डीईआई : ग्रांड पैरेंट्स का समझना होगा नयी पीढ़ी को महत्व
Agra News - आगरा में दयालबाग एजुकेशनल इंस्टीट्यूट की सहायक प्रोफेसर डॉ. बानी दयाल धीर की पुस्तक 'ट्रैवल डायरी विद माय बिलवर्ड नाना-नानी' पर चर्चा हुई। इस पुस्तक में नाना-नानी के साथ यात्रा के दौरान मिली जीवन की...
आगरा। दयालबाग एजुकेशनल इंस्टीट्यूट की अंग्रेजी विभाग की सहायक प्रोफेसर डॉ. डॉ. बानी दयाल धीर द्वारा लिखित पुस्तक पर चर्चा हुई। डॉ. बानी ने ट्रैवल डायरी विद माय बिलव्ड नाना-नानी लिखी है। इस पुस्तक में अपनी नाना-नानी के साथ की गई यात्रा के दौरान मिली अनमोल जीवन की सीखों और आशीर्वादों को साझा किया है। यह पुस्तक राधास्वामी मत के दृष्टिकोण से आध्यात्मिक स्थलों के महत्व को उजागर करती है और परिवार, विशेष रूप से नाना-नानी के साथ बिताए गए समय की अमूल्य महत्ता को दर्शाती है। पुस्तक में भारतीय संस्कृति, आध्यात्मिकता और जीवन के उच्चतम आदर्शों को प्रस्तुत किया गया है, जो डीईआई के छात्रों के लिए प्रेरणा का एक और स्रोत है। डॉ. बानी के नाना राधास्वामी मत के 8वें संत सतगुरु डॉ. प्रेमसरन सत्संगी और नानी रानी मां हैं। उन्होंने बताया कि बच्चों को नाना-नानी या फिर दादा-दादी के साथ होने का महत्व समझना होगा। उन्होंने कहा कि आज के समय में यह महत्व और बढ़ गया है। क्योंकि आने वाली पीढ़ी में संस्कार, नैतिकता रोपने में सबसे बड़ी भूमिका ग्रांड पैरेंट्स की होती है।
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