पलक झपकाने के अंदाज से पुलिस पकड़ती है झूठ
इरादतनगर में पांच लाख रुपये की लूट मुनीम ने कराई थी। खंदौली में ग्रामीण से 50 हजार रुपये की लूट नहीं हुई थी। वह शराब तस्कर है। शराब बेचने वालों से विवाद पर फर्जी मुकदमा लिखाया था। पुलिस ने इन दोनों...
इरादतनगर में पांच लाख रुपये की लूट मुनीम ने कराई थी। खंदौली में ग्रामीण से 50 हजार रुपये की लूट नहीं हुई थी। वह शराब तस्कर है। शराब बेचने वालों से विवाद पर फर्जी मुकदमा लिखाया था। पुलिस ने इन दोनों वारदातों का सही खुलासा किया। यह इतना आसान नहीं था। जो पीड़ित बनकर आए पुलिस को उन्हें ही जेल भेजना था। पीड़ितों के पलक झपकाने के तरीके, बोलने के अंदाज और हाथ-पैरों की हरकतों से यह जाना कि सामने वाले झूठ बोल रहे हैं। उसके बाद उनकी कुंडली खंगाली। साक्ष्य भी मिल गए।
आईजी रेंज ए सतीश गणेश ने बताया कि घटना का अंदाज यह बताता है कि जांच की शुरूआत कहां से करनी है। जो सूचना दे रहा है वह सच बोल रहा है या झूठ। इरादतनगर में हुई पांच लाख रुपये की लूट में दो मुनीम बैंक गए थे। डिग्गी में 5.80 लाख रुपये ही क्यों रखे। एक बदमाश बाइक पर थैला लूटकर कैसे भाग गया। इन दो सवालों ने पहले ही पल पुलिस के जेहन में शक पैदा किया। एसएसपी बबलू कुमार खुद मौके पर पहुंचे। एसएसपी के निर्देश पर पुलिस टीम ने जितेंद्र और जयप्रकाश को अलग-अलग रखा। दोनों से बार-बार सवाल पूछे। जितेंद्र बघेल सभी सवालों के जवाब पूरे भरोसे के साथ देर रहा था। वहीं जयप्रकाश पुलिस से नजरें बचा रहा था। कभी थाने की छत को देखता तो कभी दीवार को। कभी खामोशी से यह सुनने का प्रयास करता कि पुलिस आपस में क्या बातचीत कर रही है। पुलिस कर्मी दूर से उसकी गतिविधि देख रहे थे। वह घटना में शामिल था इसलिए उसके चेहरे की रंगत उड़ी हुई थी। अकेले में बार-बार आंखें बंद करके कुछ सोच रहा था। पुलिस जब पूछताछ करती थी तो उसके हाथ कांप रहे थे। यह संकेत होते हैं इस बात के कि सामने वाला झूठ बोल रहा है। इसी ने पुलिस का शक और पुख्ता किया। सर्विलांस टीम ने मोबाइल के जरिए उसकी कुंडली तैयार कर ली। पुलिस ने उसे देखा तो साक्ष्य मिलना शुरू हो गए।
वहीं खंदौली में ताजगंज के रविंद्र सिंह ने 50 हजार रुपये की लूट का मुकदमा लिखाया था। उसे डौकी के गांव एत्मादपुर मदरा से ताजगंज आना था। वह डग्गेमार गाड़ी में बैठा। उसके पास कोई सामान नहीं था। आमतौर पर डग्गेमार गाड़ी में चलने वाले बदमाश हुलिया और कपड़े देखकर सवारियां बैठाते हैं। रविंद्र सिंह देखने में इतना हाईफाई नहीं लग रहा था। बदमाशों ने उसे क्यों चुना। पहला सवाल यही पैदा हुआ। उसने जो गाड़ी बताई वह सीसीटीवी में कैद मिल गई। उस पर नंबर लिखा था। ऑनलाइन चेक किया तो नंबर सही निकला। बदमाश कभी सही नंबर लगाकर गाड़ी नहीं चलाते। यही से पुलिस को शक हुआ। छानबीन की तो जानकारी हुई कि वह अवैध शराब बेचता है। जिसे अपना दोस्त बता रहा है वह भी शराब तस्करी करता है।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।