3 राज्यों में छोटे दलों को NOTA से भी कम वोट मिले, यहां के वोटर्स ने जमकर किया नोटा का इस्तेमाल
खास बात यह है कि 2018 के विधानसभा की तुलना में इस बार भी सबसे अधिक नोटा का इस्तेमाल छत्तीसगढ़ के मतदाताओं ने किया है। छत्तीसगढ़ में 2018 में 1.49 फीसदी नोटा को वोट मिले थे।
मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भारी बहुमत से भाजपा की जबकि तेलंगाना में कांग्रेस की सरकार बनने जा रही है। इन राज्यों में भाजपा, कांग्रेस, बीआरएस और एआईएमआईएम और बसपा को छोड़कर अन्य छोटे दलों को नोटा से भी कम वोट मिले हैं। यहां तक की, कुछ राजनीतिक दलों को शून्य वोट मिले हैं।
खास बात यह है कि 2018 के विधानसभा की तुलना में इस बार भी सबसे अधिक नोटा का इस्तेमाल छत्तीसगढ़ के मतदाताओं ने किया है। छत्तीसगढ़ में 2018 में 1.49 फीसदी नोटा को वोट मिले थे, जबकि अन्य राज्यों को एक फीसदी या इससे कम वोट नोटा को मिला था।
भारतीय निर्वाचन आयोग के पोर्टल में मौजूद आंकड़ों पर गौर करें तो छत्तीसगढ़ में सबसे अधिक 1.29 फीसदी मतदाताओं ने नोटा का इस्तेमाल किया है। इस राज्य में सरकार बनाने जा रही भाजपा को 46.35 फीसदी, कांग्रेस को 42.11 फीसदी, बसपा 2.07 फीसदी मत मिले हैं। इसके अतिरिक्त चुनाव में लड़ने वाले अन्य राजनीतिक दलों जैसे और एआईएमआईएम, जेसीसीजे, सीपीआई, सीपीआई (एम), एसपी, एलजेपी, एएएपी और एलजेपीआरवी को नोटा से भी कम वोट मिले हैं।
मध्य प्रदेश में 0.99 फीसदी मतदाताओं ने नोटा का इस्तेमाल किया है। राज्य में सरकार बनाने जा रही भाजपा को 48.82 फीसदी, कांग्रेस को 40.33 फीसदी और बसपा 3.27 फीसदी मत मिले हैं। राज्य में चुनाव लड़ने वाले दलों जैसे एआईएमआईएम, एसपी, एएएपी, सीपीआई, सीपीआई (एम) और एलजेपीआरवी को नोटा से भी कम वोट मिले हैं।
इसी तरह राजस्थान में भी 0.96 फीसदी मतदाताओं ने नोटा का इस्तेमाल किया है। राज्य में भाजपा को 41.83 फीसदी, कांग्रेस को 39.41 फीसदी, आरएलटीपी को 2.39 फीसदी और बसपा 1.83 फीसदी और सीपीआई (एम) को 0.97 फीसदी मत मिले हैं। इसके अतिरिक्त राज्य में चुनाव लड़ने वाले दलों जैसे सपा, एएएपी, एआईएमआईएम को नोटा से भी कम वोट मिले हैं।
इसी तरह तेलंगाना में 0.73 फीसदी मतदाताओं ने नोटा का इस्तेमाल किया है। राज्य में सरकार बनाने जा रही कांग्रेस को 39.59 फीसदी, बीआरएस को 37.46 फीसदी, भाजपा को 13.81 फीसदी, एआईएमआईएम को 1.83 फीसदी और बसपा को 1.38 फीसदी मत मिले हैं।
कई सीटों पर सपा बनी हार का सबब
मध्य प्रदेश में ऐसी कई सीटें रहीं जहां सपा ने कांग्रेस को हराने का काम किया। मध्य प्रदेश में राजनगर में सपा प्रत्याशी को 6453 से ज्यादा वोट मिले, जबकि कांग्रेस यहां भाजपा से 5867 वोट से हार गई। सपा ने कांग्रेस को हरवाने में अहम भूमिका निभा दी। गठबंधन हुआ तो निश्चित रूप से कांग्रेस फायदे में रहती। चांदला, गुनौर, निवारी समेत कई सीटों पर यही हाल रहा। गुनौर में सपा की महिला प्रत्याशी को 3892 वोट मिले, जबकि कांग्रेस यह सीट भाजपा के मुकाबले केवल 1160 वोट से हार गई।
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