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बोले आगरा: जोखिम में रहती जान, फिर भी नहीं कद्रदान

Agra News - फतेहाबाद में संविदा बिजली कर्मियों ने अपनी समस्याओं को उजागर किया है। उनका कहना है कि उन्हें सुरक्षा उपकरण नहीं दिए जा रहे हैं, जिससे उनकी जान को खतरा है। इसके अलावा, वेतन कम है और नौकरी की स्थिरता...

Newswrap हिन्दुस्तान, आगराThu, 6 March 2025 02:53 AM
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बोले आगरा: जोखिम में रहती जान, फिर भी नहीं कद्रदान

फतेहाबाद। कस्बों में हम उपभोक्ताओं को बेहतर बिजली आपूर्ति करने में संविदा कर्मियों का बड़ा रोल है। 33 केवीए विद्युत उप केंद्रों की जिम्मेदारी ये संविदा कर्मी ही संभालते हैं। कहीं भी फाल्ट होने पर विद्युत पोलों पर ये ही चढ़कर मोर्चा संभालते हैं। वहां हर समय उनकी जान जोखिम में रहती है। तब ये आंधी-बारिश और तूफान की परवाह नहीं करते। बिना सुरक्षा संसाधनों व उपकरणों के ये संविदा कर्मी अपना कार्य करते हैं। इसके बाद भी इन्हें नियमित कर्मचारी नहीं बनाया जा रहा है। इन कर्मचारियों का कहना है कि जो मानदेय हमें मिलता है उससे कहीं ज्यादा तो मजदूर कमा लेते हैं। फतेहाबाद के 33/11 केवी विद्युत उप केंद्रों, कार्यालयों और बिजली आपूर्ति में संविदा कर्मी लंबे समय से सेवाएं दे रहे हैं। ग्रामीणों के आक्रोश का इन्हीं को सामना करना पड़ता है। बिजली चेकिंग और बकाया वसूली अभियान के दौरान भी इनको मारपीट का सामना करना पड़ता है। पोल पर विद्युत फाल्ट ठीक करने के दौरान इनकीजान खतरे में रहती है। फिर भी इन संविदा कर्मचारियों की अनदेखी हो रही है।

फतेहाबाद के विद्युत कार्यालय पर हुए संवाद में संविदा कर्मचारियों ने अपनी समस्याएं बतायीं। कहा कि अधिकांश संविदा कर्मचारियों को न तो परिचय पत्र उपलब्ध कराए गए हैं और न ही ईएसआई कार्ड बना हुआ है। श्रम विभाग में पंजीकरण भी नहीं है। इसके साथ ही संविदा कर्मियों को अनुबंध के अनुसार वह सुविधाएं भी नहीं दी जा रही हैं जिसके वे हकदार हंै। बिजली घरों और फीडरों पर कार्य के दौरान उपयोग करने के लिए निगम या कार्यदायी संस्था द्वारा जीवन सुरक्षा उपकरण भी उपलब्ध नहीं कराए गए हैं। इसमें प्लायर्स, अर्थ चेन, गामा, टॉर्च, सेंसर युक्त हेलमेट, प्लास्टिक के जूते, सीढ़ी आदि जरूरी सामान नहीं मिला है। संविदा कर्मी और बिजलीघर जेई क्षेत्र में इधर-उधर से जुगाड़ कर संविदा कर्मियों से कार्य कराने को विवश हैं।

बिजली मरम्मत कार्य के दौरान दुर्घटनाएं भी होती रहती है। इसमें करंट लगने से संविदा कर्मी झुलसते तो हैं ही, कभी-कभी उनकी मौत भी हो जाती है। कार्य के दौरान करंट से झुलसे हुए संविदा कर्मचारियों को बीमा का लाभ न मिलने के कारण अपने खर्चे पर ही उपचार करना पड़ा है। झुलसने या पोल आदि से नीचे गिरकर चोटिल हो जाने पर उनको निगम या संबंधित संस्था से सहायता भी नहीं मिल रही है।

