Hindi NewsUttar-pradesh NewsAgra NewsPlayers in Fatehabad Struggle for Facilities in Kho-Kho and Mallakhamb

बोले आगरा: सुविधाएं मिलें तो सपनों की खो-खो हकीकत में बदले

Agra News - फतेहाबाद क्षेत्र में खो-खो और मलखंब के खिलाड़ियों की कमी नहीं है, लेकिन उन्हें बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। खिलाड़ियों को अभ्यास के लिए उचित मैदान और कोच की आवश्यकता है। बारिश के मौसम में इनडोर...

Newswrap हिन्दुस्तान, आगराSat, 15 Feb 2025 03:43 PM
share Share
Follow Us on
बोले आगरा: सुविधाएं मिलें तो सपनों की खो-खो हकीकत में बदले

बाह तहसील की तरह फतेहाबाद क्षेत्र में भी खिलाड़ियों की कमी नहीं है। खासकर खो-खो में यहां के खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिभाग कर चुके हैं। और भी खिलाड़ी आगे बढ़ सकते हैं। बस मौका मिलने की जरूरत है। कुछ समस्याएं भी हैं। खो-खो और मलखंब के मैदान की जरूरत है। खिलाड़ी बताते हैं कि यहां मलखंब और खोखो जैसे खेलों के लिए कोई सेंटर नहीं हैं। मुख्य खबर

फतेहाबाद के राजकीय महाविद्यालय में खो-खो के लिए मैदान तैयार किया गया है लेकिन वहां भी अभी सुविधाओं का अभाव है। और जब विद्यालय बंद होता है तो वहां अभ्यास थम जाता है। मलखंब के लिए कोच की व्यवस्था नहीं है। खिलाड़ियों ने बताया कि मैदान में बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। वहां सफाई भी खुद करनी पड़ती है।

इधर मलखंब खेल के फतेहाबाद में कई खिलाड़ी है। लेकिन सुविधाओं का अभाव झेल रहे हैं। यहां ट्रेनिंग सेंटर नहीं है। काफी संख्या में महिला खिलाड़ी भी प्रैक्टिस करती हैं। सभी को एक स्टोर रूम में कपड़े बदलने पड़ते हैं। खोखो व मलखंब के खिलाड़ियों से संवाद के दौरान राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय फतेहाबाद के कोच अतुल शर्मा ने बताया कि एक पोल की कीमत पांच से छह हजार रुपये तक होती है। उन्होंने बताया कि सरकार राष्ट्रीय खिलड़ियों का सारा खर्च वहन करती है, लेकिन जिला और कस्बा स्तर पर खिलाड़ियों को खुद ही पैसा खर्च करना पड़ता है। इससे खिलाड़ियों पर आर्थिक बोझ पड़ता है। फिर विभाग से पैसों के लिए चक्कर काटने पड़ते हैं।

बारिश में इनडोर प्रैक्टिस व्यवस्था की है दरकार

मलखंब व खो खो के खिलाड़ियों को हर मौसम में अलग परिस्थिति में अभ्यास करना पड़ता है। लेकिन, इन खिलाड़ियों को बारिश के मौसम में प्रैक्टिस करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इसका मुख्य कारण है- इंडोर प्रैक्टिस हॉल की कमी।

सुविधा मिले तो प्रदर्शन अच्छा होगा

मलखंब और खो-खो दोनों खेलों के खिलाड़ियों ने बताया कि खेल के मैदान में बुनियादी सुविधाओं का भाव है। खेल विभाग को दोनों खेलों के लिए स्थाई मैदान देने चाहिए, जिसमें सारी बुनियादी सुविधाएं मिले।

शारीरिक क्षमता, संतुलन और एकाग्रता की परीक्षा

मलखंब एक प्राचीन भारतीय खेल है जिसमें लकड़ी के खंभे पर विभिन्न प्रकार की कलाबाजियां और व्यायाम किए जाते हैं। यह खेल खिलाड़ियों की शारीरिक क्षमता, संतुलन और एकाग्रता की परीक्षा लेता है। इसमें पोल, रोप और हैंगिंग की स्पर्धा होती है। वहीं, खो-खो एक टैग गेम है, जो दो टीमों के बीच खेला जाता है। प्रत्येक टीम में 12 खिलाड़ी होते हैं, जिनमें से नौ खिलाड़ी मैदान में खेलते हैं और तीन खिलाड़ी अतिरिक्त होते हैं। इस खेल का मुख्य उद्देश्य प्रतिद्वंद्वी टीम के खिलाड़ियों को छूना होता है।

राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग ले चुकी हैं फतेहाबाद की टीमें

