दीनहीन पाए, अपना घर ने प्रभुजी नाम देकर अपनाए
सोरों के लहरा गांव में 'अपना घर आश्रम' में वृद्धों की देखभाल की जाती है। यहां 19 लोग रह रहे हैं, जिनकी सेवा पांच युवाओं द्वारा की जा रही है। परिवार के लोग उन्हें छोड़ देते हैं, लेकिन आश्रम में उन्हें...
बुढ़ापा आने लगा और पेंशन पाने लगे तो परिवार के लोग पेंशन निकलवा लेते और फिर देखभाल से मुंह फेर लेते। तो कोई घर वालों से बिछुड़े तो घर वालों की तलाश उन तक नहीं पहुंची। कोई मनोरोगी होकर भटकने लगे। कुछ बताने की स्थिति हैं तो कुछ को कुछ भी याद नहीं। भूखे प्यासे भटके तो किसी ने भिखारी तो किसी ने दीनहीन और असहाय जैसे भारी शब्दों की पहचान दे डाली, लेकिन जब वे अपना घर आश्रम में पहुंचे तो उन्हें इतना सम्मान मिला कि, प्रभुजी के नाम से पहचान मिली और सौभाग्य से गंगा मैय्या की गोद में सेवाकारियों का प्यार दुलार मिला। हम बात कर रहे हैं तीर्थ नगरी सोरों के गांव लहरा में चलाए जा रहे अपना घर आश्रम की। यहां के सेवाकारी पांच युवाओं के ऊपर इनकी देखभाल का जिम्मा है। यहां फिलहाल 19 व्यक्तियों की देखभाल हो रही है। उनकी सेवा में अपना घर आश्रम के सेवा कामों में राहुल कुमार, अभिषेक, माखन सिंह, सत्यपाल और नीटू चौबीस घंटे तत्पर रहते हैं। आश्रम सेवाकारों ने बताया कि, एक प्रभुजी से घर वालों ने अच्छा वर्ताव नहीं किया। मान सम्मान और प्रेम नहीं मिला तो वह निकल पड़े, यहां वहां भटकते तो अपना घर के हमारे साथी उन्हें यहां अपना घर में ले आए। इसके अलावा कई प्रभुजी ऐसे भी हैं जो मानसिक रूप से बीमार हैं, वे अपने घर परिवार के बारे में नहीं कुछ पाए तो उनकी भी यहां सेवा होती है।
कई लोगों को ले गए घर वाले
कासगंज। अपना घर के सदस्य यहां रहने वाले लोगों से उनके परिवार वालों के बारे में पूछते हैं और फिर पुलिस और प्रशासन के माध्यम से उनके परिवारीजनों तक संदेश पहुंचाते हैं। जिनमें से कई लोगों के परिवारीजन आकर उन्हें लेकर चल गए।
कई राज्यों के लोग भटकते आए कासगंज
कासगंज के अलग अलग स्थानों पर बीमार या परेशान हालत में पाए गए लोगों में कई राज्यों के लोग शामिल हैं, जिनमें उत्तर प्रदेश के अलावा पंजाब, ओडिशा, झारखंड और बिहार के लोग भी शामिल हैं। जो यहां रह रहे हैं।
जरूरतों की पूर्ति को लिखी जाती ठाकुजी के नाम चिठ्ठी
मां माधुरी बृज वारिस सेवा सदन अपना घर के प्रमुख बीएम भारद्वाज ने सोरों आश्रम के एक साल पूरे होने पर यहां बताया कि, जितने प्रभुजन यहां आनंदपूर्वक रह रहे हैं, उनकी जरूरतों की पूर्ति के लिए प्रतिदिन ठाकुरजी के नाम की चिट्टी बोर्ड पर लगा दी जाती है।
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