Hindi NewsUttar-pradesh NewsAgra NewsDr Bhimrao Ambedkar University Staff Demand Urgent Resolution of Pending Issues

इसी सियाह समंदर से नूर निकलेगा..

Agra News - डॉ भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के कर्मचारी लंबे समय से सात सूत्रीय मांगों को लेकर संघर्ष कर रहे हैं। विश्वविद्यालय में समस्याओं का अंबार है और कर्मचारियों की मांगें पूरी नहीं हो रही हैं। यदि प्रशासन...

Newswrap हिन्दुस्तान, आगराThu, 13 Feb 2025 04:53 PM
share Share
Follow Us on
इसी सियाह समंदर से नूर निकलेगा..

विश्वविद्यालय कर्मचारियों की पीड़ा डॉ भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय का इतिहास आजादी से पुराना है। विश्वविद्यालय का विवादों से भी गहरा नाता रहा है। विश्वविद्यालय में समस्याओं का अंबार है। यहां काम करने वाले कर्मचारी हो, या पढ़ने वाले छात्र। लंबित मांगें पूरी न होने से सभी परेशान हैं। सन 1927 में स्थापित हुए डॉ भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय से वर्तमान में चार जिलों आगरा, मथुरा, फिरोजाबाद और मथुरा के करीब 650 महाविद्यालय संबंद्ध हैं। विश्वविद्यालय में 403 नियमित और संविदा कर्मचारी तैनात हैं। पढ़ने वाले छात्रों की संख्या तो लाखों में है। कर्मचारी संघ के पदाधिकारी अपनी सात सूत्रीय मांगों को लेकर काफी समय से संघर्ष कर रहे हैं। कह रहे हैं कि अगर विश्वविद्यालय प्रशासन ने जल्दी ही मांगों पर सुनवाई नहीं की तो मजबूरन हमें उग्र आंदोलन करना पड़ेगा। ऐसा हुआ तो विश्वविद्यालय का कामकाज ठप्प हो जाएगा।

आगरा। एक जमाने में डॉ भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय का स्वर्णिम इतिहास रहा है। कई जिलों में खुले महाविद्यालयों की संबंद्धता यहीं से रही है। पहले प्रवेश,परीक्षा और परिणाम समय से आता था। फिर समय बीतने के साथ विश्वविद्यालय के हालात भी बदलते गए। विश्वविद्यालय अधिकारियों पर कई गंभीर आरोप लगे। फर्जीवाड़े के आरोप में फंसकर यूनिवर्सिटी की साख दागदार हो गई। इसका खामियाजा विश्वविद्यालय के कर्मचारियों को भी उठाना पड़ा। कुछ कर्मचारियों को तो जेल तक जाना पड़ा। कई कोर्सों की मार्कशीट और रिजल्ट आज भी जांच के घेरे में हैं। कुछ विभाग तो ऐसे भी बताए जाते हैं। जहां कर्मचारी तैनाती ही नहीं लेना चाहते हैं। विश्वविद्यालय में फैले भ्रष्टाचार के मकड़जाल की जड़े बड़ी गहरी हैं। यही वजह है कि कर्मचारी संघ के पदाधिकारियों की मांगों पर संतोषजनक कार्रवाई नहीं हो पाई है। कर्मचारी संघ के पदाधिकारी, संबंधित सभी अधिकारियों को ज्ञापन सौंप चुके हैं। फिर भी कर्मचारियों को सात सूत्रीय मांगों के पूरा होने का इंतजार बरकरार है। कर्मचारी संघ के पदाधिकारियों में बर्खास्त हुए कर्मचारी वीरेश कुमार की बहाली न होने को लेकर भी अधिकारियों के प्रति जबरदस्त नाराजगी है। विश्वविद्यालय शिक्षणेत्तर कर्मचारी संघ के अध्यक्ष ने कहा कि साथी कर्मचारी की बहाली की मांग जल्दी पूरी नहीं हुई, तो संघ के सभी सदस्य उग्र आंदोलन करने को मजबूर होंगे।

