बोले आगरा: घर चलाने में कठिनाई, नहीं हो रही कहीं सुनवाई
Agra News - पिनाहट (आगरा) में रोजगार सेवकों ने 19 वर्षों से मानदेय की कमी और संसाधनों के अभाव की शिकायत की। रोजगार सेवकों का कहना है कि 10,000 रुपये मासिक मानदेय में से आधा यात्रा और अन्य खर्चों में चला जाता है।...
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पिनाहट (आगरा)। ग्राम पंचायतों में रोजगार सेवकों की तैनात को 19 साल हो गए। इनके पास शिकायतों का अंबार है। सबसे बड़ी मांग मानदेय की है। कई बार प्रदेश स्तर, जिला स्तर और ब्लाक स्तर पर ज्ञापन दे चुके हैं लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई है। उनकी पीड़ा है कि आधा मानदेय तो आने-जाने, फाइल तैयार करने और फोटो बनवाने में हो खर्च हो जाता है। फिर बचता ही क्या है। घर चलाना मुश्किल हो जाता है। मानदेय के अलावा रोजगार सेवक गांवों में कार्य करने के दौरान सुरक्षा का मामला भी उठाते हैं। ग्राम पंचायतों में कार्य निपटाने के लिए सरकार ने 19 वर्ष पहले रोजगार सेवकों की तैनाती की। तैनाती के बाद से ही रोजगार सेवक संसाधनों के अभाव में कार्य करते चले आ रहे हैं। न तो उन्हें फाइल बनाने का खर्चा मिलता है और नहीं फोटो बनवाने की धनराशि। और तो और ग्राम पंचायत से ब्लाक तक आने-जाने खर्च भी उन्हें खुद ही उठाना पड़ता है। आधा मानदेय तो सरकार के कार्य में ही खर्च हो जाता है।
शनिवार को पिनाहट ब्लाक में रोजगार सेवकों के साथ संवाद किया गया। रोजगार सेवकों ने बारी-बारी से अपनी समस्याएं बतायीं। रोजगार सेवकों ने कहा कि प्रत्येक ग्राम पंचायतों में उनकी तैनाती नहीं है। पिनाहट ब्लाक की 36 ग्राम पंचायतों में सिर्फ 24 रोजगार सेवक ही कार्य निपटा रहे हैं। कम मानदेय के चलते पिनाहट ब्लॉक क्षेत्र के करीब 12 रोजगार सेवक इस्तीफ़ा दे चुके है। संवाद में मांग की गयी कि इन खाली पड़ी ग्राम पंचायत में नई भर्ती की जाए। रोजगार सेवक मुकेश कुमार बताते हैं कि मनरेगा में कार्य करने पर उन्हें आईडी पासवर्ड नहीं दिया जाता। जबकि इसके लिए शासनादेश है।
दलवीर सिंह बघेल पिनाहट ब्लॉक अध्यक्ष रोजगार सेवक संघ बताते हैं कि रोजगार सेवकों की सबसे बड़ी समस्या मानदेय की है। वर्ष 2015 से रोजगार सेवकों को सिर्फ 10 हजार रुपये मासिक मानदेय मिल रहा है। इस मानदेय में 2200 रुपये ईपीएफ के रूप में काटे जा रहे। महीने में 7800 रुपये मिल रहे। इसमें भी फाइल, फोटो खर्चा के साथ ही ब्लाक आने-जाने में खर्च हो जाता है। अब सरकार ही बताए बचे हुए मानदेय से कैसे परिवार का भरण पोषण किया जाए। उन्होंने मांग की कि रोजगार सेवकों को 40 हजार रुपये मासिक मानदेय दिया जाए। आयुष्मान भारत योजना से रोजगार सेवकों को जोड़ा जाए। विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ रोजगार सेवकों को दिया जाए। रोजगार सेवकों का दुर्घटना बीमा हो। कार्य के दौरान मौत होने पर परिवारी जनों को सरकारी नौकरी मिले।
शिकायतें-
- मृतक आश्रितों को नहीं मिल रहा कोई लाभ
- रोजगार सेवकों को समय से नहीं मिल रहा मानदेय
- पंचायत घर पर बैठने का स्थान नहीं, कहां रखें लेखा जोखा
