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काम का बोझ ज्यादा पर मेहनताना मिलता है आधा

Agra News - आगरा में संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों की संख्या लगभग 3700 है, जो नियमित कर्मचारियों के समान कार्य करते हैं लेकिन कम वेतन और सुविधाओं से परेशान हैं। वेतनमान में असमानता, सुरक्षा की कमी, और पीएफ की...

Newswrap हिन्दुस्तान, आगराFri, 14 Feb 2025 07:56 PM
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काम का बोझ ज्यादा पर मेहनताना मिलता है आधा

आगरा। स्वास्थ्य सेवाओं में अहम भूमिका निभाने वाले संविदा कर्मचारी पर्याप्त मेहनताना न मिल पाने से परेशान हैं। इन्हें काम तो पूरा करना पड़ता है। लेकिन सुविधाएं नहीं मिलती है। बात वेतनमान की हो या फिर आवास और अन्य सुविधाओं की, आरोप है कि उनसे सौतेला व्यवहार किया जाता है। साहब से सलाम नहीं करने पर नौकरी से निकाल दिया जाता है। संवाद कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन संविदा कर्मचारी संघ से जुड़े पदाधिकारियों और सदस्यों ने अपनी परेशानियां साझा कीं। कहा कि उन्हें भी नियमित कर्मचारियों के बराबर ही वेतन मान दिया जाए। सरकारी आवास और डीए का इंतजाम किया जाए। कोराना काल में जान जोखिम में डालकर मरीजों के इलाज में अहम भूमिका निभाने वाले संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी आज बेहद परेशान हैं। सभी के मन में इस बात की पीड़ा है कि उन्हें नियमित कर्मचारियों की तरह वेतन क्यों नहीं दिया जाता। जबकि वो किसी मामले में नियमित कर्मचारियों से कम नहीं है। संविदा कर्मियों ने दावा किया है कि सरकारी स्वास्थ्य सेवाएं और कार्यक्रम में 95 प्रतिशत सहभागिता संविदा कर्मचारियों की रहती है। फिर भी उन्हें वेतन विसंगती का दंश झेलना पड़ रहा है। संविदा कर्मचारियों के लिए बच्चों को पढ़ाना और घर का खर्च चलाना मुश्किल हो गया है। उन्होंने बताया कि सरकार के 22 स्वास्थ्य कार्यक्रम संविदा कर्मचारियों के दम पर चल रहे हैं। फिर भी उन्हें समान अधिकार नहीं मिल रहे हैं। छुट्टी लेने के लिए भी अधिकारी के सामने गिड़गिड़ाना पड़ता है। सालाना वेतन इंक्रीमेंट मुश्किल से पांच प्रतिशत है। नौकरी नियमित नहीं है। हर वक्त भ‌विष्य की चिंता रहती है। दूर दराज के क्षेत्रों में तैनाती मिलने पर खुद का किराया खर्च करके आना जाना पड़ता है। वेतन का बड़ा हिस्सा किराए में खर्च हो जाता है। मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। समस्याओं का हल नहीं निकल पा रहा है।

जिले में स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े संविदा कर्मचारियों की संख्या 3700 के करीब है। इनमें चिकित्सक, लैब टेक्नीशियन, नर्स, फार्मासिस्ट, माइक्रो बायोलोजिस्ट और अन्य कर्मचारी शामिल हैं। करीब 1700 महिला कर्मचारी भी संविदा पर नौकरी कर रहीं हैं। संविदा महिला कर्मचारी मौजूदा हालातों से परेशान हैं। उनका आरोप है कि ड्यूटी खत्म होने के बाद उन्हें अकारण रोका जाता है। झांसे में लेकर शोषण का प्रयास किया जाता है। जैसे तैसे मजबूरी में महिला कर्मचारियों की नौकरी चल रही है। इसके अलावा संविदा कर्मचारियों का आरोप है कि उनके वेतन से हर महीने से पीएफ के नाम पर घनराशि की कटौती की जाती है। फिर भी ये धन पीएफ खाते में जमा नहीं किया जा रहा है। यह धनराशि कहां जा रही है। उन्हें कोई बताने वाला नहीं है। शिकायत करने पर भी कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। कर्मचारियों ने प्रकरण की जांच कराए जाने की मांग की है। आरोप लगाया है कि बड़ा घोटाला किया जा रहा है। महिला कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें भी नियमित कर्मचारियों की तरह ट्रांसफर की सुविधा मिलनी चाहिए। पॉलिसी बनाकर संविदा कर्मचारियों को नियमित किया जाना चाहिए। म्यूचुएल ट्रांसफर की व्यवस्था समाप्त होनी चाहिए। नई ट्रांसफर पॉलिसी लागू कर महिला कर्मचारियों को राहत दी जानी चाहिए। संविदा महिला कर्मचारियों को भी गृह जनपद में नौकरी करने की सुविधा मिलनी चाहिए।

