निरस्त होंगी बीएड 2005 की फर्जी डिग्री

डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय ने बीएड की फर्जी डिग्री पर बड़ा फैसला ले लिया है। बीएड-2005 के फर्जीवाड़े में विवि अब कार्रवाई करेगा। विवि ने बीएड 2005 की फर्जी डिग्री को निरस्त करने का फैसला ले...

Newswrap हिन्दुस्तान, आगराSat, 7 Dec 2019 01:00 AM
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डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय ने बीएड की फर्जी डिग्री पर बड़ा फैसला ले लिया है। बीएड-2005 के फर्जीवाड़े में विवि अब कार्रवाई करेगा। विवि ने बीएड 2005 की फर्जी डिग्री को निरस्त करने का फैसला ले लिया। शुक्रवार को हुई विवि की कार्य परिषद की बैठक में नियमों के अनुसार डिग्री निरस्त करने पर मुहर लगा दी है। कार्य परिषद की बैठक के बाद विवि डिग्री निरस्त करने की प्रक्रिया शुरू करेगा। इस फैसले के बाद प्रदेशभर के परिषदीय स्कूलों में फर्जी डिग्री से नौकरी कर रहे शिक्षकों की नौकरी जाना तय है।

विश्वविद्यालय की कार्य परिषद की बैठक कुलपति डॉ. अरविंद कुमार दीक्षित की अध्यक्षता में हुई। कार्य परिषद में बीएड 2005 का प्रकरण रखा गया। इसके बाद कार्य परिषद के सदस्यों ने एसआईटी की रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई का फैसला लिया। कार्य परिषद ने तय किया कि एसआईटी की रिपोर्ट और सूची के आधार पर बीएड की फर्जी डिग्री को निरस्त किया जाएगा। यह विवि के नियमों के आधार पर होगा। इसके लिए सबसे पहले एसआईटी से सूची मांगी जाएगी, क्योंकि एसआईटी की ओर से फर्जीवाड़े की जांच के बाद विवि को सौंपी गई सूची और प्रदेश के अपर मुख्य सचिव राजस्व एवं बेसिक शिक्षा की सूची में अंतर था। ऐसे में विवि एसआईटी से अंतिम सूची मांगेगा। सूची मिलने के बाद जिन अभ्यर्थियों का पता विवि के पास होगा, उन्हें डाक से सूचना दी जाएगी। साथ ही सूची को वेबसाइट पर अपलोड कर दिया जाएगा। सूची में शामिल डिग्री धारकों को 15 दिन का समय दिया जाएगा। इसके बाद विवि डिग्री निरस्त करने की प्रक्रिया कर देगा। कार्य परिषद की बैठक में परीक्षा नियंत्रक डॉ. राजीव कुमार, प्रो. संजय चौधरी, प्रो. बीपी सिंह, डॉ. जैसवार गौतम प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।

कार्य परिषद ने विवि के नियमों के अनुसार फर्जी डिग्रियों को निरस्त करने का फैसला लिया है। विवि अब इसकी प्रक्रिया शुरू करेगा। इसके लिए एसआईटी से सूची मांगी जाएगी। सूची को वेबसाइट पर जारी किया जाएगा। आपत्तियां मांगी जाएंगी। फिर डिग्री निरस्त कर दी जाएंगी।

केएन सिंह, कुलसचिव

डिग्री निरस्त करने को ये प्रक्रिया होगी

कार्य परिषद के निर्णय के बाद विवि एसआईटी से सूची लेगा। सूची का मिलान विवि के पास 80 कॉलेजों के मिले डाटा से किया जाएगा। इसके बाद देखा जाएगा कि कितने रोल नंबर जेनरेट किए गए हैं। इस प्रक्रिया के दौरान ही विवि सूची को सार्वजनिक कर आपत्तियां लेगा। 15 दिन में मिली आपत्तियों का निस्तारण किया जाएगा। फिर फर्जी मिली डिग्रियों को विवि निरस्त कर देगा।

4704 डिग्रियों पर होना है फैसला

हाईकोर्ट के आदेश पर एसआईटी ने जांच की। जुलाई 2017 में एसआईटी ने सूची शासन को सौंप दी। सूची में 4570 डिग्री फर्जी थीं। इसमें 1053 मामले टेंपर्ड मिले थे। वहीं 3517 रोल नंबर जेनरेट पाए गए थे। नवंबर 2018 में दूसरी सूची जारी की गई। इसमें फर्जी डिग्रियों की संख्या बढ़कर 4704 हो गई। अब विवि इन दोनों में से फाइनल सूची पर डिग्री निरस्त करने की कार्रवाई करेगा। इसीलिए विवि एसआईटी से सूची मांगेगा।

फर्जी डिग्री से चल रही है बेसिक स्कूलों में नौकरी

डॉ. भीमराव आंबेडकर विवि से 90 प्रतिशत अंकों की फर्जी डिग्री लेने के बाद खिलाड़ियों ने बेसिक शिक्षा विभाग की भर्तियों में हाथ आजमाया। अंकों के खेल से मैरिट में टॉप पर आए और बेसिक शिक्षा विभाग के परिषदीय स्कूलों में नौकरी पा ली। फर्जीवाड़े के यही खिलाड़ी प्रदेशभर के परिषदीय स्कूलों में गुरुजी बन नौकरी कर रहे हैं। एसआईटी की रिपोर्ट के आधार पर ऐसे शिक्षकों को नौकरी से बर्खास्त किया जा रहा है। हालांकि आगरा में अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

ऐसे खुला था बीएड फर्जीवाड़ा

बीएड 2005 में बड़ा फर्जीवाड़ा एसआईटी ने खोल दिया था। हालांकि यह फर्जीवाड़ा खुलने की शुरुआत उस सत्र में बीएड करने वाले सुनील कुमार को मिली दो मार्क्सशीट से शुरू हुई थी। अलीगढ़ के कॉलेज से बीएड करने वाले सुनील कुमार को जब विवि ने दो मार्क्सशीट दी तो उन्होंने उनमें से सही मार्क्सशीट के बारे में पूछा। विवि ने जब कोई जवाब नहीं दिया, तो सुनील हाईकोर्ट पहुंच गए। हाईकोर्ट ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच पहले सीबीसीआईडी और फिर एसआईटी के दे दी। एसआईटी ने 2005 में बीएड की 47 सौ से अधिक फर्जी डिग्री का खुलासा किया था।

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