- शासनादेशों का स्थानीय अधिकारी नहीं करा रहे पालन
- प्रधान अनावश्यक रूप से रोजगार सेवकों पर बनाते हैं दबाव
पांच सुझाव
- मृतक आश्रितों को पेशन, ईपीएफ, नौकरी दी जाए
- पंचायत घर पर बैठने की उचित व्यवस्था हो, अलमारी रखी जाए
- फाइल, फोटो खर्चा के साथ यात्रा भत्ता दिया जाए
- रोजगार सेवकों का मानदेय 40 हजार रुपये मासिक किया जाए
- जियो टैगिंग के लिए रोजगार सेवकों को मोबाइल फोन दिए जाएं
इनकी बात
1-रोजगार सेवकों का शोषण हो रहा है। मृत रोजगार सेवकों के आश्रितों को आज तक कोई लाभ नहीं मिला है। पेंशन, ईपीएफ, नौकरी कुछ भी नहीं दिया गया। मानदेय से ईपीएफ की कटौती होती है ।ईपीएफ की 12% कटौती मानदेय से तो कटती है लेकिन सरकार 13% जमा नहीं करती है।
- दलवीर सिंह बघेल पिनाहट ब्लॉक अध्यक्ष रोजगार सेवक संघ
2-वर्ष 2015 के बाद से मानदेय नहीं बढ़ा है। सिर्फ 10 हजार रुपये मासिक मानदेय है। इसमें से भी ईपीएफ की कटौती होती है। मानदेय कम होने से परिवार का भरण पोषण करने में समस्या है। मानदेय बढ़ाया जाए।
राम शंकर
3-सरकार ने पंचायतों में जो आवास बनाए हैं उनकी जियो र्टैंगग कराने की जिम्मेदारी रोजगार सेवकों को दी है। लेकिन स्थानीय स्तर पर उनसे जियो र्टैंगग नहीं कराई जा रही। जो जिम्मेदारी दी गई है उसका काम लिया जाए।
मातादीन वर्मा
4-मनरेगा में काम करने के लिए आईडी पासवर्ड रोजगार सेवकों को दिए जाने का शासनादेश है। लेकिन पिनाहट में रोजगार सेवकों को ये आईडी पासवर्ड नहीं दिया गया। इससे काम करने में मुश्किल आती है।
पंकज शर्मा
5-हमारे ब्लाक में डवटेल कार्य योजना का पालन नहीं हो रहा। मनरेगा में सड़कें डालने का काम हो चुका है। लेकिन डवटेल योजना के तहत पंचायत के अन्य कार्य रोजगार सेवकों से नहीं कराए जा रहे। डवटेल योजना का पालन हो।
सुमन देवी
6-रोजगार सेवक काम तो रोजाना करते हैं लेकिन मानदेय का कोई समय नहीं है। 9-9 माह बाद मानदेय मिलता है। जिससे परिवार का भरण पोषण कर पाना मुश्किल हो जाता है। समय से मानदेय दिया जाए।
राजेश कुमार
7-मनरेगा में कार्य करने वाले श्रमिकों को समय से रुपया नहीं मिलता। तीन-तीन माह तक कार्य का भुगतान लटका रहता है। जिससे गांव में श्रमिक रोजगार सेवकों को परेशान करते हैं। श्रमिकों का समय से भुगतान हो।
गुलाब सिंह
8-मनरेगा कार्यों की जियो टैगिंग का कार्य रोजगार सेवकों से लिया जाता है। लेकिन सरकार संसाधन उपलब्ध नहीं कराती। अपना मोबाइल, अपने पास से इंटरनेट रिचार्ज कराना पड़ता है। सरकार रोजगार सेवकों को भी मोबाइल उपलब्ध कराए।
राम सेवक
9-पंचायत के कार्य में रोजगार सेवकों का अहम योगदान रहता है, लेकिन पंचायत घर पर रोजगार सेवकों के ही बैठने की सुविधा नहीं है। रोजगार सेवकों के लिए पंचायत भवन पर कक्ष बनाया जाए, लेखा जोखा रखने के लिए अलमारी दी जाए।
मुकेश गुर्जर
10-रोजगार सेवकों को मानदेय बेहद कम मिलता है। 10 हजार रुपये में आज की महंगाई में कैसे भरण पोषण हो। इसमें से भी ईपीएफ की कटौती होती है जो रिटायर होने पर भी नहीं मिल रही। रोजगार सेवकों का मानदेय 30 हजार रुपये मासिक किया जाए।
विष्णु शर्मा
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