मिले समान वेतन

संविदा कर्मचारियों को सबसे बड़ी पीड़ा इसी बात की है कि उन्हें नियमित कर्मचारियों से काफी कम वेतन मिलता है। जबकि पूरा काम उन्हें ही करना पड़ता है। कर्मचारियों ने सवाल उठाया कि जब उनसे नियमित कर्मचारियों के बराबर ही काम लिया जाता है। तो फिर वेतन कम क्यों दिया जाता है। हर समय नौकरी से निकालने की धमकी क्यों दी जाती है। नियमित कर्मचारियों की बात नहीं मानने पर संविदा कर्मी की नौकरी क्यों चली जाती है। कर्मचारियों ने बताया कि कुछ समय पहले एक संविदा कर्मचारी ने नियमित कर्मचारी को नमस्ते नहीं किया था। ये बात साहब को नागवार गुजरी। इसके बाद संविदा कर्मचारी को नौकरी से हटा दिया गया। अब कर्मचारी और उसका परिवार बेहद परेशान है। उनकी कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है।

महिला कर्मचारियों को मिले सुरक्षा

संवाद कार्यक्रम के दौरान संघ से जुड़ी महिला कर्मचारी अपनी सुरक्षा को लेकर परेशान दिखीं। महिला कर्मचारियों ने बताया कि संविदा कर्मचारी होने की वजह से उन्हें कमजोर आंका जाता है। ड्यूटी अवधि खत्म होने के बाद उन्हें बिना वजह रोका जाता है। कुछ अधिकारी नौकरी की जरूरत को उनकी मजबूरी समझते हैं। मौका का फायदा उठाने की ताक में रहते हैं। महिला कर्मचारियों का कहना है कि कार्यालयों में अगर सीसीटीवी कैमरे नहीं लगे हों तो नौकरी करना मुश्किल हो जाएगा। महिला कर्मचारियों ने ड्यूटी के दौरान सुरक्षित माहौल देने की मांग की है। कह रहीं हैं कि उनकी मजबूरी को अधिकारी कमजोरी न समझें। उनके मान सम्मान को सुरक्षित रखें।

पीएफ खाते में जमा नहीं हो रही धनराशि

संविदा कर्मचारियों ने आरोप लगाया है कि उनके वेतन से हर महीने पीएफ के नाम पर धनराशि की कटौती की जाती है। जब वह पीएफ खाते की जानकारी करने संबंधित कार्यालय में पहुंचे तो पता चला कि धनराशि उनके खाते में जमा नहीं की जा रही है। कर्मचारियों ने बताया कि वह विभागीय अधिकारियों से इस बाबत शिकायत कर चुके हैं। फिर भी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। परेशान कर्मचारियों ने प्रकरण की जांच कराए जाने की मांग की है। आरोप लगाया है कि पीएफ के नाम पर जिम्मेदार बड़ा घोटाला कर रहे हैं। उनके भविष्य ये खिलवाड़ किया जा रहा है।