डॉ भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय शिक्षणेत्तर कर्मचारी संघ के प्रतिनिधिमंडल ने सात सूत्रीय लंबित मांगों को लेकर इसी वर्ष 10 जनवरी को कुलसचिव को ज्ञापन सौंपा था। प्रोन्नति आदेश जारी होने के बाद कर्मचारियों का प्रोन्नत वेतनमान अतिशीघ्र लगाए जाने की मांग उठाई थी। इस पर अभी तक सुनवाई नहीं हो पाई है। इसके अलावा चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की परीक्षा होने के बाद भी अभी तक पदोन्नति नहीं हुई है। एसीपी से लाभांवित होने वाले कर्मचारियों को एसीपी का लाभ नहीं मिल पाया है। लखनऊ विश्वविद्यालय की तरह यहां तैनात सभी नियमित और संविदा कर्मचारियों का पांच लाख का मेडिकल बीमा कराए जाने की मांग भी पूरी नहीं हो पाई है। अनुबंधित कर्मचारियों की वार्षिक वेतन वृद्धि में तीन प्रतिशत का इजाफा नहीं हो पाया है। जिस बैंक में कर्मचारियों का पीएफ खाता है। वहां कर्मचारियों को अन्य बैंकों की तुलना में कम ब्याज मिल रही है। इसे लेकर कर्मचारियों में नाराजगी है। वरिष्ठ सहायकों के रिक्त पदोन्नति की प्रक्रिया भी अभी तक पूरी नहीं हो पाई है। इन मांगों से कर्मचारियों के साथ उनके परिवारों का हित भी जुड़ा हुआ है। सभी को मांगे पूरा होने का बेसब्री से इंतजार है।

मिले प्रशासनिक अधिकारी का पदनाम

विश्वविद्यालय कर्मचारी संघ के पदाधिकारी लंबे समय से प्रधान सहायकों के पद पर तैनात कर्मचारियों को प्रशासनिक अधिकारी का पदनाम दिए जाने की मांग कर रहे हैं। संघ पदाधिकारियों की ये मांग अब तक पूरी नहीं हो पाई है। पदनाम के आस में कई कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति हो चुकी है। कुछ अन्य कर्मचारी सेवानिवृत्ति की चौखट पर खड़े हैं। कर्मचारियों का मानना है कि प्रशासनिक अधिकारी का पदनाम मिलने से पद की गरिमा बढ़ जाएगी। सामाजिक प्रतिष्ठा में इजाफा हो जाएगा। नाते-रिश्तेदारों में मान सम्मान बढ़ेगा।

संविदा कर्मचारियों की हो वेतन वृद्धि

डॉ भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय शिक्षणेत्तर कर्मचारी संघ के चुनाव में नियमित कर्मचारियों के साथ संविदा कर्मचारी भी मताधिकार का प्रयोग करते हैं। लेकिन नियमित कर्मचारियों की तुलना में संविदा कर्मियों का वेतनमान काफी कम है। संघ पदाधिकारियों ने संविदा पर तैनात कर्मचारियों के वेतन में पांच प्रतिशत वृद्धि किए जाने की मांग की है। जिससे उनकी गृहस्थी की गाड़ी पटरी पर चल पाए। बच्चों की फीस भरने में दिक्कत न हो। राशन, बिजली, पानी और दैनिक खर्च आसानी से निकल पाएं। आर्थिक दिक्कत झेल रहे संविदा कर्मियों की परेशान खत्म हो जाए।

कब भरे जाएंगे रिक्त पद

संघ पदाधिकारियों के मुताबिक विश्वविद्यालय में अधीक्षक पद पर करीब सात स्थान रिक्त हैं। इन पदों को काफी समय से भरा नहीं गया है। इस वजह से कर्मचारियों की पदोन्नति रुकी हुई है। पदाधिकारियों का कहना है कि अधीक्षक पद पर हुई रिक्तियां जब भरी जाएंगी। तो अन्य कर्मचारियों की प्रोन्नति का रास्ता भी साफ हो जाएगा। पदोन्नति होगी तो वेतनमान में भी वृद्दि होगी। कर्मचारियों के साथ उनके परिवार भी इससे लाभांवित होंगे। विश्वविद्यालय की व्यवस्था बेहतर हो जाएगी।

चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को परिणाम का इंतजार

बताया जा रहा है कि चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की प्रोन्नति के लिए परीक्षा प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। लेकिन परिणाम घोषित नहीं किए गए हैं। चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की पदोन्नति प्रक्रिया अधर में लटकी हुई है। परिणाम घोषित न होने से विश्वविद्यालय के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी बेहद परेशान हैं। उन्हें परिणाम घोषित होने का इंतजार है। चतुर्थ श्रेणी कर्माचारियों ने बताया कि वो अपनी मांगों को लेकर कई बार विश्वविद्यालय के संबंधित अधिकारियों को ज्ञापन सौंप चुके हैं। फिर भी सुनवाई नहीं हो पा रही है।

मिले कैशलेस इलाज की सुविधा

डॉ भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय में 403 नियमित और संविदा कर्मचारियों की तैनाती है। सभी लंबे समय से कैशलेस इलाज की सुविधा प्रदान किए जाने की मांग कर रहे हैं। मांग पर अब तक सुनवाई नहीं हो पाई है। संघ अध्यक्ष का कहना है कि अगर कर्मचारियों को कैशलेस इलाज की सुविधा मिलेगी तो संविदा कर्मचारियों को इसका सबसे ज्यादा फायदा होगा। बीमारी की हालत में संविदा कर्मचारियों को इलाज कराने में असुविधा नहीं होगी। उन्हें आर्थिक परेशानी नहीं उठानी पड़ेगी। कर्मचारी नेताओं ने कहा कि ये व्यवस्था जल्दी लागू किए जाने की जरूरत हैं। इससे कर्मचारी के साथ उनके परिवारों को भी लाभ मिलेगा।

चार संस्थानों में है तैनाती

डॉ भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के अलग अलग स्थानों पर चार कैंपस हैं। इनमें पालीवाल पार्क कैंपस में कुलपति समेत, अन्य अधिकारियों के दफ्तर है। कर्मचारी संघ का कार्यालय भी पालीवाल पार्क कैंपस में है। खंदारी कैंपस में आईईटी, स्कूल ऑफ लाइफ साइंस, सेठ पदम चंद जैन इंस्टीट्यूट, गृह विज्ञान संस्थान, दाऊदयाल संस्थान संचालित है। छलेसर कैंपस है। संस्कृति भवन है। विश्वविद्यालय के सभी कर्मचारी इन्हीं संस्थानों में तैनात हैं। विश्विद्यालय में करीब 325 नियमित कर्मचारी हैं। जबकि 75 से ज्यादा संविदा कर्मचारी हैं। इसके अलावा आउट सोर्सिंग के कर्मचारी भी इन्हीं कैंपसों में तैनात हैं। कर्मचारियों ने बताया कि कुछ स्थानों पर साफ-सफाई का अभाव है। कुछ शौचालय भी खराब हैं। कुछ एक संस्थानों में पेयजल का भी अभाव है। इन दिक्कतों को दूर किए जाने की जरूरत है।

ये हैं संघ के मौजूदा पदाधिकारी

डॉ भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के शिक्षणेत्तर कर्मचारी संघ के अध्यक्ष पद पर अखिलेश चौधरी, महासचिव पद पर अरविंद गुप्ता, उपाध्यक्ष पद पर निखिल शर्मा, सहमंत्री पद पर कुलदीप यादव, कोषाध्यक्ष पद पर रोहित शर्मा तैनात हैं। कर्मचारी संघ के ये सभी पदाधिकारी संयुक्त रूप से लंबित मांगों को लेकर अधिकारियों को ज्ञापन सौंप चुके हैं। मांगें पूरी न होने से सभी में आक्रोश है। सभी मांगें मनवाने के लिए संगठित रूप से आंदोलन की राह पर चलने की भूमिका बना रहे हैं। सभी ने कहा है कि अधिकारियों ने जल्दी मांगों पर सुनवाई नहीं की तो कामकाज ठप्प किया जाएगा। जब तक मांगें पूरी नहीं होंगी। विश्वविद्यालय को बंद रखा जाएगा।

