घाटे का सौदा साबित हो रही नई आबकारी नीति
Agra News - आगरा के बार संचालक और शराब विक्रेता नई आबकारी नीति को घाटे का सौदा मानते हैं। उन्होंने आबकारी उपायुक्त को ज्ञापन सौंपकर नीति में संशोधन की मांग की है। नई नीति में बार स्वामियों को नुकसान हो रहा है,...

शराब विक्रेता एवं बार संचालकों का मानना है कि प्रदेश की नई आबकारी नीति घाटे का सौदा साबित हो रही है। मॉडल शॉप, वाइन, बीयर शॉप एवं बार के बीच किए गए अंतर के चलते यह स्थिति आने की आशंका है। इस संबंध में आगरा बार ओनर्स एसोसियेशन की तरफ से गुरुवार को आबकारी उपायुक्त को ज्ञापन सौंपा गया। विशेष रूप से नियम 5-2-10 (ग) छ (2) व (3) में संशोधन की मांग की गई। तर्क दिया गया कि नई नीति में निवेश और प्रोत्साहन को दरकिनार कर रोजगार सृजन को ध्यान में नहीं रखा गया है। साथ ही ब्रांज, सिल्वर, गोल्ड, डायमंड और प्लेटिनम कैटेगरी में विभाजित कर बार स्वामियों में असमानता पैदा की गई है।
बार को ब्रांज कैटेगरी में रख मादक पदार्थ को क्रय करने का मूल्य एमआरपी पर कर दिया गया है। इससे बार स्वामियों को भारी घाटा होना तय है। रिटेल वालों के थोक क्रय मूल्य को पूर्व की तरह बरकरार रखा गया है, लेकिन बार वालों को एमआरपी पर क्रय के साथ पर दस रुपये बोतल स्पेशल फीस लगाई गई है। लाइसेंस फीस में भारी भरकम वृद्धि की बात भी ज्ञापन में रखी गई। काउसेस के नाम से अतिरिक्त फीस प्रति बोतल ली गई। जबकि बार स्वामियों द्वारा अपनी सारी फीस अग्रिम तौर पर जमा की जाती है। ज्ञापन सौंपने वालों में अध्यक्ष आशीष शिवहरे, उपाध्यक्ष अशोक शिवहरे, सचिव अनूप शिवहरे, कोषाध्यक्ष सचिन गुप्ता, रूपेश शर्मा ने सरकार से बंद होते बार कारोबार को बचाने की मांग की है।
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