Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़आगराGST Registration Challenges Over 57 Applications Rejected Tax Expert Warns

आधे से ज्यादा जीएसटी पंजीयन आवेदन निरस्त

टैक्स विशेषज्ञ पराग सिंघल के अनुसार, जीएसटी लागू होने के सात साल बाद भी पंजीकृत कारोबारियों की संख्या केवल डेढ़ करोड़ है। पंजीकरण प्रक्रिया में कठिनाइयों के कारण 57.54 प्रतिशत आवेदन निरस्त हो जाते...

Newswrap हिन्दुस्तान, आगराMon, 16 Sep 2024 04:43 PM
share Share

टैक्स विशेषज्ञ पराग सिंघल का कहना है कि जीएसटी को लागू हुए सात साल हो गए, लेकिन इस व्यवस्था में पंजीकृत कारोबारियों की संख्या डेढ़ करोड़ ही है। आबादी के सापेक्ष बहुत कम लोग इस व्यवस्था से जुड़े हैं। वह स्वयं ही इस सवाल का जवाब देते हैं। जीएसटी पंजीकरण आसानी से नहीं मिलता है। पंजीयन प्रार्थनापत्र ऑनलाइन दाखिल होता है। इसके बाद तय समय तक यह पता नहीं चल पाता कि कब आपत्ति लगेगी अथवा स्वीकृत होकर आ जाएगा। अंतिम समय में आपत्ति आती है। यह आपत्ति ऐसी होती है जिसका जवाब देना ही मुश्किल होता है। अक्सर ही आपत्ति होती है, व्यापार स्थल पर कार्य नहीं होता पाया गया।

कई बार यह भी आपत्ति होती है प्रार्थना पत्र के साथ दाखिल प्रपत्र पठनीय नहीं है। प्रार्थी को दिये गये मोबाइल नंबर पर फोन मिलाया, उठाया नहीं। इसलिए, दाखिल पंजीयन प्रार्थना पत्र को निरस्त करने की संस्तुति की जाती है। जबकि शासन की मंशा रहती है कि अधिकाधिक पंजीयन कराए जाएं।

आधे से ज्यादा पंजीयन निरस्त

सिंघल के अनुसार पंजीयन आवेदन को निरस्त करने की दर चौंकाने वाली है। उन्होंने आरटीआई के माध्यम से इसे हासिल किया। सवाल किया था कि कितने पंजीयन प्रार्थना पत्र प्राप्त हुए और उसमें कितने प्रतिशत आवंटित हुए। कितने निरस्त किए गए। उनके अनुसार यह विवरण केंद्रीय जीएसटी का है।

इसमें 57.54 प्रतिशत आवेदन निरस्त हो गए। यदि यह माना जा रहा है कि बड़ी संख्या में आवेदन फर्जी पंजीयन के लिए आते हैं और उनकी रोकथाम जरूरी है, तो इसके लिए अलग से जांच टीम बननी चाहिए। जो कि पंजीयन आवेदन के तुरंत बाद भौतिक निरीक्षण करे।

राजस्व का प्रवेश द्वार है पंजीयन

राजस्व का प्रवेश द्वार पंजीयन है, जितने अधिक पंजीयन होंगे उतना अधिक राजस्व प्राप्त हो सकेगा। प्रार्थी की स्थिति तब खराब हो जाती है कि पंजीयन प्रार्थना पत्र आवेदन के बाद व्यापार करने के लिए माल खरीद लेता है, लेकिन पंजीयन निरस्त होने के बाद जब कभी यदि विभागीय अधिकारी स्थल पर आ जाता है तो अपंजीकृत डीलर के रूप में उस पर धारा-67 के तहत माल जब्ती, 130 के तहत अर्थदंड और 125 के तहत एक्ट के उल्लंघन में अर्थदंड को वहन करना पड़ता है।

-पराग सिंघल, टैक्स विशेषज्ञ

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।

अगला लेख