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बोले कासगंज: बुजुर्गों को थोड़ी सी पेंशन के लिए ढेर सारी टेंशन

Agra News - किसी भी विभाग में लंबे समय तक काम करने के बाद सेवानिवृत्त कर्मचारी को पेंशन दी जाती है, जो कि मूल वेतन से कम होती है। पेंशनधारी बुजुर्गों ने अपनी समस्याओं को साझा किया, जिसमें पेंशन का लंबित भुगतान और...

Newswrap हिन्दुस्तान, आगराSun, 9 March 2025 10:16 PM
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बोले कासगंज: बुजुर्गों को थोड़ी सी पेंशन के लिए ढेर सारी टेंशन

किसी भी विभाग में लंबे समय तक काम करने के बाद एक कर्मचारी को आखिरकार रिटायर होना पड़ता है। इसके बाद उसे जीवन यापन के लिए पेंशन दी जाती है। ये पेंशन मूल वेतन से काफी कम होती है, लेकिन इसे पाने के लिए रिटायर्ड कर्मचारी को भारी टेंशन झेलनी पड़ती है। हिन्दुस्तान के बोले कासगंज अभियान के तहत शहर के पेंशनधारी बुजुर्गों ने शिरकत की। यहां संवाद के दौरान उन्होंने बताया कि जिस विभाग के लिए काम किया, वही विभाग आज उनकी नहीं सुनता। 50 प्रतिशत से ज्यादा सेवानिवृत कर्मियों की पेंशन बन ही नहीं पाई

भिन्न विभागों में अपना सेवा काल पूर्ण करके सेवानिवृत होने वाले पेंशनर्स ने आपके अपने दैनिक समाचार पत्र हिंदुस्तान के बोले कासगंज संवाद में अपनी पेंशन तथा अन्य देयकों के लंबित भुगतान समेत अन्य समस्याओं को प्रमुखता से रखा। पेंशनर्स बताते हैं कि नई पेंशन स्कीम के तहत सेवानिवृत होने वाले कर्मचारी बहुत ही अभागे हैं, क्योंकि इनमें 50 प्रतिशत से ज्यादा सेवानिवृत कर्मियों की पेंशन बन ही नहीं पाई है। वहीं, जिन सेवानिवृत कर्मियों को पुरानी पेंशन का लाभ मिल रहा है। उन्हें सुविधा शुल्क की पीड़ा परेशान करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। पेंशनर्स बताते हैं कि चिकित्सा प्रतिपूर्ति के बिलों को पास कराने में हमारी चप्पलें घिस जाती हैं। हम लोग विभागों की परिक्रमा लगा-लगाकर थक जाते हैं। सरकारी विभागों से सेवानिवृत्त होने वाले कर्मियों को आज स्वयं व्यवस्था की बदहाली का शिकार होना पड़ रहा है। हमें जीवित होने का प्रमाण देने के लिए हर साल पापड़ बेलने पड़ते हैं। वहीं तो उपचार व्यय की चिकित्सा प्रतिपूर्ति पाने के लिए भी इधर से उधर भटकना पड़ता हैं। विकास खंड सोरों से एडीओ (आईएसबी) के पद से सेवानिवृत रामवीर सिंह यादव बताते हैं कि वेतन विसंगतियों के कारण आज भी परेशान हूँ। विभागीय अधिकारी सुनते नहीं हैं। इधर से उधर भटकने के अलावा मेरे पास अन्य कोई विकल्प नहीं है। पेंशनर्स की फाइलें हलकै विभाग से लेकर ट्रेजरी तक अटकी रहती हैं। सभी अस्पतालों में दीनदयाल कार्ड के तहत उपचार की सुविधा भी नहीं मिल पाती। ऐसे में पेंशनर्स को परेशानी का सामना करने को मजबूर रहते हैं।

