कानपुर में 27 साल पहले हुई एसपी के गनर की हत्या में 45 आरोपी बरी, 4 को मिली 3-3 साल की सजा
- उपद्रवियों की ओर से एसपी साउथ पर फायर किया गया था लेकिन गनर उन्हें धक्का देकर खुद सामने आ गया। गोली गनर की नाक और माथे के बीच में लगी थी। लहूलुहान हालत में गनर कुंवर पाल को हैलट अस्पताल ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया था।
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कानपुर के चमनगंज में 27 साल पहले हुए उपद्रव में तत्कालीन एसपी साउथ के गनर की गोली मारकर हत्या में 45 लोगों को कोर्ट ने साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया, जबकि आयुध अधिनियम के तहत चार को दोषी करार देते हुए तीन-तीन वर्ष कैद और एक-एक हजार जुर्माना लगाया। सुनवाई के दौरान 13 आरोपियों की मौत हो चुकी है, जिसके चलते उनका मुकदमा बंद कर दिया। पुलिस ने इस मामले में 74 लोगों को आरोपी बनाया था।
आरोप के मुताबिक, रायपुरवा थानाक्षेत्र के लक्ष्मीपुरवा मस्जिद के इमाम के साथ आठ जनवरी 1998 को दूसरे समुदाय के एक व्यक्ति द्वारा अभद्रता की गई थी। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर कोर्ट भेजा जहां से उसकी जमानत हो गई। इसके बाद दूसरे दिन नौ जनवरी को बिजली आपूर्ति की मांग को लेकर समुदाय के लोगों ने रायपुरवा थाने में धरना-प्रदर्शन किया। भीड़ में इस बात का गुस्सा भी था कि इमाम से अभद्रता करने वाले को जमानत मिल गई। धरना-प्रदर्शन के दौरान थाने में भीड़ लगातार बढ़ रही थी। उसे संभालने के लिए पुलिस-पीएसी भी मौके पर पहुंच गई।
भीड़ उग्र हुई और कुछ उपद्रवियों ने पत्थर, बम और अवैध असलहों से पुलिस पर हमला कर दिया। पुलिस ने लाठीचार्ज किया तो भीड़ तितर-बितर हो गई। इसी बीच चमनगंज में भीड़ जमा हो गई जिसे हटाने के लिए तत्कालीन एसपी साउथ अशोक कुमार अपने गनर हेड कांस्टेबल कुंवर पाल सिंह के साथ मौके पर पहुंचे। उपद्रवियों की ओर से एसपी साउथ पर फायर किया गया लेकिन गनर उन्हें धक्का देकर खुद सामने आ गया। गोली गनर की नाक और माथे के बीच में लगी। लहूलुहान हालत में गनर कुंवर पाल को हैलट ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया था।
74 लोगों को भेजा गया था जेल
तत्कालीन चमनगंज थानाध्यक्ष अनिल शर्मा की ओर से मुकदमा उपद्रवियों पर दर्ज कराया गया। पुलिस ने 74 लोगों को जेल भेजा था। तीन लोगों के नाम विवेचना में सामने आए थे। बचाव पक्ष के अधिवक्ता शकील अहमद बुंदेला ने बताया कि न्यायालय ने साक्ष्यों के अभाव में 45 आरोपितों को बरी कर दिया। बरी होने वालों में इसरार अहमद, खुर्शीद आलम, एहसान, अतीकुर्रहमान, सुल्तान, अंसार, रशीद आलम, मतीउल्ला, हाशिम आजाद, रहमत अली, अब्दुल हफीज, नूर बाबू शामिल हैं।
इन्हें मिली सजा, निजी मुचलके पर हुए रिहा
चार अभियुक्तों पर आर्म्स एक्ट के तहत भी मुकदमा चला। तलाक महल निवासी इसरार अहमद, चमनगंज निवासी मो. सफी व खुर्शीद आलम और कर्नलगंज निवासी मो. आसिफ शामिल हैं। चूंकि तीन वर्ष की सजा में दोषसिद्ध आरोपी को जमानत का प्रावधान है लिहाजा चारों को निजी मुचलके पर रिहा कर दिया गया। इन्हें जमानत दाखिल करने का दो दिनों का समय दिया गया है।
सुनवाई के दौरान इनकी हो चुकी है मौत
27 साल की लंबी अवधि के दौरान मुकदमे के आरोपित राजू उर्फ इमरान, मो. सईद, इस्लामुद्दीन, शमीम, असलम, आफताब अहमद, साजिद, फहीम, जमील अहमद, भोपाली, मो. राशिद, मो. असलम, अब्दुल वहीद की मौत हो चुकी है। जबकि इसी मामले में आरोपी अब्दुल वहीद खान और गुड्डू की फाइल न्यायालय ने अलग कर दी है।
आखिर कुंवर पाल को किसने मारा
पुलिस ने जिन पर मुकदमा चलाया, साक्ष्य के अभाव में वह आरोपित बरी होते गए। अब सवाल है कि हेड कांस्टेबल को गोली किसने मारी? कानूनविद् पूर्व डीजीसी पीयूष शुक्ला बताते हैं कि कहीं न कहीं साक्ष्य जुटाने में पुलिस ने चूक की होगी, जिसका फायदा आरोपियों को मिला।