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बोले कासगंज: ‘कदमताल करने वालों की कब बदलेगी ‘किस्मत

Agra News - होमगार्ड्स का कहना है कि उन्हें पुलिस के समान काम करने के बावजूद उचित वेतन और सुविधाएं नहीं मिलतीं। वे 900 रुपये दैनिक मानदेय के साथ आर्थिक तंगी का सामना कर रहे हैं। उनकी मांगें में अवकाश, स्वास्थ्य...

Newswrap हिन्दुस्तान, आगराSat, 22 Feb 2025 10:33 PM
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बोले कासगंज: ‘कदमताल करने वालों की कब बदलेगी ‘किस्मत

जिला पुलिस के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करने वाले होमगार्ड के साथ आज बेरुखी हो रही है। उनका कहना है कि हम काम पुलिस वाला करते हैं, लेकिन हमारे साथ चपरासियों की तरह व्यवहार होता है। इतना ही नहीं वेतन से लेकर अन्य सुविधाओं के नाम पर हमारे साथ सौतेलापन किया जाता है। आर्थिक तंगी से जूझ रहे होमगार्ड के सामने परिवार तक को पालने का संकट है। उनकी मांग है कि अवकाश, बीमा, स्वास्थ्य बीमा व मंहगाई भत्ते दिए जाएं। पुलिस की तरह होमगार्ड्स भी जान जोखिम में डालकर पूरे कर्तव्य निष्ठा के साथ अपनी तैनाती स्थल पर ड्यूटी करते हैं। पुलिस थाना हो या फिर सरकारी कार्यालय उनके तैनाती स्थल पर ड्यूटी समाप्त होने के बाद आराम करने के लिए कोई भी स्थान नियत नहीं हैं। पुलिस कर्मियों की तरह उन्हें अवकाश भी नहीं मिलता है। होमगार्ड्स चाहते हैं कि उन्हें भी अवकाश साप्ताहिक अवकाश मिले। अवकाश मिलने पर उनका मानदेय नहीं काटा जाए। होमगार्ड्स खुद या फिर परिवार का कोई सदस्य बीमार पड़ जाए तो उसे खुद ही अपना उपचार कराना पड़ता है। उन्हें व परिवार को स्वास्थ्य बीमा का लाभ मिलना चाहिए। जिससे उन्हें अपने उपचार पर होने वाले धनराशि की बचत हो सके। यह धनराशि परिवार के संचालन के काम आए। पेंशन और मंहगाई भत्ता भी उन्हें मिलना चाहिए। होमगार्ड्स का कहना है कि सेवानिवृत्ति के बाद उन्हें काफी आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। दुर्घटना की स्थिति में उनके आश्रितों को भी वह सभी लाभ मिलने चाहिए।

होमगार्ड्स का मानदेय बढ़ाना बहुत जरूरी

सरकारी कर्मचारियों को मिलते हैं। इनका मानना है कि 900 रुपये मानदेय मंहगाई के दौर में नाकाफी है। होमगार्ड्स का मानदेय बढ़ाना बहुत जरूरी है। जिससे उनके परिवार आर्थिक रूप से मजबूत हो और खुशहाली की जिंदगी जिएं। उन्हें तैनाती स्थल तक जाने के लिए भत्ता भी मिलना चाहिए। उन्हें अपने तैनाती स्थल तक जाने के लिए खुद ही धनराशि खर्च करनी पड़ती है। जिससे उनके ऊपर आर्थिक बोझ पड़ता है। सरकार होमगार्ड्स की समस्याओं पर ध्यान दे तो बेहतर होगा। जिससे उनकी दिक्कतें कम हों। होमगार्ड्स को प्रोत्साहन मिले तो वह अपने दो गुने जोश के साथ काम करने की क्षमता बढ़ेगी।

स्पष्टीकरण देने का भी अधिकार नहीं मिलता

होमगार्ड्स को दंड मिलता है पुलिस बल की तरह: जनपद में काम कर रहे होमगार्ड्स की गलती होने पर उन्हें पुलिस बल की तरह दंड दिया जाता है। दंड मिलने की स्थिति में उनके पास स्पष्टीकरण देने का भी अधिकार नहीं मिलता है। होमगार्ड्स किसी विपरीत परिस्थिति में गैर हाजिर हो जाए तो उसकी तुरत रपट लिख दी जाती है। उन्हें रपट या दंड मिलने की स्थिति में स्पष्टीकरण देने का अधिकार तो मिलना ही चाहिए। रपट व दंड की स्थिति में पहले उन्हें नोटिस मिले और वह अपना पक्ष रखने के लिए जबाव दे सकें। मानवीय आधार पर उनके अधिकार व सहूलियतें मिलनी ही चाहिए।

होमर्गाडस को अवकाश मिले तो मिले राहत

जनपद में होमगार्डस को अवकाश नहीं मिलने की वजह से वह परिवार को समय कम दे पाते हैं। उनका कहना है कि उन्हें अवकाश मिले तो वह घर व परिवार के कामकाज आसानी से कर सकते हैं। इस समय अवकाश लेने पर उनका मानदेय कट जाता है। जिसका उन्हें हमेशा रंज रहता है। ऐसे में कभी कभी जरूरी काम करने से भी वह बंचित रह जाते हैं। जिससे परिवार वालों को भी उनसे शिकायत रहती है।

होमर्गाडस को पेंशन मिले वृद्धावस्था में सहूलियत

होमर्गाडस को पेंशन की सुविधा नहीं होने की वजह से उन्हें वृद्धावस्था में दिक्कतं होती हैं। वह चाहते हैं कि उन्हें भी सेवानिवृत्ति के बाद पेंशन की सुविधा मिले। जिससे वह अपने परिवार पर आश्रित नहीं रहें। पेंशन का लाभ वृद्धावस्था में मिलने से काफी सहूलियत होती है। पेंशन नहीं होने की स्थिति में वह परिवार पर निर्भर हो जाते हैं।