पेंशन राशिकरण पर बंद हो 15 साल तक कटौती

सेवानिवृत्त कर्मियों का कहना है कि सरकार पेंशन के राशिकरण (विक्रय करना) पर 15 साल तक कटौती करती है। जबकि, मय ब्याज के कुल रकम 10 वर्ष एवं 11 माह में ही पूरी तरह पेंशन से कट जाती है। इसके बाद भी सरकार 4 वर्ष तक पेंशन से राशिकरण की रकम की कटौती करती है। यह कटौती करके सेवानिवृत्त कर्मचारियों का शोषण कर रही है। वहीं जो पेंशनर्स इसके विरोध में कोर्ट चले गए। कोर्ट के निर्देश पर उनकी पेंशन से कटौती नहीं रही है। जब 15 वर्ष तक राशिकरण की कटौती नियम के विरुद्ध है तो अन्य पेंशनर्स को भी इससे राहत मिलनी चाहिए।

दीनदयाल कार्ड से उपचार को लेकर अस्पताल बनाते हैं बहाने

संवाद के दौरान पेंशनर्स ने बताया कि स्वास्थ्य लाभ के लिए सरकार ने कर्मचारियों के दीनदयाल कार्ड बनवाए हैं, लेकिन इस योजना के तहत सूचीबद्ध अस्पताल कर्मचारियों और पेंशनर्स का उपचार करने से हिचकिचाते हैं। लोगों ने इतना तक कहा कि अक्सर ये अस्पताल उपचार करने से इनकार कर देते हैं। उन्होंने बताया कि इसकी मुख्य वजह है किसी भी उपचार के लिए सरकार द्वारा न्यूनतम शुल्क का भुगतान किया जाता है। जबकि, अस्पताल अधिक शुल्क अदा करने वाले रोगियों को भर्ती करने और उनके उपचार को प्राथमिकता देते हैं। दीनदयाल कार्ड के तहत सूचीबद्ध हॉस्पिटलों की संख्या में वृद्धि करने की आवश्यकता है।

80 वर्ष की आयु में पेंशन वृद्धि के प्रावधान में हो बदलाव

पेंशनर्स बताते हैं कि देश में आज सामान्य आयु 67 वर्ष है। वहीं सरकार ने पेंशन में 20 प्रतिशत वृद्धि की सीमा 80 वर्ष निर्धारित कर रखी है। लेकिन पेंशन धारक 80 वर्ष की आयु पूर्ण होने तक जीवित नहीं रह पाते। लिहाजा, ज्यादातर पेंशनर्स को पेंशन वृद्धि का लाभा नहीं मिल पाता है। पेंशन वृद्धि के प्रावधान में बदलाव करके, सरकार को यह वृद्धि कर्मचारी की सेवानिवृत्ति तिथि से प्रत्येक 5 वर्ष के अंतर पर 5-5 प्रतिशत के रूप में देनी चाहिए। इससे सभी पेंशनर्स को इस वृद्धि का लाभ मिल सकेगा।

पेंशनर्स की आवाज सरकार तक पहुंचे

विगत जनवरी माह में ही मेरे साथी देवेन्द्र सिंह नलकूप चालक के पद से सेवानिवृत हुए थे। लेकिन अभी तक उन्हें किसी भी देयक का भुगतान प्राप्त नहीं हुआ है। किसी भी कर्मचारी को सेवनिवृति के बाद मिलने वाले देयकों से भविष्य में जीवनयापन करने में काफी सहूलियत मिलती है। -रामदास

नलकूप चालक पद से सेवानिवृति मिलने के बाद मेरे साथी अमर सिंह का सामान्य भविष्य निधि का 10 प्रतिशत भुगतान लंबित है। इससे वे आर्थिक समस्याओं को झेलने के लिए विवश है। सेवनिवृति बाद मिलने वाले देयक पेंशनर्स की आर्थिक आवश्यकताओं की पूर्ति करने में सहायक होते हैं। -नारायण स्वरूप गुप्ता

नलकूप विभाग से सेवनिवृति के बाद से मेरे साथी मुकुट सिंह का 10 प्रतिशत सामान्य भविष्य निधि का भुगतान लंबित है। हमें हमारे ही पैसे का भुगतान समय पर नहीं मिल पाता। सेवनिवृति के बाद पेंशनर्स की फाइलों के निस्तारण हेतु समय सीमा निर्धारित होनी चाहिए। -राजपाल सिंह