नौकरी में सुरक्षा की गांरटी

संविदा कर्मचारियों ने नौकरी में सुरक्षा की गारंटी दिए जाने की मांग की है। उनका कहना है कि कई संविदा कर्मचारी लंबे समय से नौकरी कर रहे हैं। इसके बाद भी उन्हें नौकरी चले जाने का डर बना रहता है। उनकी काबलियत को तव्वजो नहीं दी जाती है। अधिकारी नाराज होता है तो उनकी नौकरी चली जाती है। पूरी मेहनत करने के बाद भी संविदा कर्मचारी घुट घुट कर नौकरी कर रहे हैं। संविदा कर्मचारियों ने सरकार से संविदा कर्मचारियों के हित में नई पॉलिसी बनाए जाने की मांग की है। जिससे संविदा कर्मचारियों को नियमित करने का काम किया जाए।

इनका कहना

जिले में संविदा कर्मचारियों की संख्या करीब 3700 है। इनमें 1700 महिला कर्मचारी भी हैं। संविदा पर तैनात महिला कर्मचारियों को ड्यूटी अ‌वधि खत्म होने के बाद भी अकारण रोका जाता है। महिला कर्मचारी खुद को असुरक्षित महसूस करती हैं। इस पर सख्ती से रोक लगाए जाने की जरूरत है।

महेंद्र सिंह यादव -जिलाध्यक्ष- राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन संविदा कर्मचारी संघ आगरा

निर्धारित अवधि से ज्यादा डयूटी देनी पड़ती है। वेतन भी कम मिलता है। विरोध करो तो नौकरी से निकालने की धमकी दी जाती है। संविदा कर्मचारियों का शोषण किया जाता है। संविदा कर्मचारियों को भी समान अधिकार दिए जाने की जरूरत है।

दामोदर सिंह - सीनियर लैब टेक्नीशियन

एक समान डिग्री और पद होने के बाद भी नियमित कर्मचारी हमें तवज्जों नहीं देते हैं। हमारे साथ सौतेला व्यवहार किया जाता है। हमें कुछ कहने बोलने की अनुमति नहीं होती। पूरी मेहनत करने के बाद भी संविदा कर्मचारी घुट घुट कर नौकरी कर रहे हैं।

रोहित कुमार - वार्ड ब्वाय

मैं चौकीदार के रूप में काम करता हूं। 10491 हजार रुपये मासिक वेतन मिलता है। हर साल नया टेंडर होता है। इसके बाद ठेकेदार बदल जाता है। नया ठेकेदार सुविधा शुल्क के रूप में एक महीन का वेतन मांग लेता है। इस पर रोक लगनी चाहिए।

अनूप कुमार - चौकीदार

हर दिन नौकरी का आखिरी दिन लगता है। कब कौन अधिकारी नाराज हो जाए। हमारी नौकरी चली जाए। कहा नहीं जा सकता है। डर डर के नौकरी करनी पड़ती है। मेरी यही मांग है कि हमें भी नौकरी में सुरक्षा की गारंटी मिलनी चाहिए।

लाला राम - वार्ड ब्वाय

हम भी नियमित कर्मचारियों की तरह की दिन रात काम करते हैं। इसके बाद भी नियमित कर्मचारियों और संविदा कर्मचारियों के वेतनमान में बड़ी असमानता है। इसे दूर किए जाने की जरूरत है। संविदा कर्मचारियों का वेतन भी नियमित कर्मचारी के समान होना चाहिए।

रिषी पाठक - ऑप्टिमिस्ट्र

स्वास्थ्य सेवाओं के 95 प्रतिशत कार्य संविदा कर्मियों के द्वारा किया जा रहा है। कोराना काल में भी संविदा कर्मचारियों ने जान दांव पर लगा कर लोगों का जीवन बचाया। संविदा स्वास्थ्य कर्मियों को भी सही वेतन दिया जाना चाहिए।

ओवेश- लैब टेक्नीशियन

काउंसलर पद पर नियमित और संविदा कर्मचारियों के वेतनमान में बड़ी विसंगति है। इसे खत्म किए जाने की जरूरत है। समान पद पर होते हुए भी हमें कम वेतन में पूरा काम करना पड़ता है। मेरी मांग है कि इस असमानता को खत्म किया जाए।

