्षा के चलते स्टेडियम की स्थिति खराब हो गई है, जिससे युवा पहलवान निराश हैं। उन्हें कोच और उचित प्रशिक्षण...

Newswrap हिन्दुस्तान, आगराThu, 20 Feb 2025 07:42 PM
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बोले आगरा: सुविधाओं के अभाव में पहलवान हो रहे चित्त

खंदौली (आगरा)। कुश्ती-दंगल पारंपारिक भारतीय खेल है। हर मेलों व त्योहारों पर दंगल का आयोजहोता है। लेकिन कुश्ती के शौकीन सरकारी उपेक्षा से मायूस हैं। पहलवानी में करियर बनाने की तैयारी कर रहे युवा चाहते हैं कि क्षेत्र में कुश्ती को बढ़ावा देने के लिए कोच है। अन्य सरकारी सुविधाएं भी मिलें। विकास खंड खंदौली के गांव सैमरा में बाबा गुलाब सिंह चौहान कुश्ती स्टेडियम तो है लेकिन यहां सुविधाएं शून्य हैं। इससे यहां कुश्ती के दाव-पेंच सीखने के लिए आने वाले युवा निराश हैं। सरकारी उपेक्षा के कारण स्टेडियम का हाल-बेहाल हैÜÜÜ। अनदेखी के चलते कुश्ती स्टेडियम के मैदान की मिट्टी भी ठोस हो गई है। इस कारण युवा कुश्ती का अभ्यास नहीं कर पा रहे हैं। यहां सरकारी कोच की तैनाती नहीं है। युवाओं को अपनी प्रतिभा निखारने के लिए उचित प्रशिक्षण नहीं मिल रहा है। हालांकि कुश्ती स्टेडियम से थोड़ी दूरी पर गांव के पहलवान अभ्यास जरूर करते रहते हैं। सैमरा में हर वर्ष लगने वाले ऐतिहासिक श्री राम लीला कुश्ती दंगल मेला में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान व हरियाणा सहित देशभर से पहलवान दंगल में दाव पेंच लड़ाने के लिए आते हैं। यदि कोच की तैनाती के बाद अभ्यास शुरू हो जाये तो पहलवानी में इस क्षेत्र का नाम रोशन हो सकता है।

सैमरा के कुश्ती स्टेडियम में खिलाड़ी खुले मैदान में ही अभ्यास कभी कभार ही करते हैं। इंडोर हॉल न होने की वजह से मौसम की मार खिलाड़ियों को झेलनी पड़ती है। मौसम ठीक रहता है तो खिलाड़ी अभ्यास करते हैं। बारिश के दिनों में यह अभ्यास काफी बाधित होता है।

पहलवानों का कहना था कि संसाधनों के अभाव में हम पदक से चूक रहे हैं। यदि हमें सुविधाएं मिल जाए तो राष्ट्रीय स्तर पर आगरा का नाम रोशन हो सकता है ।

साल में एक बार होता है लगता है कुश्ती मेला

विकास खंड क्षेत्र के सबसे बड़े गांव व चौहानों की बाइसी की राजधानी कही जाने वाली सैमरा में 125 वर्ष पूर्व बाबा गुलाब सिंह चौहान ने विशाल कुश्ती दंगल मेला की नींव रखी थी। यह परंपरा अभी भी जारी है। उत्तर प्रदेश में 2007 से 2012 तक बसपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे नरायन सिंह सुमन व उनके पुत्र तत्कालीन एमएलसी डॉ स्वदेश कुमार (वीरू सुमन ) ने अपनी निधि से कुश्ती स्टेडियम का निर्माण कार्य कराया था।

लेकिन खेलकूद विभाग की तरफ से कुश्ती स्टेडियम को कभी मदद नहीं मिली। योगी आदित्यनाथ सरकार ने अगस्त 2021 को प्रदेश में कुश्ती को 10 वर्ष के लिए गोद लेने की घोषणा की थी। तब लगा इस क्षेत्र में भी कुश्ती को बढ़ावा मिलेगा लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।

शिकायतें

1. सैमरा का कुश्ती-दंगल स्टेडियम अव्यवस्थाओं का शिकार है।

2. यहां हाल व मैट की सुविधा नहीं है।

3. क्षेत्र में स्कूलों में कुश्ती को लेकर कोई तैयारी नहीं कराई जाती।

4. पहलवानों के लिए यहां कोई डायट चार्ट नहीं है।

5. सबसे बड़ी समस्या स्टेडियम में कोच की तैनाती को लेकर है।

सुझाव

-कुश्ती के लिए बड़ा हाल बने, जिसमें मैट की सुविधा हो।

-खिलाड़ियों के रहने की व्यवस्था हो।

-स्कूल के स्तर से ही खिलाड़ियों का चयन कर तैयारी कराई जाए।

-खिलाड़ियों को पोषक तत्वों से भरपूर डायट मिले।

-स्टेडियम में कोच की तैनाती हो।

पहलवानों की पीड़ा

1. हर रोज यमुना किनारे बसे गांव गढ़ी दौलत से कुश्ती का अभ्यास करने आता हूं। खुले मैदान की वजह से अभ्यास प्रभावित होता है। हॉल की व्यवस्था हो जाए तो मौसम की वजह से खेल प्रभावित नहीं होगा।

सचिन चौधरी

2. कुश्ती का अभ्यास मिट्टी की गुणवत्ता काफी अहम है। यहां इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। थोड़ी और सुविधाएं मिल जाए तो राष्ट्रीय स्तर पर आगरा का नाम रोशन करुंगा।

रामप्रकाश चौहान,उस्ताद

3. सरकारी स्तर पर कुश्ती को बढ़ावा देने का कारगर प्रयास नहीं किए गए. जिसके कारण इस खेल के प्रति युवाओं में रुचि कम होने लगी है।

गिरीश पाठक

4. अगर सरकार इस खेल पर ध्यान दे तो फिर से युवा पहलवान नाम रोशन कर सकते हैं। पहलवानों को समुचित साधन और अवसर नहीं मिल पाने के कारण कुश्ती-दंगल सिमटते जा रहे हैं।

राकेश चौहान

5. दंगल स्टेडियम में व्यवस्थाएँ दुरुस्त हों। पुराने पहलवानों को बुलवाकर लोगों को जागरूक किया जाए। प्रोत्साहन के लिए इनामी कुश्ती कराई जाए. मशहूर दंगल के पहलवानों को भी बुलाया जाए।

बबलू चौहान

6. स्टेडियम में कभी भी कुश्ती का कोई कोच तैनात नहीं किया गया है। कुश्ती के खिलाड़ियों के लिए हास्टल बनाया जाना चाहिए।

विष्णु पहलवान

7. स्टेडियम में कोच नहीं है। हाल और मैट तो बहुत दूर की बात है। उपकरण नहीं हैं। प्रैक्टिस की उचित सुविधा नहीं है।

यश पहलवान

8. आगरा में प्रतिभाओं की कमी नहीं है। उचित प्रशिक्षण व सुविधाएं मिलें तो खिलाड़ी देश का नाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रोशन कर सकते हैं।

धर्मवीर पहलवान

9. सुविधाओं के अभाव, सरकार द्वारा नजरअंदाज करने से सीनियर खिलाड़ी कुश्ती छोड़ रहे हैं। अन्य दिल्ली व हरियाणा का रुख कर रहे हैं।

फैजल पहलवान

10. सैमरा के स्टेडियम में कोच नहीं है। दंगल मैदान पर अव्यवस्थाओं की भरमार है। सरकार को स्टेडियम का विकास करना चाहिए।

अरमान पहलवान

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