कोटा में फिर सुसाइड, इमारत की नौवीं मंजिल से कूदी नीट की छात्रा; अब तक 10 बच्चों ने दे दी जान
राजस्थान के कोटा में नीट की एक छात्रा ने आत्महत्या कर लिया। छात्रा की पहचान बागिशा तिवारी के रूप में हुई है। वह मध्य प्रदेश की रहने वाली थी। छात्रा ने इमारत की नौवीं मंजिल से कूदकर जान दे दी।
राजस्थान के कोटा में आत्महत्या का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। बुधवार देर शाम एक और नीट की तैयारी कर रही छात्रा यहां इमारत की नौवीं मंजिल से कूदकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली। मृतक छात्रा की पहचान बागिशा तिवारी के रूप में हुई है। वह मध्य प्रदेश के रीवा की रहने वाली थी। सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची। पुलिस ने बताया कि शव को मोर्चरी में रखवा दिया गया है। मामले में जांच की जा रही है।
मां और भाई के साथ फ्लैट में रहती थी छात्रा
पुलिस से मिली जानकारी में सामने आया कि छात्रा बागिशा तिवारी अपनी मां और भाई के साथ जवाहर नगर इलाके में फ्लैट में रह रही थी। छात्रा निजी कोचिंग संस्थान से पढ़ाई कर रही थी। छात्रा ने बिल्डिंग की बालकनी से नीचे कूद कर आत्महत्या कर ली। वहीं पुलिस आत्महत्या के कारणों की जानकारी जुटा रही है। पुलिस का कहना है कि फिलहाल कमरे से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है।
कम नंबर आने से डिप्रेशन में थी छात्रा
छात्रा के पिता ने बताया कि उनकी बेटी का नीट एग्जाम में काम नंबर आया था। घटना वाले दिन भी छात्रा कोचिंग से पढ़कर आई और कुछ देर बाद डाउट काउंटर पर गई थी। वहां से आने के बाद छात्रा परेशान थी। जिसके बाद उसने बिल्डिंग की नौवीं मंजिल से कूदकर जान दे दी। पिता का कहना है कि नीट में कम नंबर आने से वह काफी डिप्रेशन में आ गई थी। उसे परिजनों ने काफी समझाया भी था। लेकिन वह डिप्रेशन से बाहर नहीं आ सकी और मौत को गले लगा लिया।
पहले हॉस्टल में रहती थी छात्रा
जानकारी में सामने आया है कि छात्रा 3 साल पहले 11वीं की कक्षा से कोटा में पढ़ाई के लिए आई थी। पहले छात्रा हॉस्टल में रह रही थी लेकिन उसको खाने में काफी समस्या होने लगी और उसका पेट भी सही नहीं रहता था। इसलिए पिछले साल ही उसे रूम दिलाया था जिसमें उसके साथ उसका छोटा भाई रह रहा था और मां भी रहने के लिए आ गई थी। छात्रा का भाई भी कोटा में जेईई की तैयारी कर रहा है।
कोटा में अबतक 10 छात्रों ने किया सुसाइड
देशभर से मेडिकल और इंजीनियरिंग कॉलेजों में दाखिले की तैयारी के लिए छात्र-छात्राएं कोटा पहुंचते हैं। लेकिन यह शहर अक्सर सुसाइड की खबरों को लेकर सुर्खियों में रहता है। दरअसल, इस साल अबतक (1 जनवरी से 6 जून के बीच) 10 बच्चों ने यहां जान दे दी। इनमें एक बीटेक कर रहा छात्र भी शामिल है। ज्यादातर मामलों में आत्महत्या के पीछे मानसिक तनाव वजह सामने आया है। इन घटनाओं को रोकने के लिए प्रशासन द्वारा उठाए जा रहे कदम भी नाकाफी साबित हो रहे हैं।
इनपुट- योगेंद्र महावर