इनकी पीड़ा

1)-हमारे साथी वीरेश की बर्खास्तगी कर दी गई है। इसे लेकर संघ पदाधिकारी कई बार विरोध दर्ज करा चुके हैं। इसके बाद भी वीरेश की बहाली नहीं की गई है। हम विश्वविद्यालय प्रशासन से वीरेश की जल्दी बहाली की मांग करते हैं।

अखिलेश चौधरी - अध्यक्ष वि.वि कर्मचारी संघ

2)-विश्वविद्यालय में 70 से ज्यादा संविदा कर्मचारी काम करते हैं। इनका वेतनमान कम है। मेरी विश्वविद्यालय प्रशासन से मांग है कि संविदा कर्माचारियों के वेतनमान में पांच प्रतिशत की वृद्धि की जाए। जिससे वह अपने परिवार का भरण पोषण अच्छे से कर पाएं।

अरविंद गुप्ता - महासचिव वि.वि कर्मचारी संघ

3)-विश्वविद्यालय के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की पदोन्नति के लिए परीक्षा प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। लेकिन परिणाम अब तक घोषित नहीं किए गए हैं। मेरी अधिकारियों से मांग है कि प्रोन्नति परिणाम जल्दी घोषित किए जाएं।

उत्कर्ष कर्दम- वि.वि कर्मचारी

4)-संविदा कर्मचारियों का वेतनमान काफी कम है। इस वेतन से गृहस्थी के सभी खर्च और बच्चों की पढ़ाई अच्छे से नहीं हो पाती है। मेरी अधिकारियों से मांग है कि संविदा कर्मचारियों के वेतनमान में वृद्धि की जाए।

मनोज -संविदा कर्मचारी

5)-विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा कर्मचारियों की पदोन्नति की गई है। लेकिन प्रोन्नत हुए कर्मचारियों को पदों के अनुसार वेतन नहीं दिया जा रहा है। मेरी मांग है कि प्रोन्नत हुए कर्मचारियों को पदोन्नति के अनुसार वेतन दिया जाए

अभिषेक तिवारी- वि.वि कर्मचारी

6)-विश्वविद्यालय में तैनात प्रधान सहायकों को प्रशानिक अधिकारी पदनाम दिए जाने की मांग की जा रही है। जो अब तक पूरी नहीं हो पाई है। मेरी मांग है कि प्रधान सहायकों को प्रशानिक अधिकारी का पदनाम दिया जाए।

अनिल गुप्ता - वि.वि कर्मचारी

7)-विश्वविद्यालय कर्मचारी संघ पदाधिकारियों ने कुलसचिव समेत अन्य अधिकारियों को ज्ञापन सौंपकर नियमित और संविदा कर्मचारियों को कैशलेस इलाज की सुविधा दिए जाने की मांग की है। जो अब तक पूरी नहीं हुई है।

आशू सिंह - वि.वि कर्मचारी

8)-विश्वविद्यालय में बनी पानी की टंकी से हर समय पानी टपकता है। टंकी का निर्माण कुछ समय पूर्व हुआ है। इससे हर समय दिक्कत रहती है। टंकी के आसपास से निकलने में डर लगता है।

राहुल चाहर - वि.वि कर्मचारी

9)- विश्वविद्यालय में अधीक्षक के पद रिक्त हैं। इन पदों पर कर्मचारियों की पदोन्नति की जानी है। अब तक पदोन्नति प्रक्रिया शुरु नहीं हो पाई है। मेरी मांग है कि रिक्त पदों पर कर्मचारियों की पदोन्नति जल्दी की जाए।

सुरेंद्र पाल सरीन - वि.वि कर्मचारी

10)- विश्वविद्यालय में करीब 200 अनुबंधित कर्मचारी कार्य कर रहे हैं। इन कर्मचारियों का वेतन महंगाई को देखते हुए बहुत कम है। अनुबंधित कर्मचारियों के वेतनमान में 3 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि की जानी चाहिए।

