निशाने पर था ओलंपिक मेडल और दिमाग में चल रहा था गीता का ज्ञान...मनु भाकर ने ऐतिहासिक ब्रॉन्ज जीतकर किया खुलासा
Manu Bhaker on Historic Bronze Medal: भारतीय निशानेबाज मनु भाकर ने पेरिस ओलंपिक में ब्रॉन्ड मेडल जीतने के बाद खुलासा कि उन्होंने भगवद गीता बहुत पढ़ी है। उन्होंने कहा कि जब निशाने पर मेडल था तो दिमाग में गीता का ज्ञान का चल रहा था।
भारतीय निशानेबाज मनु भाकर ने रविवार को परिस ओलंपिक में ऐतिहासिक ब्रॉन्ज मेडल जीता। उन्होंने 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा में कांस्य हासिल किया और भारत का मेडल का खाता खोला। वह ओलंपिक में मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला निशानेबाज हैं। भारत ने 12 साल बाद शूटिंग में ओलंपिक मेडल जीता है। 22 वर्षीय मनु ने ब्रॉन्ज जीतने के बाद खुलासा कि उन्होंने भगवद गीता बहुत पढ़ी है। उन्होंने कहा कि जब निशाने पर मेडल था तो दिमाग में गीता का ज्ञान का चल रहा था।
मनु ने कहा, ''मेडल जीतकर मुझे बहुत अच्छा लग रहा है। भारत को लंबे समय से इस पदक का इतंजार था। मैं बस इसे हासिल करने के लिए तैयार थी। भारत बहुत सारे पदकों का हकदार है। इसलिए, हम इस बार अधिक से अधिक स्पर्धाओं के लिए उत्सुक हैं। और पूरी टीम ने वास्तव में कड़ी मेहनत की है। मेरे लिए व्यक्तिगत रूप से यह फीलिंग वास्तव में किसी ख्वाब की तरह है। मुझे लगता है कि मैंने अच्छा काम किया। मैंने बहुत प्रयास किया और आखिरी तक मैं अपनी पूरी ऊर्जा के साथ लड़ती रही। हालांकि, यह ब्रॉन्ज है। लेकिन मैं वास्तव में आभारी हूं कि मैं भारत के लिए कांस्य जीत सकी, शायद अगली बार बेहतर हो।''
उन्होंने आगे कहा, ''ईमानदारी से बताऊं तो मैंने काफी गीता पढ़ी है। मेरे दिमाग में यही चल रहा था कि बस कर्म पर ध्यान लगाओ, नतीजे की चिंता मत करो। जो तुम्हारा बस में है, उसे करो और बाकी चीजें छोड़ दो। भाग्य जो भी हो, आप उसके परिणाम को नियंत्रित नहीं कर सकते। इसलिए गीता में कृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि कर्म पर ध्यान केंद्रित करो न कि कर्म के परिणाम पर। तो मेरे दिमाग में बस यही चल रहा था। ऐसे में मैंने सोचा कि 'बस अपना काम करो, और सब कुछ छोड़ दो।''
मनु टोक्यो ओलंपिक में मेडल नहीं जीत पाई थीं। मनु से जब पूछा गया कि टोक्यो की निराशा से निपटने के लिए उन्होंने क्या किया तो निशानेबाज ने कहा, ''आप सिर्फ कोशिश करकेअपना सर्वश्रेष्ठ देते रह सकते हैं।'' उन्होंने कहा, ''मैं कितना अच्छा महसूस कर रही हूं, आपको नहीं बता सकती।'' उन्होंने कहा, ''सभी दोस्तो, रिश्तेदारों और शुभचिंतकों का मेरे साथ डटे रहने के लिए धन्यवाद। उन्हीं की बदौलत मैं यहां खडी हूं। आप सभी ने मेरी जिंदगी को इतना आसान बना दिया। मैं अपने कोच जसपाल सर, मेरे प्रायोजकों ओजीक्यू और मेरे कोचों का धन्यवाद देना चाहूंगी।''
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