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13 साल की उम्र में साध्वी बनेंगी शिवांगी: 6 महीने जैन साध्वियों के पास रहीं, 400 किमी की पैदल यात्रा

राजस्थान के राजसमंद में एक लड़की 13 साल की उम्र में साध्वी बनने जा रही है। शिवांगी अपने 14वें जन्मदिन से आठ दिन पहले ब्यावर में दीक्षा लेंगी। सांसरिक जीवन को छोड़ संयम पथ अपनाने वाली शिवांगी छह महीने...

Vishva Gaurav लाइव हिंदुस्तान, राजसमंद।Fri, 11 Feb 2022 09:48 AM
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13 साल की उम्र में साध्वी बनेंगी शिवांगी: 6 महीने जैन साध्वियों के पास रहीं, 400 किमी की पैदल यात्रा

राजस्थान के राजसमंद में एक लड़की 13 साल की उम्र में साध्वी बनने जा रही है। शिवांगी अपने 14वें जन्मदिन से आठ दिन पहले ब्यावर में दीक्षा लेंगी। सांसरिक जीवन को छोड़ संयम पथ अपनाने वाली शिवांगी छह महीने साध्वियों के पास रही हैं और 400 किमी पैदल यात्रा भी कर चुकी हैं। शिवांगी गन्ना राजसमंद जिले में लंबोड़ी की रहने वाली हैं और उसके पिता सोना-चांदी आभूषण के कारोबारी हैं। 25 फरवरी 2009 को शिवांगी का जन्म हुआ था। दीक्षा समारोह 13 से 17 फरवरी तक ब्यावर में होगा। 

17 फरवरी को विजय पद्मभूषण रत्न सूरीश्वर महाराज और आचार्य विजय निपुण रत्न सूरीश्वर महाराज सहित आदि ठाणा 46 साधु-साध्वी की मौजूदगी में मुमुक्षु शिवांगी को दीक्षा दी जाएगी। दीक्षा लेने वाले को मुमुक्षु कहा जाता है। मुमुक्षु के रूप में उनके पांच वरघोड़े निकाले जा चुके हैं। यहां आपको बता दें कि गन्ना परिवार में अभी तक 2 पीढ़ी के 10 लोग दीक्षा ले चुके हैं। दीक्षा लेने जा रही शिवांगी के दादा- दादी, छोटे दादा, 5 बुआ और 2 चाचा संयम पथ अपना चुके हैं। शिवांगी गन्ना तीसरी पीढ़ी की 11वीं सदस्य हैं जो दीक्षा लेगी।

इंग्लिश मीडियम स्कूल में चौथी क्लास तक पढ़ीं
दीक्षा ले रहीं शिवांगी ने चौथी कक्षा के बाद पढ़ाई छोड़ दी थी। वह चौथी क्लास तक ब्यावर के सेंट पॉल स्कूल में पढ़ी थीं। उन्होंने पढ़ाई छोड़कर जैन संत-साध्वियों के सानिध्य में शिक्षा ग्रहण करना शुरू कर दिया था। शिवांगी की माता दक्षा गन्ना और पिता अंकित गन्ना बताते हैं कि उनकी बेटी को बचपन से ही धार्मिक ग्रंथ पढ़ने में रुचि थी। थोड़ा बहुत होश संभालने के बाद से शिवांगी अक्सर जैन साध्वियों की धर्म सभाओं में जाकर प्रवचन सुना करती थीं। यही वजह है कि उसने 2019 में दीक्षा लेने का निर्णय किया। जब परिजनों ने यह बात सुनी तो वे भी हैरान रह गए थे। शिवांगी को समझाया भी, लेकिन वह नहीं मानीं। इससे पहले वह जैन साध्वियों की सेवा में भी रहीं। 6 महीने तक जैन साध्वियों की सेवा के साथ विहार करती रहीं। शिवांगी साध्वियों के साथ 400 किमी की पैदल यात्रा भी कर चुकी हैं। 

धर्म को फॉलो करने के लिए इससे बेटर ऑप्शन नहीं: शिवांगी
दीक्षा ले रहीं शिवांगी बताती हैं कि अक्सर लोग मुझसे कहते हैं कि तुम इतनी छोटी उम्र में दीक्षा क्यों ले रही हो? थोड़ी बड़ी होकर दीक्षा लेना। मेरा कहना है कि मैं छोटी हूं, लेकिन आप तो बड़े हो। आप क्यों अभी भी संसार में बैठे हो? मृत्यु का कनेक्शन जैसे उम्र से नहीं है, वैसे ही दीक्षा का कनेक्शन उम्र से नहीं है। शिवांगी कहती है कि 'बॉर्डर' पर अलर्ट रहने वाले जवानों से एक बार पूछ कर आओ कि देश की सुरक्षा ही करनी है तो घर बैठे ही कर लेते? घर छोड़ने की क्या जरूरत है? जवान सोल्जर से रिप्लाई मिलेगा कि घर पर रहकर बॉर्डर की सिक्योरिटी कैसे संभव है? ऐसे ही मेरे लिए घर पर रहकर धर्म का पूरी तरह से पालन करना संभव नहीं है तो दीक्षा ही बेहतर और अंतिम निर्णय है।

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