बोले आगरा, चांदी की चमक बिखेरने वाले हजारों शिल्पी हताश
Agra News - आगरा का चांदी उद्योग देश में प्रसिद्ध है, लेकिन यहां के कारीगर सरकारी सहायता की कमी से हताश हैं। आधुनिक तकनीकी ज्ञान और प्रशिक्षण की कमी के कारण उन्हें बाजार की मांग के अनुसार काम करने में कठिनाई हो...
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आगरा। चांदी उद्योग में आगरा का वर्चस्व रहा है। इसी वजह से देश के प्रमुख चांदी आयातक सेंटरों में आगरा शुमार था। यहां बनने वाले चांदी के उत्पाद देश के विभिन्न हिस्सों में तो बिकते ही हैं, अब मुंबई-दिल्ली के रास्ते उनका निर्यात भी हो रहा है। कुछ मशीन, कुछ कारीगरी की बदौलत आगरा के उत्पाद देश भर की मंडियों में धाक रखते हैं। चांदी की कारीगरी की बदौलत सालाना हजारों करोड़ के कारोबार की इमारत खड़ी हो गई। इसके बावजूद आगरा का यह उद्योग सरकारी प्रोत्साहन हासिल नहीं कर पाया।
चांदी की चमक के पीछे रहने वाले ताज नगरी के हजारों हुनरमंद हताश हैं। उन्हें खुद के चेहरे की चमक का इंतजार है। मुगलकाल से देश और दुनिया में अपने हुनर की चमक बिखेर रहे इन कारीगरों का जीवन हताशा और निराशा के बीच फंसा है। जीवन में सुनहरी सुबह का सपना देखना भी इन्होंने छोड़ दिया है। उन्हें लगता है कि जैसा चल रहा है। सब ठीक है। कुछ भी बदलने वाला नहीं है। ऐसे सैकड़ों परिवार भी काफी परेशान हैं जिनकी पीढ़ी दर पीढ़ी चांदी तराशने का काम कर रही हैं।
आश्चर्य इस बात का है कि सरकार की तमाम योजनाओं की जानकारी इन कारीगरों को नहीं हैं। ऐसी कारीगर भी हैं जो जानते हैं कि सरकार काफी कुछ कर रही है। लेकिन यह योजनाएं सरकारी दफ्तरों से बाहर नहीं आ पा रही हैं। कारीगरों की वेदना है कि हुनर के दम पर चांदी के सुंदर आभूषण, धार्मिक कृतियां और कलात्मक उत्पाद दुनिया में शहर को सदियों से अनोखी पहचान दे रहे हैं। कारीगरों के हुनर से चांदी उद्योग पारंपरिक कारीगरी को संवारे हुए है। नए ट्रेंड और डिजाइन भी चांदी के दीवानों को खूब पसंद आ रहे हैं। इसके बाद भी कारीगरों और उनके परिवारों की आर्थिक स्थिति में कोई खास बदलाव नहीं आया है। पिछले कुछ सालों से चांदी उद्योग को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इसका प्रभाव भी चांदी कारीगरों पर पड़ रहा है। ऑनलाइन बाजारों में प्रतिस्पर्धा, आर्टिफिशियल ज्वेलरी का बढ़ता प्रचलन, कच्चे माल की बढ़ती कीमतें शामिल हैं। चांदी कारीगरों का कहना है कि सरकार की योजनाओं की जानकारी हरेक कारीगर को मिलनी चाहिए।
आधुनिक तकनीकों और चांदी के डिजाइन में लगातार होने वाले अपडेट के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों की जानकारी हरेक कारीगर के पास पहुंचनी चाहिए। प्रधानमंत्री मुद्रा योजना, एमएसएमई और हस्तशिल्प विकास योजना की ज्यादातर चांदी कारीगरों को जानकारी नहीं है। हजारों कारीगरों का डिजाइन इनोवेशन, ऑनलाइन मार्केटिंग और वैश्विक व्यापार में चल रहे बदलवा की जानकारियों का अभाव है। चांदी के हुनरमंद कहते हैं कि अधिकांश कारीगरों को आधुनिक तकनीक की जानकारी नहीं है। सरकार की ओर से तमाम योजनाओं के तहत वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। इसकी जिन कारीगरों को जानकारी है उन्हें वित्तीय सहायता पाने में दम निकल जाती है। कारीगरों का मानना है कि अगर वित्तीय सहायता मिलने की कागजी प्रक्रिया सरल हो जाए, तो कुछ कारीगरों का भला हो सकता है। हुनरमंदों का कहना है कि शहर का चांदी उद्योग सदियों से शिल्प कौशल और गुणवत्ता के लिए प्रख्यात है। इसके बाद भी कारीगरों को हर रोज चुनौतियों से जूझना पड़ता है।
