बोले कासगंज: मटर मंडी बने तो जाम के झाम से बचे मोहनपुरा
Agra News - कासगंज के मोहनपुरा इलाके में मटर उत्पादन का बड़ा व्यापारिक केंद्र बना हुआ है। यहां से रोजाना सैकड़ों ट्रैक्टर और ट्रक मटर लेकर अन्य राज्यों के लिए जाते हैं। व्यापारियों और किसानों ने मंडी के स्थाई...
कासगंज जनपद में मोहनपुरा इलाका मटर उत्पादन को लेकर देश के कई राज्यों के व्यापारियों के लिए बड़ा व्यापारिक केंद्र बना हुआ है। रोजाना यहां से करीब ढाई सौ से लेकर तीन सौ तक ट्रैक्टर-ट्रॉलियां और ट्रक कैंटरों में मटर भरकर दूसरे राज्यों और उत्तर प्रदेश के अलग-अलग शहरों के लिए जाती है। देश की कई नामी गिरामी कंपनी भी अपने उत्पाद तैयार करने के लिए पूरे साल के लिए मटर का स्टॉक करने के लिए यहां से मटर ले जाती हैं। इसके बाद भी मोहनपुरा मटर मंडी को अलग से सरकारी मटर मंडी की शक्ल नहीं मिल सकी। यही कारण है कि, मोहनपुरा कस्बा में सड़क किनारे खरीद फरोख्त होने से भारी वाहनों जाम लग जाता है। आपके अपने हिन्दुस्तान अखबार के बोले कासगंज संवाद में मोहनपुरा मटर मंडी स्थल पर व्यापारियों, किसानों और स्थानीय लोगों ने सरकारी मटर मंडी पर जोर दिया तो मंडी व्यवस्थित न होने से जाम की पैदा की समस्या पर भी चिंता जताई। संवाद में उन्होंने बताया कि यहां करीब छोटे बढ़े मिलाकर करीब डेढ़ सौ व्यापारियों द्वारा मटर की खरीद और बिक्री की जाती है। मटर का सीजन जनवरी से शुरू होकर फरवरी में अधिक और मार्च तक होता है। इस दौरान मंडी जहां चलती है वहां किराया देना पड़ता है। अगर मंडी व्यवस्थित हो और सभी व्यवस्थाएं ठीक ठाक हो जाएं तो सभी को राहत मिलेगी। चाहे वह कारोबारी हो या छोटा व्यापारी और किसान के अलावा स्थानीय लोग सभी को जाम की समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा। बातचीत में हालांकि यह भी कहा है कि, पुलिस अपनी ओर से पूरा प्रयास करती है, कि रोड जाम नहीं लगे, लेकिन ट्रक और ट्रैक्टर ट्रॉलियों के खड़े होने से रोड जाम की समस्या पैदा होती है। स्थानीय लोगों का कहना है कि रास्ता जाम होता है तो बाजार की दुकानों की दुकानदारी पर भी असर पड़ता है, दुकानों के सामने बाइकों से आने वाले ग्राहक रुकते तक नहीं है।
प्रदेश में बड़ी मटर मंडी है मोहनपुरा
मोहनपुरा व्यापारियों की मानें तो मोहनपुरा मटर मंडी उत्तर प्रदेश की बड़ी मंडी है। यहां पंजाब, राजस्थान, मध्यप्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, बिहार, गुजरात तथा महाराष्ट्र आदि देश के सभी प्रमुख राज्यों के व्यापारी आढ़तों से मटर खरीदते हैं। यहां रोजाना एक पल्लेदार एक दिन में मटर की 2500 बोरी उतारते-चढ़ते हैं। कई करोड़ का कारोबार यहां रोजाना होता है।
पुलिस की एक टीम रहती है तैनात
मोहनपुरा मटर मंडी पर लगने वाले जाम से राहगीरों के वाहनों को निजात दिलाने के लिए पुलिस अधीक्षक के निर्देश पर अलग से पुलिस की एक टीम तैनात की जाती है, जो दिन भर मटर मंडी के आसपास रहती है। वह न केवल व्यापारिक केंद्र की सुरक्षा करती है बल्कि रोड यातायात को सुचारू रखने में भी लगती है। जबकि मोहनपुरा पुलिस चौकी पर स्थाई रूप से स्टाफ में पुलिस कर्मी भी कार्यरत हैं, जो मंडी पर निगरानी रखते हैं।
आढ़तियों के मन की बात भी सुने शासन-प्रशासन
यहां भारी वाहनों के आवागमन से धूल बहुत उड़ती है। इससे व्यापारियों को ही नहीं बल्कि किसानों को भी परेशानी का सामना करना पड़ता है। मंडी स्थल का निर्माण होने से व्यापारियों एवं किसानों को धूल समस्या से निजात मिलेगी।
-अजय कुमार