अतुल शर्मा कोच राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय फतेहाबाद ने बताया कि हमारे महाविद्यालय की टीम द्वारा 12वीं नेशनल चैंपियनशिप 2025 ग्वालियर में भाग लिया गया था। प्रथम स्थान प्राप्त किया था। हमारी टीम द्वारा अंतर महाविद्यालय नॉर्थ जोन प्रतियोगिता में 11 जनवरी को भाग लिया गया था। तब तीन छात्र सेलेक्ट हुए। ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी कंपटीशन में भी हमारा एक छात्र सिलेक्ट हुआ है। हमारे पास प्रतिभावान खिलाड़ी हैं। यदि इन खिलाड़ियों को स्टेडियम में प्रेक्टिस करने का मौका मिले तो वे प्रदेश व राष्ट्रीय स्तर पर खेल सकते हैं। खो-खो के मैदान के न होने की वजह से यह प्रतिभा निखर नहीं पा रही है। हमारे महाविद्यालय की छात्राओं की भी अच्छी टीम है।

इधर जनता इंटर कालेज के शारीरिक शिक्षा शिक्षक ज्ञानेंद्र कुमार यादव ने बताया कि जनता इंटर कॉलेज फतेहाबाद में खो-खो के लिए मैदान व पोल लगाकर तैयार कर दिए हैं। लेकिन विद्यालय शिक्षण कार्य के समय ही खुलता है। उस समय पढ़ाई चलती है। इसलिए बच्चे प्रेक्टिस नहीं कर पाते हैं। इसलिए आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं। खोखो को लेकर ग्रामीण क्षेत्र में प्रतिभाओं की कमी नहीं है। यदि इन बच्चों को स्टेडियम और अच्छे कोच मिले तो आगे बढ़ सकते हैं।

राजकुमार वर्मा कोच बी.डी.एम कन्या महाविद्यालय ने अफसोस जताया कि हमारे फतेहाबाद क्षेत्र में ऐसा कोई स्टेडियम या मिनी स्टेडियम नहीं है जिससे क्षेत्र के छात्र-छात्राएं खो खो, कबड्डी या मलखंब का अभ्यास कर चुके हैं।

खिलाड़ियों की पीड़ा

1. बारिश के मौसम में खोखो का अभ्यास प्रभावित हो जाता है। इंडोर प्रैक्टिस के लिए हॉल की व्यवस्था नहीं है। बारिश में मैदान में कीचड़ हो जाती है।

विवेक

2. विभाग की ओर से खोखो खिलाड़ियों को कोई सरकारी सुविधा मुहैया नहीं कराई जाती है। खोखो के लिए मैदान भी नहीं है। अभी जहां अभ्यास करते हैं, वहां बुनियादी सुविधाएं नहीं हैं।

गौरव,

3. खेल की सामग्री का अभाव है। मैट, पोल, रोप सहित मलखंब में इस्तेमाल होने वाले तेल और पाउडर भी नहीं मिल पाता है। खेल विभाग की ओर से मलखंब को कोई सुविधा नहीं मिलती है।

सुमित

4. खोखो के लिए मैदान की व्यवस्था नहीं है। यही स्थिति मलखंब को लेकर है। मलखंब काफी जोखिम वाला खेल है। इसके लिए मेडिकल की व्यवस्था होनी चाहिए।

ब्रजपाल सिंह

5. प्रैक्टिस के लिए रोप, मैट और पोल कम पड़ जाते हैं। इनकी संख्या बढाने की जरूरत है। मलखंब के लिए भी विभाग डे बोर्डिंग सेंटर खोलें, जिससे खिलाड़ियों को आर्थिक मदद मिले।

विशाल

6. नेशनल गेम्स के लिए खिलाड़ियों का खर्च सरकार उठाती है। लेकिन, जिला और कस्बा स्तर के लिए खिलाड़ियों को खर्च खुद वहन करना पड़ता है। इससे आर्थिक बोझ बढ़ जाता है।

सुरेंद्र सिंह

7. पैसे के कारण परिवार वाले खेलने से रोकते हैं। खेल विभाग को मलखंब के लिए सरकारी स्तर पर व्यवस्था करनी चाहिए, जिससे आर्थिक रूप से कमजोर खिलाड़ियों को बढ़ावा मिले।

कनक शर्मा

8. खेल संघ में रजिस्ट्रेशन कराने में पहले 2-3 हजार लगते थे। इस फीस को 10 हजार तक बढ़ा दिया गया है। जिस कारण 60 से 70 खिलाड़ी खो-खो खेलना छोड़ दिए हैं।

रोशनी

9. इस खेल के लिए परिवार वालों का सहयोग नहीं मिलता है। खेल को ओलंपिक से मान्यता नहीं मिली है, जिस कारण इस खेल से स्पोटर्स कोटा में नौकरी भी नहीं मिलती है।

संजना यादव

10. खो-खो के मैदान में पोल नहीं है। इससे अभ्यास करने में परेशानी होती है। एक पोल पांच हजार के आते हैं। सरकार को इसमें मदद करनी चाहिए।

हरिओम तोमर

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।

अगला लेखऐप पर पढ़ें