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शाही दरबारों की शान
रही है शहर की चांदी
आगरा। चांदी की चमक शाही दरबारों की शान बढ़ाती रही है। मुगलकाल से शहर में चांदी के कारीगर शासकों के लिए चांदी के बर्तन, आभूषण और कलात्मक वस्तुएं बनाने का काम करते थे। शाही दरबारों से लेकर अमीर घरानों में चांदी से बनी वस्तुएं काफी पसंद की जाती थीं। मुगल शासन काल में चांदी आगरा एक प्रमुख व्यापारिक केंद्र रहा। यहां देश के तमाम राज्यों के साथ ही बाहरी देशों के व्यापारी भी चांदी का व्यापार करने के लिए आते थे। इसके बाद अंग्रेजों के शासन में भी शहर के चांदी व्यवसाय ने खूब तरक्की की। ब्रिटिश काल में आगरा में बने चांदी के उत्पादों की यूरोप में काफी मांग थी। इस दौर में भी चांदी का बड़ा कारोबार शहर में होता है। पुरानी मंडी, जौहरी बाजार, राजा की मंडी, किनारी बाजार, चौबेजी का फाटक, लोहामंडी बाजार आदि चांदी के बड़े कारोबारी केंद्र हैं। इसके अलावा शहर में चांदी के शोरूम व छोटी-बड़ी दुकानें भी काफी संख्या में हैं। शहर से देश के कई राज्यों में चांदी सप्लाई भी की जाती है। चांदी के पारंपरिक आभूषणों से लेकर चांदी के सिक्के, घरों के लिए चांदी के डेकोरेशन पीस, चांदी के बने बर्थडे व वैवाहिक वर्षगांठ के लिए उपहार आदि बनते हैं। इसके अलावा चांदी में ईश्वर की अद्भुत कलाकृतियों को उकेरने का काम यहां के कारीगर सदियों से कर रहे हैं।
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दो हजार करोड़ रुपये के कारोबार के
पीछे बीस हजार कारीगरों का हुनर
आगरा। शहर में चांदी का सालाना कारोबार लगभग दो हजार करोड़ रुपये का है। शहर में लगभग बीस हजार चांदी कारीगर हैं। इनमें से चांदी के लगभग सात हजार कारीगर पंजीकृत हैं। बाकी लगभग तेरह हजार कारीगरों का पंजीकरण नहीं है। शादी से सीजन, दीवाली, अक्षय तृतीया के साथ ही तमाम त्योहारों और विशेष आयोजनों के समय शहर की चांदी की मांग काफी बढ़ जाती है। चांदी के आभूषणों पायल, बिछुए, झुमके, अंगूठी, कड़े, चूड़ियां, घरों के लिए चांदी के गुलदस्ते, सजावटी तश्तरी, फोटो फ्रेम, मोबाइल स्टैंड, पेन स्टैंड, चांदी की मूर्तियां, पूजा की थालियां, दीपक, कलश, चांदी के सिक्के, उपहार आदि का बड़ा कारोबार है।
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तकनीकि ज्ञान की दरकार
आगरा। शहर का चांदी व्यापार काफी समृद्ध रहा है। मुगलकाल और अंग्रेजों की हुकूमत के समय शहर की चांदी दुनिया भर में प्रख्यात रही है। वक्त बदलने के साथ चांदी कारोबार में भी लगातार बदलाव आते रहे। इन्हीं बदलावों के साथ कारीगर अपने हुनर को भी अपने दम पर संवारते रहे। चांदी कारीगर अभिषेक का कहना है कि आधुनिक उपकरणों का ज्ञान कारीगरों के लिए बेहद जरूरी है। चांदी की दुनिया में लगातार डिजायन में आने वाले बदलावों के लिए यह जरूरी है। कच्चे माल की बढ़ती कीमतें कम होनी चाहिए। तकनीकि ज्ञान भी कारीगरों के लिए बेहद जरूरी है। इसलिए समय-समय पर प्रशिक्षण देने की सरकार को व्यवस्था करनी चाहिए। प्रशिक्षण मिलते भी हैं तो इसकी जानकारी सभी कारीगरों को नहीं मिल पाती है। अभिषेक कहते हैं कि सरकारी और गैर सरकारी संगठनों को चांदी कारीगरों के हित में आगे आना होगा। प्रशिक्षण और कारीगरों के कौशल विकास को लेकर योजनाएं तैयार करने की जरूरत है। तकनीकि डिजाइनिंग और डिजिटल मार्केटिंग का ज्ञान कारीगरों के लिए बेहद जरूरी बन चुका है।