हमें अपनी ही निधियों के पैसों का भुगतान प्राप्त करने के लिए वृद्धावस्था में इधर से उधर चक्कर लगाने पड़ते हैं। सेवानिवृति के बाद हमारा विभाग ही हमें हीनता की दृष्टि से देखता है। मेरे साथी रामेश्वर सिंह की भी 10 प्रतिशत जीपीएफ की क्लैम फाइल लंबित है। -रामपाल सिंह

गत वर्ष अवर अभियंता लघु सिंचाई के पद से सेवनिवृत हुए थे। लेकिन आज तक दस माह के नकदीकरण अवकाश की धनराशि तथा सामान्य भविष्य निधि का भुगतान नहीं मिला है। इससे हम आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।-सत्यपाल सिंह

वर्ष 2021 में नलकूप चालक के पद से सेवानिवृत हुआ था। नोशनल इंक्रीमेंट मिलने के बाद भी नकदीकरण अवकाश की धनराशि अभी तक लंबित है। हम पूरा जीवन अपने विभाग को समर्पित करते हैं। लेकिन सेवानिवृति के बाद विभाग हमें ही परेशान करता है। -दयाराम

सींच पर्यवेक्षक के पद से गत वर्ष ही सेवानिवृत हुआ था। लेकिन अभी तक मुझे सामान्य भविष्य निधि का भुगतान नहीं मिला है। विभागीय बाबू फाइलों को इधर-उधर लटका देते है। इससे आर्थिक परेशानियों का सामना करने को विवश हैं। -रमेश चंद्र वर्मा

सींच पर्यवेक्षक क पद से सेवानिवृति के बाद अभी तक सभी प्रकार के देयकों का भुगतान लंबित है। देयकों का भुगतान लंबित होने के कारण पेंशनर्स सम्मानपूर्वक जीवनयापन नहीं कर पाते। पेंशनर्स की लंबित फाइलों का निस्तारण बिना किसी भ्रष्टाचार के समय से होना चाहिए। -चोब सिंह

विकास खंड सोरों से एडीओ (आईएसबी) के पद से सेवानिवृत हुआ था। लेकिन आज भी वेतन विसंगतियों के कारण आज भी परेशान हूँ। विभागीय अधिकारी सुनते नहीं हैं। इधर से उधर भटकने के अलावा हमारे पास और कोई विकल्प नहीं है। -रामवीर सिंह यादव

नोशनल इंक्रीमेंट लगने के उपरांत भी अभी तक मेरा नकदीकरण अवकाश का अवशेष लंबित हैं। मैं सींच पर्यवेक्षक के पद से सेवानिवृत हुआ हूँ। देयकों के लंबित के रहने का बड़ा कारण विभागीय अधिकारियों का अपने सेवानिवृत कर्मियों के प्रति लापरवाह होना है। -रोशनलाल

सेवनिवृति के बाद हम पेंशनर्स को अपने परिवार से लेकर आयु संबंधी तमाम समस्याओं का सामना करना पड़ता है। वृद्धावस्था में जीवन यापन करने के लिए पेंशन ही हमारा एक मात्र सहारा होती है। लेकिन इसके लिए भी हमें ट्रेजरी से लेकर अपने-अपने विभागों में बार-बार चक्कर काटने पड़ते हैं। -दाताराम

सेवानिवृत कर्मचारी को 80 वर्ष की आयु पूर्ण करने पर 20 प्रतिशत अतिरिक्त पेंशन दी जाती है। जबकि कुछ ही सेवानिवृत कर्मी 80 वर्ष की आयु तक जीवित रहते हैं। सरकार को कर्मचारी को सेवानिवृति की तिथि से प्रत्येक पाँच वर्ष के अंतराल पर पेंशन में 5 प्रतिशत की वृद्धि करनी चाहिए । -महीपाल सिंह राजपूत

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