प्रमुख समस्याएं-काम के सापेक्ष कम वेतन, नौकरी में अनिश्चितता, 26 दिन की उपस्थिति लेकर 30 दिन काम, मेंटिनेंस टेंडर वाली टीम से ही वसूली का काम, एक लाइन पर मानक के सापेक्ष कम कर्मचारी, वसूली पर जा रहे कर्मचारियों की सुरक्षा, सुरक्षा उपकरणों की कमी, ईपीएफ का पैसा निकालने में परेशानी, किसी प्रकार का भत्ता न मिलना, ड्यूटी के अनिश्चित घंटे, वेतन का असमय होना है।

सुझाव एवं शिकायतें

1. संविदा बिजली कर्मियों को सुरक्षा किट व सभी प्रकार के संसाधन उपलब्ध कराए जाएं।

2. निगम के निजीकरण की आशंका के बीच हमें नौकरी के प्रति आश्वस्त किया जाए।

3. परिचय पत्र के साथ ईएसआई कार्ड भी दिलाया जाए, महीने में चार अवकाश दिए जाएं।

4. काम के दौरान हादसे पर सरकारी मदद दिलाई जाए, ताकि परिवार पर संकट न आए।

5. संविदा बिजली कर्मियों का दुर्घटना बीमा 10 से 20 लाख किया जाए।

1. सुरक्षा उपकरण के बगैर बिजलीघरों, लाइनों पर काम करते हैं, हादसे होते रहते हैं।

2. बिजली निजीकरण की आशंका से बेरोजगारी का खतरा बना हुआ।

3. संविदा कर्मी बगैर परिचय पत्र के कार्य कर रहे हैं।

4. ईएसआई कार्ड न होने से इलाज कराने में परेशानी हो रही है, श्रम विभाग में पंजीकरण भी नहीं है।

5. कर्मचारियों को अनुबंध के अनुसार लंबे समय से कोई सुविधा नहीं मिल रही हैं।

समस्याएं दूर हों तो बढ़े कर्मियों का मनोबल

आउटसोर्स संविदा कर्मियों को छटनी से पूर्व कोई जानकारी नहीं दी जाती। जिससे कर्मचारी हमेशा तनाव में रहते हैं। बिजली घरों पर रात्रि सुरक्षा के इंतजाम न होना भी एक बड़ी समस्या है। ग्रामीण बिजलीघरों पर इकट्ठे होकर आते हैं और बिना कारण पूछे संविदा कर्मियों से अभद्रता करते हैं। कभी-कभी मारपीट भी हो जाती है। सुरक्षा के इंतजाम हों तो बात बने। कर्मचारियों का कहना था कि समस्याएं दूर हों तो उनका मनोबल बढ़े और साथ ही विभाग की कार्य क्षमता में सुधार आए।

नहीं मिलता कोई भी भत्ता

कर्मचारियों को मोबाइल, पेट्रोल भत्ता दिया जाए। समान कार्य का समान वेतन दिया जाए। कर्मचारियों को 60 वर्ष की अवस्था तक कार्य करने की अनुमति दी जाए। मानक के अनुरूप कर्मचारियों की तैनाती की जाए, अनुबन्ध की शर्त के अनुरूप कर्मचारियों से आठ घंटे ही कार्य कराया जाए। माह में 26 दिन कार्य लिया जाए और अतिरिक्त कार्य का अतिरिक्त वेतन दिया जाए। साथ ही सुरक्षा किट उपलब्ध कराई जाए। कर्मचारियों को बिजली कनेक्शन दिया जाए, जिसका भुगतान न करना पड़े। कर्मचारियों के साथ हो रहे उत्पीड़न शोषण और सोतेले व्यवहार पर अंकुश लगाया जाए।