रेनू तोमर - काउंसलर

हमसे बाद में जो कर्मचारी भर्ती हुए हैं। उन्हें हमसे कहीं ज्यादा वेतन मिल रहा है। इससे मन आहत रहता है। सभी खुद को असहज महसूस करते हैं। हमारे अधिकारों में भी वृद्धि किए जाने की जरूरत है। ये दिक्कत खत्म होनी चाहिए।

विशाल सक्सेना - लैब टेक्नीशियन

संविदा कर्मचारियों को इतना वेतन भी नहीं मिल रहा है कि दो बच्चों को अच्छे स्कूल में पढ़ा पाए। इस तनख्वाह में घर का खर्च भी मुश्किल से चल पा रहा है। मन बहुत परेशान रहता है। हमें भी सम्मानजनक वेतन दिया जाना चाहिए।

मैसर खान - सीनियर लैब टेक्नीशियन

हम संविदा कर्मियों को आसानी से छुट्टी नहीं मिलती है। छुट्टी लेने के लिए अधिकारी से अनुनय विनय करनी पड़ती है। संविदा कर्मचारियों को भी नियमानुसार छुट्टियों का लाभ दिया जाना चाहिए। सीसीएल की सुविधा भी मिलनी चाहिए।

विभोर -सीनियर लैब टेक्नीशियन

संविदा कर्मचारियों को मेडिकल सुविधा प्रदान नहीं की जा रही है। हर एक कर्मचारी को 10 लाख का मेडिकल बीमा प्रदान किया जाना चाहिए। परिवार को भी स्वास्थ्य सुविधा प्रदान किए जाने की जरूरत है। इससे हमें बहुत राहत मिलेगी।

देवेंद्र कुमार - स्टाफ नर्स

हम लोग दूर क्षेत्रों में नौकरी कर रहे हैं। हमें एचआरए और डीए का लाभ नहीं दिया जाता है। वेतन का बड़ा हिस्सा पेट्रोल और किराए में खर्च हो जाता है। इससे जीवन यापन में दिक्कत आ रही है। इस समस्या का समाधान होना चाहिए।

ब्रह्मानंद राजपूत - माइक्रोबायोलॉजिस्ट

संविदा कर्मचारियों के लिए आवास की सुविधा नहीं होती है। अधिकांश संविदा कर्मी किराए के कमरे में जीवन गुजार रहे हैं। अगर हमें भी आवास की सुविधा मिलने लगे तो परिवार को साथ रखना आसान हो जाएगा। काफी सहूलियत मिल जाएगी।

विजेंद्र कुमार सैनी - पीएचएन ट्यूट

हर साल महंगाई बढ़ रही है। लेकिन संविदाकर्मियों के महंगाई भत्ते में नियमानुसार इजाफा नहीं किया जाता है। साल में बमुश्किल 5 प्रतिशत महंगाई भत्ता ही बढ़ाया जाता है। हमारी मांग है कि महंगाई भत्ते में हर साल 15 से 20 प्रतिशत का इजाफा किया जाए।

रामवीर सिंह बघेल- नर्सिंग अधिकारी

कई कर्मचारियों को बिना किसी नोटिस, पूर्व सूचना के नौकरी से निकाल दिया गया है। अधिकारी नाराज होता है तो तुरंत नौकरी से निकाल देने की धमकी देता है। इस पर रोक लगाया जाना बहुत जरूरी है। संविदा कर्मियों का मानसिक उत्पीड़न बंद होना चाहिए।

संगीता यादव - स्टाफ नर्स

हमारे वेतन से हर महीने पीएफ के लिए 1 हजार से ज्यादा रुपये की धनराशि काटी जाती है। पीएफ कार्यालय में जानकारी करने पर पता चला है कि काटी गई धनराशि पीएफ खाते में जमा नहीं की गई है। इस प्रकरण की गंभीरता से जांच की जानी चाहिए।

अंजली- सीनियर लैब टेक्नीशियन

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