केजीएमयू में बोनमैरो ट्रांसप्लांट के लिए मरीजों को नहीं करना पड़ेगा इंतजार, अलग से बनेगी ट्रांसप्लांट यूनिट
- केजीएमयू में मरीजों को बोनमैरो ट्रांसप्लांट के लिए इंतजार नहीं करना पड़ेगा। अब रक्त कैंसर, थैलीसीमिया व एप्लास्टिक एनीमिया से पीड़ित मरीजों को और बेहतर इलाज मिलेगा। दरअसल यहां अलग से बोनमैरो ट्रांसप्लांट यूनिट बनेगी।
लखनऊ की केजीएमयू में रक्त कैंसर, थैलीसीमिया व एप्लास्टिक एनीमिया से पीड़ित मरीजों को और बेहतर इलाज मिलेगा। इन मरीजों को बोनमैरो ट्रांसप्लांट के लिए इंतजार नहीं करना पड़ेगा। पीजीआई व देश के दूसरे मेडिकल संस्थानों तक दौड़ भी नहीं लगानी होगी। केजीएमयू में अलग से बोनमैरो ट्रांसप्लांट यूनिट बनेगी।
कुलपति डॉ. सोनिया नित्यानंद ने बताया कि आठ बेड की यूनिट शताब्दी भवन के हिमैटोलॉजी विभाग में स्थापित की जाएगी। यूनिट बनाने के लिए आदित्य बिरला कैप्टिल फाउंडेशन और कैनकिड्स सीएसआर फंड से 2.70 करोड़ रुपये की आर्थिक मदद करेगा। गुरुवार को राजभवन में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की मौजूदगी में केजीएमयू आदित्य बिरला कैप्टिल फाउंडेशन और कैनकिड्स के बीच करार हुआ। राज्यपाल ने केजीएमयू को बधाई दी। कहा नई यूनिट बनने से मरीजों के इलाज की राह आसान होगी।
केजीएमयू ने घातक रेबीज से बचाई युवती की जान
केजीएमयू के डॉक्टरों ने घातक रेबीज से संक्रमित एक युवती की जान बचाने में कामयाबी हासिल की। इलाज के बाद युवती ठीक है। केजीएमयू में यह पहला मामला है जब किसी रैबीज संक्रमित मरीज की जान बचाई जा सकी। इसकी रिपोर्ट इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) को भेजी गई है। सीतापुर की रहने वाली एक 25 साल की युवती को एक साल पहले कुत्ते ने काटा था और उसने सभी निर्धारित टीके भी लगवाए थे, फिर भी वह रेबीज की चपेट में आ गई।
परिवारीजन युवती को लेकर केजीएमयू पहुंचे। यहां रेबीज यूनिट के प्रभारी व मेडिसिन विभाग के डॉ. डी हिमांशु ने जांच के आधार पर रेबीज की आशंका जाहिर की। युवती को आईसीयू में भर्ती किया। वेंटिलेटर पर भी रखना पड़ा। डॉ. हिमांशु ने बताया कि एमआरआई में दिमाग को सूचना देने वाले न्यूरॉन्स सिमटते दिखे। न्यूरो से संबंधी दवाएं भी देनी शुरू की। अब मरीज ठीक है।