(विश्व स्ट्रोक दिवस) स्ट्रोक वाले 70 फीसदी को अपंगता का खतरा
हल्की सर्दी के आगमन के साथ स्ट्रोक के मामलों में वृद्धि हो रही है। आगरा के एसएन मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर पीके माहेश्वरी के अनुसार, सर्दियों में ब्लड प्रेशर और डायबिटीज की समस्याएं बढ़ जाती हैं, जिससे...
हल्की सर्दी शुरू हो गई है। इसके साथ ही स्ट्रोक के मामले भी बढ़ने लगे हैं। इससे नहीं बचा गया तो हाथ और पैरों को बड़ा नुकसान हो सकता है। स्ट्रोक के बाद अपंगता का खतरा सबसे बड़ा है। स्ट्रोक के 60-70 फीसदी मरीजों के हाथ-पैर काम करना बंद कर देते हैं। आगरा एसएन मेडिकल कालेज में न्यूरोलाजी विभाग के अध्यक्ष प्रो. पीके माहेश्वरी ने बताया कि अब सर्दी शुरू हो गई हैं। इस मौसम में ब्लड प्रैशर और डायबिटीज बिगड़ जाती हैं। खून गाढ़ा हो जाता है और स्ट्रोक के मामले बढ़ जाते हैं। अभी से विभाग में रोज 5-6 अटैक के मरीज आ रहे हैं। अधिकतर 24 घंटे के अंदर के मामले हैं। इसलिए इन्हें फौरी उपचार के तहत खून पतला करने वाला इंजेक्शन देकर पुरानी अवस्था में लाया जाता है। स्ट्रोक के बाद के तीन घंटे स्वर्णिम काल हैं। इस अवधि में खून पतला करने वाली दवाइयों से जान बचाई जा सकती है। यह अवधि अधिक से अधिक 4.5 घंटे तक की हो सकती है। इसके बाद जान का जोखिम बढ़ जाता है।
इसका रखें ध्यान
-स्ट्रोक होने पर कोई घरेलू नुस्खा अपनाना नहीं चाहिए
-बीपी, शुगर, थायराइड को चेक कराकर डोज सैट कराएं
-सूर्योदय के पहले व्यायाम करें, अधिक सर्दी में छोड़ दें
-ज्यादा पुराने मरीज मिठाइयां और गरिष्ठ भोजन न खाएं
-फालिज होने के बाद दवाइयों की खुराक बदलनी चाहिए
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