भूपेंद्र कुमार - वि.वि कर्मचारी

11)-बैंक द्वारा कर्मचारियों के पीएफ खाते पर कम ब्याज दी जा रही है। जबकि अन्य बैंकों में पीफ खाते पर ज्यादा ब्याज मिल रही है। कर्मचारियों को भी अन्य बैंकों की तरह ही पीएफ खाते पर ज्यादा ब्याज मिलनी चाहिए।

ब्रजेश - वि.वि कर्मचारी

12)- वरिष्ठ सहायकों के रिक्त पदों पर अभी तक कर्मचारियों की पदोन्नति नहीं हो पाई है। कई बार ज्ञापन के माध्यम से शिकायत की गई है। मेरी अधिकारियों से मांग है कि पदोन्नति प्रक्रिया जल्दी पूरी की जाए।

आरपी सिंह - वि.वि कर्मचारी

13)- लखनऊ विश्वविद्यालय में तैनात नियमित एवं संविदा कर्मचारियों को मेडिकल बीमा की सुविधा मिल रही है। मेरी मांग है कि विश्वविद्यालय में तैनात नियमित और संविदा कर्मियों को भी यही सुविधा मिले।

रोहित शर्मा - वि.वि कर्मचारी

14)-प्रोन्नति आदेश जारी होने के बाद भी अधीक्षकों और तृतीय श्रेणी कर्मचारियों प्रोन्नत वेतनमान ग्रेड पे नहीं लगाया गया है। मेरी मांग है कि ये प्रक्रिया तत्काल पूरी की जाए। कर्मचारियों को लाभ दिया जाए।

शिव गोविंद भदौरिया- वि.वि कर्मचारी

15)-एसीपी से लाभांवित होने वाले कर्मचारियों को सुविधा का लाभ नहीं मिल पा रहा है। मेरी मांग है कि एसीपी से लाभांवित होने वाले कर्मचारियों का एसीपी तत्काल लगाया जाए। किसी तरह का विलंब न हो।

अनिल कुमार - वि.वि कर्मचारी

16)-विश्वविद्यालय कर्मचारी संघ सात सूत्रीय मांगों को लेकर कुलाधिपति और कुलपति को ज्ञापन दे चुके हैं। अब तक मांगें पूरी नहीं हो पाई है। कर्मचारी हित से जुड़ी हमारी मांगें जल्दी पूरी की जाए।

अनूप चौधरी - वि.वि कर्मचारी

17)- बार बार ज्ञापन देने के बाद भी अधिकारी हमारी मांगों पर सुनवाई नहीं कर रहे हैं। सुनवाई नहीं हुई तो कर्मचारी संघ को मजबूर आंदोलन की राह पर चलना पड़ेगा।

कोमल सिंह - वि.वि कर्मचारी

18)- विश्वविद्यालय में प्रवेश, परीक्षा और परिणाम की स्थिति बेहतर किए जाने की जरूरत है। छात्रों की वजह से विश्वविद्यालय का अस्तित्व है। छात्रों की दिक्कत खत्म होगी तो छवि सुधरेगी।

सतीश मौर्या - वि. वि कर्मचारी

19)- फर्जीवाड़ों की वजह से विश्वविद्यालय की साख बहुत खराब हुई है। विश्वविद्यालय प्रशासन को व्यवस्थाओं में सुधार करना होगा। ऐसी व्यवस्था का क्रियांवन किए जाने की जरूरत है। जिससे छात्रों और कर्मचारियों को किसी तरह की असुविधा न हो। तभी विश्वविद्यालय की छवि सुधरेगी।

जसवंत ( वि.वि-कर्मचारी)

20)- अधिकारियों की लेटलतीफी की वजह से विश्वविद्यालय कर्मचारियों को प्रोन्नति का लाभ नहीं मिल पा रहा है। मेरी यही मांग है कि जो पद रिक्त पड़े हैं। उनपर पदोन्नति की प्रक्रिया जल्दी पूर्ण की जाए।

विष्णु - वि.वि कर्मचारी

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।

अगला लेखऐप पर पढ़ें