Hindi Newsराजस्थान न्यूज़student suicide cases in kota decrease 50 percent but coaching business slow

सरकार कह रही कोटा में सुसाइड के मामले हुए कम, फिर कोचिंग कारोबार को क्यों लगा झटका?

कोटा जिलाधिकारी रवींद्र गोस्वामी का दावा है कि कोचिंग हब के रूप में चर्चित कोटा में साल 2023 की तुलना में इस साल छात्रों की आत्महत्या के मामलों में 50 फीसदी की कमी आई है। वहीं हितधारकों का कहना है कि कोचिंग केंद्रों के कारोबार में गिरावट आई है।

Krishna Bihari Singh भाषा, कोटाSun, 29 Dec 2024 04:43 PM
share Share
Follow Us on

छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराने के लिए कोचिंग हब के रूप में चर्चित कोटा में साल 2023 की तुलना में इस साल छात्रों की आत्महत्या के मामलों में 50 फीसदी की कमी आई है। कोटा जिलाधिकारी रवींद्र गोस्वामी ने ऐसा दावा किया है। जिलाधिकारी रवींद्र गोस्वामी ने कहा कि आत्महत्या के मामालों को रोकने की कोशिशों के संदर्भ में यह आंकड़ा बेहद महत्वपूर्ण है। उम्मीद है कि आगे भी इन दुखद घटनाओं में कमी आएगी। हालांकि इन दावों के बावजूद हितधारकों ने कोटा में कोचिंग केंद्रों के कारोबार में गिरावट आने की बात कही है।

क्या कहते हैं आंकड़े?

सरकार की रिपोर्ट बताती है कि कोटा में साल 2024 में कोचिंग छात्रों की आत्महत्या के 17 मामले सामने आए जबकि 2023 में 26 घटनाएं हुईं। कोटा जिलाधिकारी रवींद्र गोस्वामी ने कहा कि आत्महत्या के मामलों में कमी का श्रेय प्रशासन की ओर से किए जाने वाले प्रयासों को दिया जा सकता है। प्रशासन कोचिंग संस्थानों और छात्रावासों के लिए दिशा-निर्देशों की सख्ती से निगरानी कर रहा है।

प्रशासन की कोशिशें ला रही रंग

कोटा जिलाधिकारी रवींद्र गोस्वामी ने कहा कि डब्ल्यूएचओ के मानदंडों के आधार पर हॉस्टलों के वार्डन के लिए गेट-कीपर प्रशिक्षण और एसओएस हेल्प सेवाओं के अनुपाल ने भी सुसाइड के मामलों में कमी लाने में मदद की है। यही नहीं 'डिनर विद कलेक्टर' और 'संवाद' जैसे आयोजनों से कोचिंग संस्थानों के छात्रों के साथ नियमित संवादात्मक सत्रों और छात्राओं की सुरक्षा के लिए कालिका दस्ते की तैनाती ने भी बेहद अहम भूमिका निभाई है।

कोचिंग कारोबार क्यों हुआ धीमा?

वहीं इन तमामा दावों के बीच कोचिंग उद्योग से जुड़े हितधारकों ने बताया है कि कोटा में कोचिंग केंद्रों और छात्रावासों का कारोबार धीमा हो गया है। इन हितधारकों ने छात्र आत्महत्या की घटनाओं के कारण नकारात्मक प्रचार, कोचिंग केंद्रों को विनियमित करने वाले नए दिशानिर्देशों के साथ ही अन्य शहरों में विभिन्न कोचिंग केंद्रों के विस्तार को इसकी वजह बताई।

राजस्व में आई कमी

कोचिंग उद्योग से जुड़े हितधारकों ने बताया कि कोटा में छात्रों की संख्या इस वर्ष घटकर 85 हजार से एक लाख तक रह गई है। सामान्यतः यह दो-ढाई लाख होती थी। इससे होने वाले राजस्व पर भी असर पड़ा है। इससे होने वाले सालाना राजस्व में कमी आई है जो 6,500-7,000 करोड़ रुपये से घटकर 3,500 करोड़ रुपये रह गया है। वहीं कोटा जिलाधिकारी रवींद्र गोस्वामी ने कहा कि ने कोटा केयर्स नामक कार्यक्रम शुरू किए जाने का भी उल्लेख किया जो कोचिंग संस्थानों के छात्रों की सुरक्षा को लेकर प्रतिबद्ध है।

अगला लेखऐप पर पढ़ें