चकबंदी का काम क्यों रुक रहा, सारे लेखपाल, तहसीलदार वापस बुलाओ
चकबंदी का काम प्रभावित हो रहा है और लंबित वादों का निस्तारण नहीं हो पा रहा है। चकबंदी आयुक्त भानु चंद्र गोस्वामी ने निर्देश दिए हैं कि लेखपाल और तहसीलदार को राजस्व विभाग से संबद्ध नहीं रखा जाए। दिसंबर...
चकबंदी का काम प्रभावित हो रहा है और लंबित वादों का निस्तारण नहीं हो पा रहा है। चकबंदी लेखपाल और तहसीलदार को राजस्व विभाग से संबद्ध नहीं रखा जाए। इन्हें तत्काल अपने मूल विभाग में बुलाकर दिसंबर तक लंबित वादों का निस्तारण कराया जाए, अन्यथा कड़ी कार्रवाई की जाएगी। ये निर्देश प्रदेश के चकबंदी आयुक्त भानु चंद्र गोस्वामी ने शनिवार को नवीन सर्किट हाउस सभागार में आयोजित आगरा-अलीगढ़ मंडल और जनपद इटावा के चकबंदी विभाग की समीक्षा बैठक में दिए। बैठक में सीओ और एसीओ चकबंदी स्तर पर सभी लंबित वादों की समीक्षा में बताया गया कि जनपद आगरा में 5 साल का एक प्रकरण और 3 साल से अधिक के 24 प्रकरण लंबित हैं। जनपद फिरोजाबाद में 5 साल के 9, अलीगढ़ में 19, एटा में 11, इटावा में 10, और मथुरा में सर्वाधिक 32 प्रकरण लंबित हैं। चकबंदी आयुक्त ने सभी लंबित वादों को दिसंबर माह तक निस्तारित करने का निर्देश दिया, अन्यथा जनवरी माह में व्यक्तिगत जिम्मेदारी तय कर कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी।
बैठक में संयुक्त संचालक चकबंदी लखनऊ रणविजय सिंह, अपर जिलाधिकारी (न्यायिक) आगरा धीरेन्द्र सिंह, आगरा व अलीगढ़ मंडल और जनपद इटावा के उप संचालक चकबंदी, बंदोबस्त अधिकारी चकबंदी सहित चकबंदी विभाग के संबंधित अधिकारीगण उपस्थित रहे।
चकबंदी विभाग की डिजिटलाइजेशन प्रक्रिया प्रगति पर है। धारा-9 और धारा-12 का प्रकाशन तथा उन पर प्राप्त आपत्तियों को ऑनलाइन दर्ज किया जाएगा। 30 नवंबर तक के सभी वादों और उनके निस्तारण को पोर्टल पर दर्ज कराने के निर्देश दिए गए हैं।
भानु चंद्र गोस्वामी, चकबंदी आयुक्त, उत्तर प्रदेश
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