पूर्व विधायक समेत 5 को जेल, मतपत्र लूटने के केस में 3 साल की हुई थी सजा; MPMLA कोर्ट ने नहीं मिली राहत
साल-2003 में हुए एमएलसी चुनाव की मतगणना के दौरान मतपत्र लूटने के केस में प्रशासन ने पूर्व विधायक संजय जायसवाल, आदित्य विक्रम सिंह, पूर्व प्रमुख त्रयम्बक पाठक, महेश सिंह, अशोक कुमार सिंह और मो. इरफान को अभियुक्त बनाया था। 20 मई 2023 को अवर न्यायालय ने सभी को दोषी मानते हुए 3 साल की सजा सुनाई थी।

यूपी के बस्ती में एमपीएमएलए कोर्ट के जज प्रमोद कुमार गिरी की अदालत ने मंगलवार को अवर न्यायालय की सजा को बरकरार रखते हुए भाजपा के पूर्व विधायक संजय जायसवाल, पूर्व प्रमुख महेश सिंह और त्रयम्बक पाठक सहित पांच लोगों को जेल भेज दिया है। वर्ष 2003 में हुए स्थानीय निकाय के एमएलसी चुनाव की मतगणना के दौरान मतपत्र लूटने के केस में प्रशासन ने पूर्व विधायक संजय जायसवाल और आदित्य विक्रम सिंह, पूर्व प्रमुख त्रयम्बक पाठक और महेश सिंह, अशोक कुमार सिंह, मो. इरफान को अभियुक्त बनाया था।
इस मामले में 20 मई 2023 को अवर न्यायालय ने सभी को दोषी मानते हुए तीन साल की सजा सुनाई थी। सभी लोग तभी से जमानत पर थे। अभियुक्तगण की ओर से सजा के खिलाफ एमपीएमएलए कोर्ट में अपील गई थी। आदित्य विक्रम सिंह को छोड़कर अन्य सभी लोग मंगलवार को अदालत में हाजिर हुए थे। अदालत ने अवर न्यायालय की सजा को बरकरार रखते हुए इनकी जमानत निरस्त करके जेल भेज दिया। आदित्य विक्रम सिंह के खिलाफ कार्रवाई के लिए पुलिस को निर्देशित किया गया है।
ये था मामला
वर्ष 2003 में बस्ती-सिद्धार्थनगर स्थानीय प्राधिकारी विधान परिषद के चुनाव में मतदान के बाद 3 दिसंबर 2003 को तहसील भवन में मतगणना हो रही थी। मतगणना अंतिम चरण में थी। मामले में आरोप लगा था कि 3:45 बजे एमएलसी प्रत्याशी कंचना सिंह अपने पति आदित्य विक्रम सिंह निवासी अठदमा स्टेट थाना रुधौली, संजय प्रताप जायसवाल पूर्व विधायक निवासी पांडेय बाजार थाना पुरानी बस्ती, मोहम्मद इरफान पुत्र पूर्व विधायक कमाल यूसुफ निवासी डुमरियागंज, जिला सिद्धार्थनगर, पूर्व प्रमुख गौर महेश सिंह निवासी ग्राम डुहवा थाना गौर, पूर्व प्रमुख परसरामपुर त्रयम्बक पाठक निवासी ग्राम तक्कीपुर थाना परसरामपुर, पूर्व प्रमुख सल्टौआ बृजभूषण सिंह निवासी ग्राम पिपरा संसारपुर थाना वाल्टरगंज और अशोक सिंह निवासी ग्राम पड़ी थाना रुधौली के साथ 30-40 समर्थकों को लेकर मतगणना स्थल पर पहुंची। सुरक्षा में लगे क्षेत्राधिकारी ओमप्रकाश सिंह से भी कहासुनी की। केस में आरोप लगा था कि इन लोगों ने मतगणना कर रहे एआरओ से भी बदसलूकी की और 50 मतपत्र भी उठा ले गए थे। तत्कालीन डीएम अनिल कुमार के निर्देश पर सहायक निर्वाचन अधिकारी राजीव शर्मा, जगन्नाथ प्रसाद और श्रीश दुबे की तरफ से शिकायती प्रार्थना-पत्र देकर कोतवाली थाने में केस दर्ज कराया गया था।
विवेचना होने के बाद सभी आरोपितों के खिलाफ आरोप पत्र न्यायालय में दाखिल किया गया था। सुनवाई के दौरान पूर्व प्रमुख बृजभूषण सिंह की मृत्यु हो गई। अन्य सभी आरोपितों के खिलाफ सुनवाई पूरी हुई। शासकीय अधिवक्ताओं ने मामले की सुनवाई के दौरान 10 गवाह प्रस्तुत किए। दोनों पक्ष की दलील सुनने के बाद न्यायालय ने गाली देने और जान से मारने की धमकी देने की धारा 504, 506 आइपीसी में सभी आरोपितों को बरी कर दिया था।
147, 323, 353, 332 और 382 आइपीसी तथा 7 क्रिमिनल ला अमेंडमेंट एक्ट एवं 136 लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम में मुकदमे में आरोपित किए गए सभी को दोषी ठहराया गया है। सजा तीन साल से कम होने के कारण उसी अदालत से आरोपितों को जमानत मिल गई थी। गौरतलब है कि आरोपी कंचना सिंह और पूर्व प्रमुख बृजभूषण सिंह का निधन हो चुका है।