Hindi Newsराजस्थान न्यूज़There is no sign of swastika in Ajmer Sharif Dargah Khadim committee on demand of ASI survey

'अजमेर शरीफ दरगाह में स्वास्तिक का कोई चिह्न नहीं', एएसआई से सर्वेक्षण कराने की मांग पर बोली खादिम कमेटी

खादिम कमेटी अंजुमन सैयद जादगान के अध्यक्ष मोईन चिश्ती ने कहा कि दरगाह के पूर्व में मंदिर होने का दावा निराधार है क्योंकि दरगाह में इस तरह के चिह्न नहीं हैं। महाराणा प्रताप सेना ने यह दावा किया था।

Vishva Gaurav एजेंसी, अजमेर।Fri, 27 May 2022 08:42 AM
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हिंदूवादी संगठन महाराणा प्रताप सेना की ओर से अजमेर स्थित हजरत मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के पूर्व में मंदिर होने के दावे पर बवाल बढ़ता जा रहा है। महाराणा प्रताप सेना के राजवर्धन सिंह परमार ने दरगाह की दीवारों व खिडकियों में हिन्दू धर्म से संबंधित चिह्नों के आधार पर जहां भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) से सर्वे की मांग की है, वहीं दरगाह की खादिमों की कमेटी ने इन दावों को सिरे से खारिज किया है।

खादिम कमेटी अंजुमन सैयद जादगान के अध्यक्ष मोईन चिश्ती ने कहा कि यह दावा निराधार है क्योंकि दरगाह में इस तरह के चिह्न नहीं हैं। उन्होंने कहा कि दोनों समाज हिन्दू और मुस्लिम के करोड़ों लोग दरगाह में आते हैं। उन्होंने कहा कि ''मैं पूरी जिम्मेदारी से कह रहा हूं कि दरगाह में कहीं भी स्वास्तिक चिह्न नहीं है। दरगाह 850 सालों से है। इस तरह का कोई प्रश्न आज तक उठा ही नहीं हैं। आज देश में एक विशेष तरह का माहौल है जो पहले कभी नहीं था।' 

सांप्रदायिक सौहार्द्र बिगाड़ने की कोशिश: चिश्ती
चिश्ती ने कहा कि ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर सवाल उठाने का मतलब उन करोड़ों लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाना है, जो अपने-अपने धर्म को मानने वाले हैं और यहां आते हैं। चिश्ती ने कहा कि ऐसे सभी तत्वों को जवाब देना सरकार का काम है। कमेटी के सचिव वाहिद हुसैन चिश्ती ने कहा कि यह सांप्रदायिक सौहार्द्र बिगाड़ने की कोशिश है।

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