विवादों में 'अजमेर-92', सैकड़ों लड़कियों से दरिंदगी का क्या है सच, क्यों हो रहा फिल्म का विरोध?
लड़कियों ने अपने बयान में बताया कि शहर के कुछ रसूखदार परिवार के लोगों ने न्यूड फोटो और वीडियो क्लिप का डर दिखाकर उनका यौन शोषण किया। इसके बाद उन्हें डराया और धमकाया जाने लगा। फिल्म का विरोध हो रहा है।
आजकल देश में फिल्मों के बहिष्कार का चलन तेजी से बढ़ा है। पहले रिलीज हुई फिल्म 'द केरला स्टोरी' को लेकर विवाद खड़ा हुआ और अब रिलीज होने से पहले ही एक और फिल्म को लेकर विवादों खड़ा हो गया है। राजस्थान की शर्मसार कर देने वाली घटना जिसमें 100 से ज्यादा लड़कियों के साथ दरिंदगी की गई थी, उस घटना पर आधारित एक फिल्म आ रही है। फिल्म का नाम है AJMER-92 जिसके रिलीज को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। मुस्लिम संगठन और अजेमर दरगाह कमेटी फिल्म के विरोध में उतर आई है। कमेटी के पदाधिकारियों ने कहा कि इस फिल्म के जरिए एक समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है। फिल्म के खिलाफ देशभर में धरना प्रदेर्शन करने की बात भी कह रहे हैं। आइये जानते हैं कि आखिर इस फिल्म का विरोध क्यों किया जा रहा है? आइये समझते हैं राजस्थान के अजमेर की इस जघन्य घटना के पीछे का सच...
क्या था मामला
तारीख थी 21 अप्रैल और साल था 1992, राजस्थान के एक अखबार में खबर छपी कि अजमेर के रसूखदार परिवार के लोगों ने स्कूली लड़कियों को जाल में फंसाकर पहले उनका यौन शोषण किया, फिर उनकी अश्लील फोटोज खींचकर उनको ब्लैकमेल भी किया गया। इस दौरान करीब 100 से ज्यादा लड़कियों के साथ यह घटना घटित हुई थी। लड़कियों के सामने ना आने और सबूतों के आभाव में यह मामला दब गया था। फिर आई 15 मई, 1992 की तारीख। जब उसी अखबार ने एक बार फिर से इस स्टोरी को छापा। इस बार अखबार ने पीड़ित छात्राओं की फोटोज भी धुंधली करके छापी। इस खबर के बाद मामला पूरे देश में फैल गया और हर जगह इसकी चर्चा होने लगी।
इस मामले के खुलासे के बाद लड़कियों के बयान दर्ज कराए गए। पीड़ित लड़कियों ने दरिंदो के बारे में जो बताया वो शर्मसार कर देने वाला था। दरअसल अजमेर के रसूखदार परिवार के कुछ युवक पहले स्कूल में पढ़ने वाली कई लड़कियों को अपना शिकार बनाया और फिर उनकी अश्लील फोटोज लेकर उनको ब्लैकमेल किया गया। इस दौरान स्कूली छात्राओं पर उनकी सहेलियों को भी लाने का दबाव बनाया गया। इसी तरह लगभग 100 लड़कियों के साथ दरिंदगी की गई। कई लड़कियों के साथ गैंगरेप भी किया गया था।
शहर की लड़कियों से नहीं करता था कोई शादी
इस मामले के खुलासे के बाद इसकी पूरी देश में चर्चा होने लगी थी। इसी दौरान इसका असर यहां के समाज पर भी देखने को मिला। बताया जा रहा है कि उस दौरान अजमेर शहर में रहने वाली लड़कियों से कोई शादी करने को तैयार नहीं होता था। इस मामले की कई पीड़िताओं को बयान देने के लिए अब भी कोर्ट आना पड़ता है। ऐसे में उन्हें कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। पीड़ताओं का कहना है कि अब वो दादी-नानी बन गई हैं, उन्हें इस मामले में कोर्ट ना बुलाया जाए...
क्यों हो रहा विरोध
इस फिल्म की रिलीज को लेकर कुछ मस्लिम संगठन विरोध कर रहे हैं। उनका मानना है कि यह फिल्म एक धर्म के लोगों को बदनाम करने के लिए बनाई गई है। फिल्म के रिलीज होने पर मुस्लिम संगठनों ने इसका विरोध करने की बात कही है। इंडिया मुस्लिम फाउंडेशन के चेयरमैन डॉक्टर शोएब जमाई ने ट्वीट कर लिखा- 'अजमेर दरगाह कमिटी के सदर सैय्यद गुलाम किब्रिया और जनरल सेक्रेटरी सरवर चिसती साहब सहित खुद्दाम कमिटी से मशविरा करने के बाद हम ये आधिकारिक घोषणा करते हैं।
क्या है मांग
मुस्लिम संगठनों की मांग है कि यह फिल्म रिलीज करने से पहले दिखाई जाए। चूंकि इस घटना को अजमेर की ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती दरगाह के खादिम घराने से भी जोड़कर देखा जा रहा है, इसलिए इस फिल्म का विरोध किया जा रहा है। बता दें कि इस फिल्म का विरोध करते हुए मांग की गई है कि फिल्म रिलीज करने से पहले दरगाह कमेटी को दिखाई जाए।