सबसे बड़ी समस्या ट्रैफिक जाम की है। मंडी का स्थाई परिसर न होने के कारण वाहनों के सड़क पर खड़े होने से यहां ट्रैफिक जाम की गंभीर समस्या उत्पन्न हो जाती है। यदि मंडी का परिसर बन जाए। तो जाम की समस्या से निजात मिल सकती है।
-धर्मवीर सिंह
यहां मटर की फसल लेकर आने वाले किसान भाइयों को कृषि वाहन खड़े करने को लेकर परेशानी झेलनी पड़ती है। वे यदि सड़क पर वाहन लगा दें, तो जाम लगने पर उन्हें पुलिस परेशान करती है। सरकार को यहां मंडी परिसर का निर्माण कराना चाहिए।
-रविंद्र यादव
यहां किसान एवं व्यापारीगण वर्षों से मंडी का निर्माण कराने की मांग कर रहे हैं। इस संबंध में कई बार प्रशासनिक अधिकारियों एवं जन प्रतिनिधियों को अवगत कराया गया, लेकिन आज तक मंडी परिसर का निर्माण नहीं हो पाया।
-श्यामसुंदर
कई बार व्यापारियों एवं किसानों के बीच फसल के भाव को लेकर विवाद की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। मंडी परिसर बनने से फसल का भाव निर्धारित होगा। इससे व्यापारियों एवं किसानों के बीच विवाद नहीं होंगे।
-पंचम सिंह
हमें यहां पर आढ़त लगाने के लिए बहुत मुश्किल से किराए पर जगह मिलती है। इसका किराया भी 15 से 20 हजार रुपये प्रतिमाह देना पड़ता है। यहां अगर मंडी परिसर का निर्माण होता है तो हमें आढ़त के लिए स्थान भी आसानी से मिल सकेगा।
-जसवीर सिंह
फसल का विक्रय न होने पर यहां किसानों को खुले आसमान के नीचे रात बितानी पड़ती है। जब यहां मंडी परिसर का निर्माण होगा तो मंडी परिसर में किसानों के लिए विश्राम गृह भी बनेगा। इससे किसानों को खुले आसमान के नीचे रात नहीं काटनी पड़ेगी।
-पवन कुमार
यहां आने वाले किसानों के लिए पेयजल की व्यवस्था अच्छी नहीं है, प्यास लगने पर इधर-उधर पानी खरीदकर पीना पड़ता है, शौच के लिए शौचालय नहीं है, मंडी परिसर बनेगा तो किसानों को इन मूलभूत सुविधाओं का लाभ मिल सकेगा।
-शिवनरायन
प्रशासन ने कई बार मंडी परिसर का निर्माण कराने का आश्वासन दिया था, जिसके बाद व्यापारियों ने मंडी शुल्क भी जमा किया, लेकिन जब मंडी परिसर का निर्माण नहीं हुआ। तो व्यापारियों ने मंडी शुल्क देना बंद कर दिया।
-सोमवीर सिंह
फसल बेचने के इंतजार में किसानों को दिन भर धूप में बितानी पड़ती है या पेड़ के नीचे जमे रहते हैं, मंडी परिसर का निर्माण होने से किसानों के बैठने के लिए टीनशेड आदि का प्रबंध होगा तो रात बिताने में भी दिक्कत नहीं होगी।
-ऋषिपाल
मांग घटने पर मटर सस्ती हो जाती है, तो किसान आढ़तियों एवं मटर खरीदने के लिए बाहर से आने वाले व्यापारियों पर खरीद ना करके, मटर को सस्ता करने का आरोप लगाते हैं। लक्ष्य निर्धारित होगा तथा फसल का भाव भी निर्धारित होगा।
-लक्ष्मन
फसल के भाव में उतार-चढ़ाव आने से किसानों एवं व्यापारियों दोनों को ही आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। मंडी परिसर का निर्माण होगा तो फसल का भाव भी निर्धारित होगा। इससे किसी को भी आर्थिक नुकसान नहीं उठाना पड़ेगा।
-तिलक सिंह
अभी यहां केवल मटर कि मंडी ही लगती है। लेकिन जब यहां मंडी परिसर का निर्माण हो जाएगा तो किसान यहां अन्य फसलें भी बेचने आएंगे। इससे उन्हें भी सुविधा होगी। वहीं व्यापारियों तथा सरकार को भी लाभ मिलेगा।
-पुष्पेंद्र शर्मा
यहां पर मंडी का निर्माण होने से शासन को भी भारी राजस्व प्राप्त होगा। वहीं किसान, पल्लेदार तथा व्यापारी बंधुओं को भी इससे सुविधा मिलेगी। सरकार को यहां मंडी परिसर का निर्माण कराना चाहिए।
-पूरन सिंह
यहां फसल लाने वाले किसानों को अच्छी गुणवत्ता के खाद्य पदार्थ तथा भोजन नहीं मिल पाता। मंडी परिसर का निर्माण होगा तो यहां भोजन तथा खाद्य पदार्थ के लिए कैन्टीन भी बनेगी। इससे किसानों को सुविधा होगी।
-संजय
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