राजस्थान हाईकोर्ट ने स्कूल फीस को लेकर दिया आदेश, अभिभावकों में कन्फ्यूजन
कोरोना काल में स्कूल फीस को लेकर राजस्थान हाईकोर्ट द्वारा दिए गए एक अहम आदेश को लेकर अभिभावकों में कन्फ्यूजन पैदा हो गया है। दरअसल, आदेश को लेकर दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं की अलग-अलग राय है। जस्टिस...
कोरोना काल में स्कूल फीस को लेकर राजस्थान हाईकोर्ट द्वारा दिए गए एक अहम आदेश को लेकर अभिभावकों में कन्फ्यूजन पैदा हो गया है। दरअसल, आदेश को लेकर दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं की अलग-अलग राय है। जस्टिस एसपी शर्मा द्वारा सोमवार को दिए गए इस आदेश की दोनों पक्ष अपनी-अपनी तरह से व्याख्या कर रहे हैं। कानून के जानकारों का कहना है कि आदेश की भाषा स्पष्ट न होने से मतभेद होना स्वभाविक है।
दरसअल राज्य सरकार के 7 जुलाई के फीस स्थगन के आदेश को कैथोलिक एजुकेशन सोसायटी, प्रोग्रेसिव स्कूल्स एसोसिएशन और अन्य ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। इस पर जस्टिस एसपी शर्मा की अदालत ने सोमवार को अंतरिम आदेश दिया है। इसे लेकर कैथोलिक एजुकेशन सोसायटी के अधिवक्ता दिनेश यादव का कहना है कि कोर्ट ने निजी स्कूलों को राहत देते हुए पूरी फीस का 70 प्रतिशत ट्यूशन फीस मानते हुए चार्ज करने की छूट दी है। इसे पैरेंट्स को तीन किस्तों में जमा कराना होगा।
दूसरी ओर राज्य सरकार की पैरवी करने वाले अतिरिक्त महाधिवक्ता राजेश महर्षि का कहना है कि ऐसा नहीं है। कोर्ट का ऑर्डर कहता है कि निजी स्कूल संचालक केवल ट्यूशन फीस का 70 प्रतिशत चार्ज कर सकते हैं, जो कि बहुत बड़ी राशि नहीं होती है। पूरी फीस का 70 प्रतिशत वसूलने की बात कहीं भी ऑर्डर में नहीं है। ऐसे में अब अभिभावकों के सामने यह कन्फ्यूजन पैदा हो गया है कि आखिर उन्हें स्कूल में कितनी फीस जमा करानी है।
इस कन्फ्यूजन को लेकर हाईकोर्ट के अधिवक्ता प्रतीक कासलीवाल का कहना है कि आदेश में स्पष्टता नहीं है। इसके ऑपरेटिंग पार्ट की भाषा पूरी तरह से सपष्ट नहीं है। ऐसे में दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं में मतभेद होना स्वभाविक है। कन्फ्यूजन दूर करने के लिए कोई भी पक्ष अदालत से आदेश स्पष्ट करने का अनुरोध कर सकता है।