इनकी बात

संविदा बिजली कर्मचारियों के साथ सौतेला व्यवहार किया जाता है, सुरक्षा किट के बगैर ही कार्य कराया जा रहा है। जिससे आए दिन बिजली संभालते समय लाइनमैनों के साथ दुर्घटनाएं होती रहती हैं। अधिकारी भी बगैर सुरक्षा किट के कार्य करने पर कोई चिंता नहीं करते हैं, बस उन्हें काम से मतलब हैं।

-योगेंद्र

संविदा कर्मियों के कारण ही जिले की बिजली व्यवस्था बनी हुई है, उसके बाद भी हमारा ही ध्यान नहीं रखा जा रहा है। पोल और लाइन से गिरकर हाथ पैर टूटने या चोट लगने या झुलसने पर कोई क्लेम नहीं मिलता है, मृत्यु होने पर ही अधिकतम 10 लाख बीमा परिजनों को मिलता है। जो कि बेहद कम है।

-भारत शर्मा

संविदा कर्मियों को बिना वजह हटाया जा रहा है, जोकि गलत है। सभी को पुन: वापस रखा जाना चाहिये। मेहनत से कार्य करने के भी बाद संविदा कर्मियों में नौकरी का डर बना रहता है। संविदा कर्मियों को उपकरण बगैर बड़ी-बड़ी लाइनों और ट्रांसफार्मरों पर काम करना पड़ता है। जान का खतरा रहता है। गंभीरता से सोचना चाहिए।

-सत्येंद्र

निजीकरण से पहले ही संविदा कर्मचारियों को हटाया जा रहा है। कर्मचारियों की समस्याओं का निस्तारण भी नहीं हो रहा है। अतिरिक्त कार्य का पैसा भी अलग से नहीं दिया जा रहा है। अचानक हटाए गए कर्मियों के समक्ष आर्थिक संकट पैदा हो गया है। उन्हें परिवार का भरण-पोषण करने में परेशानी आ रही है। -रामकेश

संविदा कर्मचारियों की समस्याओं का निस्तारण नहीं किया जा रहा है। बार-बार ज्ञापन भी दिए जा रहे हैं फिर भी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। ड्यूटी का कोई समय नहीं है। सुबह दोपहर और रात, जब चाहे कार्य के लिए बुला लिया जाता है। ड्यूटी का समय और घंटे निर्धारित किये जाएं।

श्रीकिशन

कर्मचारियों की निर्धारित ड्यूटी आठ घंटे है, उसके बाद भी हम लोगों से 12-16 घंटे और लगातार 30 दिन कार्य लिया जा रहा है। जबकि ओवर काम का अतिरिक्त पैसा नहीं दिया जा रहा है। लंबे समय से कार्य कराने के बाद भी कर्मचारियों को अचानक हटा दिया गया है। पैसा दिलवाते हुए पुन: कार्य पर लिया जाए। श्यामलाल

स्मार्ट मीटर होने के बाद भी संविदा कर्मचारियों को रीडिंग करने भेजा जा रहा है। इसकी कोई राशि कर्मचारियों को नहीं मिलती है। अतिरिक्त पैसा देना चाहिये। किसी भी संविदा कर्मचारी को परिचय पत्र और ईएसआई कार्ड उपलब्ध नहीं कराए गए हैं। जिसके कारण अनेकों प्रकार की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

-शैलेंद्र

कर्मचारियों को कार्य करने लिए सुरक्षा उपकरण उपलब्ध नहीं कराए जा रहे हैं। इससे दुर्घटनाएं हो रही हैं। बगैर उपकरण कार्य करने से कर्मचारी झुलस रहे हैं और उनकी मृत्यु भी हो रही है। संविदा कर्मचारियों को कार्य के अनुरूप पैसा नहीं मिल रहा है। पैसा बढ़ाने की मांग लगातार की जा रही है। इस मांग को माना जाए।

-रामदेव

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