समस्याएं और समाधान
1. तकनीकि प्रशिक्षण नहीं मिलने के कारण बाजार की मांग के अनुरूप काम करने में दिक्कत आती है।
. इसके लिए सरकार और व्यापारिक संगठन मिलकर कारीगरों को प्रशिक्षण देने की व्यवस्था करें।
2. नए सरकारी नियमों के कारण चांदी के छोटे कारोबारियों को दिक्कत आती है। कारीगरों पर असर पड़ता है।
. सरकार नियमों में सरलीकरण कर सकती है। इससे छोटे कारोबारियों को काम बढ़ाने का अवसर मिलेगा।
3. सरकारी योजनाओं की जानकारी सैकड़ों कारीगरों को नहीं मिल पाती है। इससे कारीगर लाभ नहीं ले पाते हैं।
. सरकार की सभी स्कीमों की जानकारी सीधे मोबाइल नंबर पर मिले। व्यापारिक संगठन व सरकार मिलकर कर सकते हैं।
4. सरकार की ओर से दिए जाने वाले प्रशिक्षण की जानकारी सीमित कारीगरों तक पहुंच पाती है।
. सरकार ऐसी व्यवस्था सुनिश्चित कर सकती है जिससे सभी चांदी कारीगरों को जानकारी मिल सके।
5. तकनीकि ज्ञान कारीगरों के लिए बदलते परिवेश में काफी जरूरी है। इसमें लगभग सभी कमजोर हैं।
. सरकार को चाहिए की व्यापारिक संगठनों के साथ मिलकर कारीगरों को तकनीकि ज्ञान दे। ऑनलाइन वेबिनार और वर्कशाप कराएं।
सरकार की योजनाओं की कोई जानकारी नहीं मिल पाती है। महंगाई आसमान छू रही है। मुझे मालूम है कि सरकार कारीगरों के लिए काफी कुछ कर रही है। योजनाएं चल रही हैं। इसके बाद भी कुछ दिखाई नहीं देता है।
गौरव
कारीगरों को डिजिटल ज्ञान की जरूरत है। यह समय की मांग है। साथ ही ऑनलाइन बिक्री करने का हुनर भी सिखाया जाना चाहिए। इसके लिए प्रशिक्षण कैंप लगाए जाने चाहिए। हमें काफी कुछ नया सीखने को मिलेगा।
विनोद कुमार
विश्व भर में चांदी के उत्पादों में डिजाइन में लगातार परिवर्तन होता रहता है। बाजार की मांग की हमें जानकारी नहीं मिल पाती है। सरकार को ऐसी व्यवस्था सुनिश्चित करनी चाहिए जिससे हमें समय-समय पर मोबाइल पर जानकारी उपलब्ध हो सके।
आशीष कुमार
सरकार की ओर से कारीगरों के लिए दी जाने वाली वित्तीय योजनाओं और सहायता की जानकारी नहीं मिल पाती है। बैंक ऋण के लिए कागजी कार्रवाई को आसान बनाया जाना चाहिए। साथ ही कारीगरों को ऋण पर देने वाली ब्याज में कमी होनी चाहिए।
सचिन
हाथों के हुनर को अब मशीनों से बनी ज्वेलरी का सामना करना पड़ रहा है। इसलिए कारीगरों को मशीनी प्रशिक्षण की जरूरत है। चांदी व्यवसाय से जुड़े संगठन और सरकार के नुमाइंदे मिलकर कारीगरों के प्रशिक्षण देने की योजना तैयार करें।
राकेश
सरकारी योजनाओं में चांदी कारीगरों के प्रशिक्षण भी शामिल है। इसकी जानकारी ज्यादातर कारीगरों को नहीं है। यह सुनिश्चित होना जरूरी है कि योजनाओं के बारे में हरेक कारीगर को जानकारी पहुंचे। इससे जरूरतमंदों तक लाभ पहुंच सकेगा।
विमल कुमार
चांदी के काम और हुनर में बदलाव आया है। दुनियाभर में शहर की चांदी के उत्पादों की पहचान बनाए रखने के लिए थ्री डी प्रिंटिंग का प्रशिक्षण कारीगरों को मिलना चाहिए। इसके साथ ही डिजाइनिंग और ऑनलाइनल व्यापार करने की जानकारी भी मिलनी चाहिए।
प्रिंस
लोन लेने में कारीगरों को काफी परेशानी होती है। मेरे काफी साथी कारीगरों को यह जानकारी नहीं है कि सरकार की किस योजना के तहत हमें कम से कम ब्याज दर पर ऋण मिल सकता है। सब कुछ होने के बाद भी हम सुविधा नहीं ले पाते हैं।
जोगिंदर