कब खत्म होगी पीड़ा

रात्रि की ड्यूटी करके वापस थाने लौटने पर हमें विश्राम करने के लिए कोई उचित व्यवस्था नहीं मिलती। इससे हमारी सेहत पर बुरा प्रभाव पड़ता है। हमें रात्रि ड्यूटी से लौटकर थाने पर आराम करने की व्यवस्था मिलनी चाहिए।

-धनवीर

हम भी पुलिस के सिपाही से कंधे से कंधा मिलाकर, समाज की सेवा करते हैं। इसके बावजूद भी सेवानिवृत होने पर हमें पेंशन के रूप में कोई आर्थिक सहायता नहीं मिलती। इससे हमें अपनी वृद्धावस्था कष्टों के साथ काटनी पड़ती है।

-रामेश्वर सिंह

हमें किसी भी प्रकार का अवकाश नहीं मिलता। यदि हम अवकाश लेते हैं तो हमारा उस दिन का वेतन कट जाता है। एक माह में हमें कम से कम दो अवकाश तो मिलनी ही चाहिए। जिससे परिवार पर ध्यान दे सकें।

-कुलदीप कुमार

हमें तथा हमारे परिजनों को बीमार पड़ने पर उपचार कराने के लिए भी कोई लाभ नहीं मिलता। इससे हमें परेशानियों का सामना करना पड़ता है। सरकार को हमें तथा हमारे परिजनों को ईएसआईसी के तहत उपचार कराने की सुविधा प्रदान करनी चाहिए।

-दिनेश कुमार

सरकार जैसे अपने अन्य कर्मियों के आश्रितों को बीमा आदि लाभ देती है। वैसे हमारे आश्रितों को किसी भी तरह का कोई बीमा लाभ भी नहीं मिलता। इससे हमें एवं हमारे आश्रितों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।

-सुरेश बाबू

आज के इस महंगे दौर में भी हमें सभी प्रकार के भत्ते मिलाकर मात्र नौ-सौ रुपये प्रतिदिन के हिसाब से मानदेय मिल रहा है। जिससे परिवार चलाना मुश्किल होता है। बच्चों को अच्छी शिक्षा नहीं दिला पाते हमारे मानदेय में वृद्धि होनी चाहिए।

-धर्मेंद्र कुमार

थाने से हमारी ड्यूटी बाहर लगाए जाने पर हमें किसी भी प्रकार का कोई अतिरिक्त देय नहीं मिलता। वहीं थाने से ड्यूटी स्थल तक पहुंचने के लिए हमें किराया भी खर्च करना पड़ता है। बाहर ड्यूटी लगने पर हमें कुछ अतिरिक्त देय भी मिलना चाहिए।

-रामपाल सिंह

-महाकुंभ में भी शांति व्यवस्था कायम रखने के लिए सरकार ने हमारे होमगार्ड्स साथियों की ड्यूटी लगाई है। उन्हें कुछ प्रोत्साहन राशि मिलनी चाहिए। जिससे कि वह दोगुने जोश एवं उत्साह के साथ अपने दायित्वों का निर्वहन कर सकें। -रनवीर सिंह

-यदि हम किसी परिस्थितिवश अपनी ड्यूटी से गैरहाजिर हो जाए तो बिना कारण जाने ही हमारी रपट लिख जाती है। इसके अलावा हमें सिपाही के जैसे ही दंडित भी किया जाता है। सबसे पहले हमें स्पष्टीकरण का अवसर मिलना चाहिए। -जगपाल

-हमारे सहयोगी प्रांतीय रक्षा दल के जवानों को भी कोई अवकाश नहीं मिलता। इन्हें भी मात्र 900 रुपये प्रतिदिन के अनुसार मानदेय मिल रहा है। जिससे महंगाई के इस दौर में जीवन यापन करना बहुत ही मुश्किल है। इनके मानदेय में भी बढ़ोतरी होनी चाहिए।

-किशोरी लाल मौर्य

-हम समाज में शांति व्यवस्था कायम रखने तथा अपराध को रोकने में पुलिस के सिपाही की तरह ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। लेकिन हमें पुलिस के सिपाही तरह अवकाश नहीं मिलता। इससे हमें परेशानी का सामना करना पड़ता है।

-जगदीश गिरि

-हम पुलिस के सिपाही द्वारा निभाए जाने वाले सभी दायित्वों का निर्वहन करते है तथा अनुशासनात्मक कार्यवाही भी हमारे विरुद्ध पुलिस के सिपाही की तरह ही अमल में लाई जाती है। वहीं आर्थिक लाभ हमें सिपाही की तरह नहीं मिलते।

-रामचरन

-हमें मिलने वाले 900 रुपये के मानदेय में ही अन्य सभी प्रकार के भत्ते शामिल रहते हैं। वहीं राज्य सरकार अपने अन्य कर्मियों को भत्तों का भुगतान अलग से करती है। यदि हमें भी अलग से भत्तों का भुगतान मिलने लगे, तो हमारी आर्थिक स्थिति में सुधार हो।

-इंद्रपाल

-यदि हमें किसी परिस्थितिवश अवकाश लेना पड़ता है, तो अवकाश वाले दिन का हमारा मानदेय कट जाता है। वहीं मानदेय काम होने के कारण हमारी आर्थिक स्थिति भी कमजोर रहती है।

-हकीम सिंह

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