Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़A woman has been the priest of Prayagraj Siddhapeeth for the last 50 years

यूपी के इस मंदिर में 50 साल से महिला है पुजारी, सेवा के लिए शादी नहीं करने का लिया था फैसला

  • प्रयागराज में स्थित सिद्धपीठ मां खेमामाई के मंदिर में पुजारी कोई पुरुष नहीं बल्कि एक महिला हैं। जो 50 सालों से इसकी जिम्मेदारी संभाल रही हैं। यहां तक कि मंदिर की सेवा करने के लिए शादी नहीं करने का निर्णय लिया था।

Pawan Kumar Sharma हिन्दुस्तान, प्रयागराज, संवाददाताMon, 14 Oct 2024 06:04 PM
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अक्सर आपने सुना और देखा भी होगा कि शक्तिपीठ या सिद्धपीठ मंदिर में मां भगवती की पूजन अर्चन और साफ-सफाई समेत अन्य व्यवस्था की जिम्मेदारी पुरुष ही संभालते आ रहे हैं। लेकिन प्रयागराज में एक ऐसा सिद्धपीठ मंदिर भी है जिसकी मुकम्मल व्यवस्था महिला के हाथों में हैं। उनका नाम कंचन मालवीय है जिनकी उम्र 66 वर्ष हो चुकी है और वे वर्ष 1970 से अनवरत मंदिर में मुख्य पुजारी की भूमिका का निर्वहन कर रही हैं।

इस मंदिर का पौराणिक इतिहास बहुत प्राचीन है। शताब्दी वर्ष पूर्व यह मंदिर एक खंडहर के रूप में था। यह स्थान चौक गंगादास खुशहाल पर्वत में आता है। इस मंदिर के प्रथम पुजारी स्व. रामजी मालवीय थे। जिनके अथक प्रयास व सहयोग से इस मंदिर का निर्माण कराया गया था। इनकी मृत्यु के बाद इनके पुत्र रामबाबू मालवीय साल 1970 तक पुजारी रहे और उसी वर्ष अचानक अल्प आयु में मृत्यु हो गई। उस समय कंचन मालवीय की उम्र बारह वर्ष थी। तब उनकी बड़ी बहन सुमन की शादी की बात चल रही थी तो उन्होंने छोटी बहन से जिम्मेदारी संभालने का आग्रह किया। साथ ही मंदिर को संभालने व पूजा पाठ का तौर तरीका भी सिखाया।

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इसके बाद से लेकर अब तक इनकी मंदिर की अनवरत सेवा जारी है। मंदिर की साफ सफाई, मंगलाआरती, भोग लगाना व शाम की आरती नित्य प्रति करती आ रही हैं। किसी भक्त की मनोकामना पूरी होने पर सोमवार व शुक्रवार को श्रृंगार का भी आयोजन करती हैं। उन्होंने बताया कि मां के नौ दुर्गा स्वरूप की भक्ति से बढ़कर कुछ भी नहीं है। इसलिए जीवन भर उनकी पूजा करने का निर्णय लिया और शादी नहीं की।

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