सरकार को योजनाओं का ज्यादा से ज्यादा प्रचार करना चाहिए। प्रचार में यह ध्यान रखने की जरूरत है कि योजना जिस क्षेत्र के कारीगर के लिए है, उस फील्ड के हरेक कारीगर तक सूचना पहुंचे। पंजीकृत कारीगरों के मोबाइल पर सुविधा भेजने में आसानी होगी।
प्रिंस कुमार
कारीगरों के लिए स्टार्टअप इंडिया, बीमा योजना, ऋण योजना, स्वास्थ्य योजना सरकार चला रही है। मेरा दावा है कि 100 चांदी कारीगरों से योजनाओं के बारे में अगर पूछा जाए तो कम से कम 90 कारीगरों को कोई जानकारी नहीं होगी।
संजय
हाथों से बने चांदी के उत्पादों की समय-समय पर प्रदर्शनी लगनी चाहिए। इससे चांदी कारीगरों का मनोबल बढ़ेगा। साथ ही हर साल शहर में एक सर्वश्रेष्ठ चांदी कारीगर सम्मान आदि जैसे आयोजन होने चाहिए। चांदी कारीगर इससे प्रोत्साहित होंगे।
अमर
शहर में ज्यादातर चांदी कारीगरों को शादी, त्योहार, धार्मिक आयोजनों के समय काम काफी अच्छा मिल जाता है। इसके बाद खाली दिनों में परिवार को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। ऐसी योजना होनी चाहिए जिससे खाली समय में भी कारीगर कुछ कमा सके।
शिव वर्मा
चांदी के दीवानों की बदलती पसंद कारीगरों के लिए चुनौती रहती है। बाजार के बदलाव से कारीगर अपडेट नहीं हो पाते हैं। ऐसी व्यवस्था की जाए जिससे हरेक चांदी कारीगर को मोबाइल पर बाजार के हरेक बदलाव की सूचना मिल सके।
विशाल
चांदी के उत्पादों की खरीदारी में ऐसे ग्राहकों की संख्या काफी ज्यादा है जो हल्के आभूषण पसंद करते हैं। इससे पारंपारिक चांदी के आभूषणों की मांग लगभग समाप्त हो चुकी है। भारी आभूषण खरीदने वाले लोगों की संख्या कम हुई है।
ज्ञान सिंह प्रजापति
चांदी कारीगरों में तमाम ऐसे हैं जिन्हें चांदी उत्पादों की नई डिजाइनें सीखने में काफी समय लगता है। गैर सरकारी संगठन इस समस्या का समाधान अपने स्तर से प्रशिक्षण कैंप लगाकर कर सकते हैं। इससे हम कारीगरों को काफी लाभ मिलेगा।
सुनील
चांदी कारीगरों की परेशानी को सरकार की नीतियों से पहले व्यापारिक संगठन काफी हद तक दूर सकते हैं। कई बार कारीगरों के उद्धार की बातें भी हुई हैं। धरातल पर योजना का लाभ तभी मिल सकता है जब संगठन के पदाधिकारी रुचि दिखाएं।
श्रवण कुमार
हमारे में अधिकांश चांदी कारीगरों की आर्थिक स्थिति संतोषजनक नहीं है। महंगाई तेजी से बढ़ रही है। बच्चों की पढ़ाई से लेकर दवा, बिजली, पानी का बिल निकालना मुश्किल हो जाता है। न तो मजदूरी को बढ़ाया जाता है और न ही अतिरिक्त लाभ मिलते हैं।
विजय कुमार शर्मा
चांदी कारीगरों को अपने हाथ से निर्मित उत्पाद बेचने के लिए प्लेटफॉर्म नहीं मिल पाता है। अगर सरकार कारीगरों के लिए कुछ कर रही है, तो इसकी हमें जानकारी नहीं है। सरकार को देखना चाहिए कि जिसके लिए योजना चलाई गई है वहां तक लाभ पहुंच रहा है या नहीं।
गोलू
चांदी कारीगरों को डिजाइन चोरी की समस्या से भी जूझना पड़ता है। बाजार की प्रतिस्पर्धा के चलते पहली बार बाजार में आई डिजाइन पर दूसरे भी काम करने लगते हैं। डिजाइन चोरी को लेकर कड़ा कानून होना चाहिए।
दीपक ठाकुर
देश-दुनिया में हमारे हुनर की सदियों से पहचान है। पीढ़ी दर पीढ़ी परिवार के लोग चांदी कारीगरी का काम कर रहे हैं। काफी कुछ बदला है। इसके बाद भी हमारी स्थिति में जितना सुधार होना चाहिए था, उतना नहीं हुआ। शहर में तमाम चांदी कारीगरों की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है।
राजीव वर्मा
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